भारतीय दंड संहिता सीरीज में हम आपको आईपीसी की धारा 40 के बारे में पहले ही बता चुके हैं। जिसमें अनुच्छेद 2 और 3 में उल्लिखित अध्यायों और धाराओं को छोड़कर अपराध शब्द पर चर्चा की गई। आज हम आपको आईपीसी की धारा 41 के बारे में बताएंगे जिसमें विशेष विधि पर चर्चा की गई है।
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धारा 41 का विवरण
भारतीय दंड संहिता की धारा 41 के अनुसार “विशेष विधि” वो विधि है जो किसी विशिष्ट विषय को लागु हो।
सरल भाषा में समझा जाए तो भारतीय दंड संहिता की धारा 41 का तात्पर्य किसी विशेष विधि या कानून से होता है, जो कि किसी विशेष विषय पर लागु होता है, जैसे कोई ऐसा विषय है, जिस पर भारतीय दंड संहिता की कोई भी धारा लागू नहीं हो पा रही है, तो ऐसी स्तिथि में मामले को निपटाने के लिए न्यायालय किसी अन्य कानून या विधि का सहारा लेती है, तो वो भारतीय दंड संहिता की धारा 41 के अनुसार ही होता है।
धारा 41 के लिए आवश्यक तत्व
यह भारतीय दंड संहिता में पाया जाने वाला एक अद्वितीय प्रकार का प्रावधान है; इस धारा की एकमात्र आवश्यकता यह है कि किसी विशिष्ट मामले को सुलझाने के लिए एक अन्य कानून लागू किया जाए। जब न्यायालय किसी मामले की सुनवाई करता है जिसका तरीका भारतीय दंड संहिता के अलावा किसी अन्य कानून में निर्दिष्ट है, तो वह अन्य कानून विशेष रूप से धारा 41 के अनुरूप लागू किया जाता है।
धारा 41 के तहत सजा का प्रावधान
भारतीय दंड संहिता की धारा किसी अन्य कानून का सहारा लेने के लिए होती है, खासकर जब किसी विशेष मामले का निपटारा किया जाता है, तो इस धारा में किसी प्रकार की सजा का प्रावधान नहीं किया गया है, इसके अतिरिक्त इस धारा के अनुसार सजा वही हो सकती है, जो उस विशेष मामले के निपटान के लिए प्रयोग किये जाने वाले कानून में निर्धारित हो।
क्या है भारतीय दंड संहिता
भारतीय दंड संहिता भारत के किसी भी नागरिक द्वारा किए गए विशिष्ट अपराधों को निर्दिष्ट और दंडित करती है। आपको बता दें कि यह बात भारतीय सेना पर लागू नहीं होती है। पहले जम्मू-कश्मीर में भारतीय दंड संहिता लागू नहीं होती थी। हालांकि, धारा 370 ख़त्म होने के बाद आईपीसी वहाँ भी लागू हो गया। पहले वहां रणबीर दंड संहिता (आरपीसी) लागू होती थी।
अंग्रेजों द्वारा लागू की गई थी भारतीय दंड संहिता
भारतीय दंड संहिता ब्रिटिश काल में लागू की गई थी। आईपीसी की स्थापना 1860 में ब्रिटिश भारत के पहले विधि आयोग के प्रस्ताव पर की गई थी। इसके बाद 1 जनवरी, 1862 को इसे भारतीय दंड संहिता के रूप में अपनाया गया। वर्तमान दंड संहिता, जिसे भारतीय दंड संहिता 1860 के नाम से जाना जाता है, से हम सभी परिचित हैं। इसका खाका लॉर्ड मैकाले ने तैयार किया था। समय के साथ इसमें कई बदलाव हुए हैं।
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