सावन के महीने को भगवान शिव का महीना कहा जाता है। ऐसा कहा जाता है कि जो भी लड़की सावन के सोमवार का व्रत रखती है उसे अच्छा वर मिलता है। दूसरी तरफ सावन के दिनों में दूध, दही और पत्तेदार सब्जियां भी खाने की मनाही होती है। आपने अपने घर के बड़े-बुजुर्गों को ये कहते सुना होगा कि सावन में दूध, दही और साग नहीं खाना चाहिए। लेकिन कुछ लोग इन बातों को अंध विश्वास कहकर नहीं मानते हैं, लेकिन आपको बता दें कि इन बड़े-बुजुर्गों की बातों के पीछे सिर्फ धार्मिक कारण ही नहीं बल्कि वैज्ञानिक और आयुर्वेदिक कारण भी हैं, जिसकी वजह से इन चीजों को खाने से मना किया जाता है। आइए जानते हैं क्या है वजह।
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सावन के दिनों में दूध और साग न खाने के पीछे धार्मिक कारण
अगर धार्मिक मान्यताओं की बात करें तो सावन के महीने में लोगों को सात्विक भोजन ही करना चाहिए। इससे हमारा ध्यान आध्यात्मिकता की ओर जाता है और शरीर की शुद्धि भी होती है। दही और साग भले ही सेहतमंद हों, लेकिन इन्हें बनाने के तरीके के कारण सात्विक नहीं माना जाता। ऐसा भी माना जाता है कि सावन के महीने में भगवान शिव को दूध और दही का भोग लगाना चाहिए। ऐसे में ऐसे खाद्य पदार्थ खाने की मनाही होती है। वहीं, कई पुजारी कहते हैं कि भगवान शिव को चढ़ाए जाने वाले भोग को अपने भोजन में शामिल करना अनुचित है।
सावन के दिनों में दूध और साग न खाने के पीछे वैज्ञानिक कारण
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से बात करें, इस महीने की शुरुआत के साथ ही बरसात का मौसम शुरू हो जाता है। ऐसे माहौल में जानवर, बैक्टीरिया और वायरस पनपते हैं। ऐसे में पत्तेदार सब्ज़ियों से भी परहेज़ करना चाहिए। यह बात तो सभी जानते हैं कि दही बनाने के लिए सूक्ष्मजीवों का इस्तेमाल किया जाता है। ऐसे में दही खाने से आपको कई तरह की बीमारियाँ हो सकती हैं। डॉक्टर इस मौसम में दही या इससे बनी चीज़ें खाने से मना करते हैं।
सावन के दिनों में दूध और साग न खाने के पीछे आयुर्वेदिक कारण
आयुर्वेद की बात करें तो तामसिक आहार इन दिनों में सुस्ती की स्थिति पैदा कर सकता है, जिससे आपको नींद आने लगती है और आपकी आध्यात्मिक साधना में बाधा उत्पन्न होती है। दिल्ली के ईएसआईसी अस्पताल झिलमिल के वरिष्ठ रेजिडेंट डॉ. युगम प्रसाद शांडिल्य ने कहा: “सावन के महीने में मौसम बहुत अधिक नम रहता है, जिससे कान और गले में संक्रमण का खतरा बढ़ जाता हैहम ऐसी परिस्थितियों में दही खाने से मना करते हैं।”
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