जानिए क्या कहती है IPC की धारा 64, जुर्माना न देने पर कही गई है ये बात

Know what section 64 of IPC says, this is what is said for not paying the fine
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भारतीय दंड संहिता (IPC) हमारे देश का एक बहुत ही मजबूत हिस्सा है। इस वजह से देश में कानून को महत्व दिया जाता है और लोग देश के कानून का सम्मान भी करते हैं। देश में होने वाले अपराधों की व्याख्या और सजा का प्रावधान सब कुछ भारतीय दंड संहिता में वर्णित है। फिर भी IPC में कई धाराएं ऐसी हैं जिनके बारे में आम जनता को जानकारी नहीं है। इसलिए हम आपके लिए हर रोज एक नई धारा का विवरण लेकर आते हैं ताकि आप अपने कानून के बारे में और अधिक जागरूक हो सकें। ऐसे में आज हम आपके लिए आईपीसी की धारा 64 लेकर आए हैं।

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IPC की धारा 64 का विवरण

भारतीय दंड संहिता की धारा 64 के अनुसार, कारावास और जुर्माने दोनों से दंडनीय अपराध के प्रत्येक मामले में, जिसमें अपराधी को कारावास सहित या उसके बिना जुर्माने की सजा दी गई है, और 2[कारावास या जुर्माना या] केवल जुर्माने से दंडनीय अपराध के प्रत्येक मामले में, जिसमें अपराधी को जुर्माने की सजा दी गई है,]

वह न्यायालय जो ऐसे अपराधी को सजा देता है, वह यह निर्देश देने के लिए सक्षम होगा कि जुर्माना अदा न करने पर अपराधी को एक निश्चित अवधि के लिए कारावास भोगना होगा, यह कारावास किसी अन्य कारावास के अतिरिक्त होगा, जिसकी उसे सजा दी गई है या जिसकी सजा के लघुकरण पर वह भोगने के लिए उत्तरदायी है।

क्या है भारतीय दंड संहिता

भारतीय दंड संहिता भारत के किसी भी नागरिक द्वारा किए गए विशिष्ट अपराधों को निर्दिष्ट और दंडित करती है। आपको बता दें कि यह बात भारतीय सेना पर लागू नहीं होती है। पहले जम्मू-कश्मीर में भारतीय दंड संहिता लागू नहीं होती थी। हालांकि, धारा 370 ख़त्म होने के बाद आईपीसी वहाँ भी लागू हो गया। पहले वहां रणबीर दंड संहिता (आरपीसी) लागू होती थी।

अंग्रेजों द्वारा लागू की गई थी भारतीय दंड संहिता

भारतीय दंड संहिता ब्रिटिश काल में लागू की गई थी। आईपीसी की स्थापना 1860 में ब्रिटिश भारत के पहले विधि आयोग के प्रस्ताव पर की गई थी। इसके बाद 1 जनवरी, 1862 को इसे भारतीय दंड संहिता के रूप में अपनाया गया। वर्तमान दंड संहिता, जिसे भारतीय दंड संहिता 1860 के नाम से जाना जाता है, से हम सभी परिचित हैं। इसका खाका लॉर्ड मैकाले ने तैयार किया था। समय के साथ इसमें कई बदलाव हुए हैं।

अगर पुलिस अधिकारी FIR लिखने से करें मना

वहीं अगर कोई पुलिस अधिकारी कभी भी आपकी कोई FIR लिखने से इनकार करता है तो यह सीधे तौर पर गैरकानूनी होगा। अगर FIR दर्ज नहीं हुई तो आप एसपी से शिकायत कर सकते हैं। अगर आपकी शिकायत को नजरअंदाज किया जाता है तो आप कोर्ट में किसी भी मजिस्ट्रेट से शिकायत कर सकते हैं। क्योंकि यदि कोई लोक सेवक कानूनी गलती करता है तो वह न्यायालय द्वारा क्षमा योग्य नहीं है।

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