भारतीय दंड संहिता (IPC) न केवल अपराधों से संबंधित धाराएं प्रदान करती है बल्कि एक पद (Post) को परिभाषा भी बताती है। दरअसल हम बात कर रहे हैं IPC की धारा 17 की। इस धारा में सरकार शब्द का उल्लेख किया गया है। आइए आपको आईपीसी की धारा 17 के बारे में विस्तार से बताते हैं।
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IPC कि धारा 17 का विवरण
भारतीय दंड संहिता की धारा 17 के अनुसार, सरकार केन्द्रीय सरकार या किसी राज्य की सरकार का द्योतक है।
सरल शब्दों में कहें तो धारा 17 के अनुसार “सरकार” शब्द का अर्थ केंद्र सरकार (Central government) या किसी राज्य की सरकार (state government) है। इसका मतलब यह है कि जब भी भारतीय दंड संहिता में “सरकार” शब्द का प्रयोग किया जाएगा, तो उसका मतलब केवल केंद्र सरकार या राज्य सरकार ही होगा।
अब अगर मैं आईपीसी धारा 17 के तहत दी जाने वाली सजा की बात करूं तो इस धारा के तहत सजा की अवधि 6 महीने से 3 साल के बीच हो सकती है, इसके अलावा दोषी व्यक्ति पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है।
क्या होती है भारतीय दंड संहिता?
भारतीय दंड संहिता भारत के किसी भी नागरिक द्वारा किए गए विशिष्ट अपराधों को निर्दिष्ट और दंडित करती है। लेकिन IPC की कोई भी धारा भारतीय सेना पर लागू नहीं होती है। पहले जम्मू-कश्मीर में भारतीय दंड संहिता लागू नहीं होती थी। हालांकि, धारा 370 ख़त्म होने के बाद आईपीसी वहाँ भी लागू हो गया। पहले वहां रणबीर दंड संहिता (आरपीसी) लागू होती थी।
भारत में किसने लागू की भारतीय दंड संहिता
भारतीय दंड संहिता ब्रिटिश काल में लागू की गई थी। आईपीसी की स्थापना 1860 में ब्रिटिश भारत के पहले विधि आयोग के प्रस्ताव पर की गई थी। इसके बाद 1 जनवरी, 1862 को इसे भारतीय दंड संहिता के रूप में अपनाया गया। वर्तमान दंड संहिता, जिसे भारतीय दंड संहिता 1860 के नाम से जाना जाता है, से हम सभी परिचित हैं। इसका खाका लॉर्ड मैकाले ने तैयार किया था। समय के साथ इसमें कई बदलाव हुए हैं।
अगर पुलिस अधिकारी FIR लिखने से करें मना
वहीं अगर कोई पुलिस अधिकारी कभी भी आपकी कोई FIR लिखने से इनकार करता है तो यह सीधे तौर पर गैरकानूनी होगा। अगर FIR दर्ज नहीं हुई तो आप एसपी से शिकायत कर सकते हैं। अगर आपकी शिकायत को नजरअंदाज किया जाता है तो आप कोर्ट में किसी भी मजिस्ट्रेट से शिकायत कर सकते हैं। क्योंकि यदि कोई लोक सेवक कानूनी गलती करता है तो वह न्यायालय द्वारा क्षमा योग्य नहीं है।
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