22 जनवरी को अयोध्या में बने राम मंदिर में भगवान राम विरजमान होंगे. और लाखों कार सेवकों और उन लोगों को सपना पूरा होगा जो राम मनदिर बनाने के पक्ष में थे. इस मंदिर को बनाने का सफर बड़ा लंबा और मुश्किल था. इससे पहले इस जगह पर बाबरी मस्जिद थी जिसे 06 दिसंबर 1992 को वहां पहुंचे हजारों कारसेवकों ने तोड़ दिया था. ये मस्जिद तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिंह राव के राज में टूटी और इस दौरान उनके ऊपर कई सारे आरोप लगे. वहीं जब बाबरी मस्जिद को तोड़ा गया तब अचानक से AIIMS के डॉक्टर के नरसिम्हा राव के घर पर पहुंच गये और इस दौरान पीएम का रिएक्शन काफी अजीब था.
Also Read- मार्खोर: सांपों को चबाने वाला पाकिस्तान का वो बकरा, जिसका ISI से है सीधा संबंध.
प्रधानमंत्री पीवी नरसिंह राव पर लगे थे ये आरोप
जब बाबरी मस्जिद को तोड़ दिया गया तब उसके बाद विरोधी दलों ने प्रधानमंत्री पीवी नरसिंह राव पर जानबूझकर मस्जिद टूटवाने का आरोप लगाया. नरसिम्हा को लेकर कहा गया कि उन्होंने मस्जिद को टूटने से बचाने के लिए कुछ नहीं किया बल्कि उसी समय घंटों पूजा पर बैठ गए. उन पर जानबूझकर मस्जिद टूटवाने का आरोप लगाया साथ ही ये भी कहा गया कि नरसिंहराव राजनीति की चालें चल रहे थे. वहीं जब ये मस्जिद तोड़ने की घटना हुई तब अचानक से डॉक्टर श्रीनाथ रेड्डी नरसिम्हा राव के घर पहुंच गये थे और इस बात का जिक्र नरसिम्हा राव की जीवनी ‘हाफ लॉयन में किया गया है जिसे पत्रकार विनय सीतापति ने लिखा था.
डॉक्टर को होना पड़ा पीएम के गुस्से का शिकार
विनय सीतापति ने इस किस्से का जिक्र करते हुए कहा था कि रिपोर्ट के अनुसार, एम्स के ह्रदय रोग विशेषज्ञ और प्रधानमंत्री राव के निजी चिकित्सक डॉक्टर श्रीनाथ रेड्डी ने जब 6 दिसंबर को दोपहर 12.20 पर टीवी में बाबरी मस्जिद को तोड़ने की खबर सुनी उन्हें ध्यान आया कि प्रधानमंत्री राव दिल के मरीज हैं और जब ये खबर उन्हें पता चलेगी तो कुछ भी हो सकता है जिसके बाद डॉक्टर श्रीनाथ रेड्डी प्रधानमंत्री आवास पहुंच गए.
वहीं जब रेड्डी प्रधानमंत्री आवास पहुंचे तब उन्हें राव के गुस्से का शिकार होना पड़ा जिसके बाद रेड्डी ने उनका चेकअप करने की बात कही. रेड्डी ने राव की रक्तचाप की जांच की और पाया कि उनका दिल तेजी से धड़क रहा था नब्ज काफी तेज हो गई थी साथ ही रक्तचाप बढ़ गया था. साथ ही चेहरा भी लाल हो गया था वह उत्तेजित थे. डॉक्टर रेड्डी ने उन्हें बीटा ब्लॉकर दवा की अतिरिक्त डोज दी और उनके सामान्य होने के बाद ही वापस हुए.
पीएम ने इस पूरी घटना पर रखा था अपना पक्ष
आपको बता दें, आज़ाद भारत के इतिहास की ये सबसे बड़ी घटना थी और जब जब अयोध्या के राम मंदिर की बता होगी तब-तब बरी मस्जिद के टूटने का भी जिक्र होगा. बाबरी विध्वंस के सालों बाद राव ने इस घटना पर केंद्रित एक किताब ‘6 दिसंबर 1992’ लिखकर पूरी घटना पर अपन पक्ष रखा था राव ने अपनी किताब में इस बात का जीकर करते हुए एक एंगल दिया और किताब में लिखा कि उत्तर प्रदेश के राज्यपाल की ज़िम्मेदारी थी कि वो केंद्र को स्थिति ठीक बताते, तभी केंद्र से राष्ट्रपति शासन लगाए जाने जैसा अहम कदम उठाया जा सकता था.