भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) हमारे देश का एक बहुत ही मजबूत हिस्सा है। इस वजह से देश में कानून को महत्व दिया जाता है और लोग देश के कानून का सम्मान भी करते हैं। देश में होने वाले अपराधों की व्याख्या और सजा का प्रावधान सब कुछ भारतीय दंड संहिता में वर्णित है। ऐसे में आज हम आपको आईपीसी की धारा 40 के बारे में बताएंगे जिसमें अपराध का वर्णन किया गया है।
और पढ़ें: जानिए क्या कहती है आईपीसी की धारा 72 और क्या है सजा का प्रावधान
धारा 40 का विवरण
भारतीय दंड संहिता की धारा 40 के अनुसार इस धारा के अनुच्छेद 2 और 3 में वर्णित अध्यायों और धाराओं के सिवाय अपराध शब्द इस संहिता द्वारा दण्डित की गई बात का द्योतक है ।
अध्याय 4, अध्याय 5क और निम्नलिखित धारा, अर्थात् धारा 64, 65, 66, 67, 71, 109, 110, 112, 114, 115, 116, 117, 187, 194, 195, 203, 211, 213, 214, 221, 222, 223, 224, 225, 327, 328, 329, 330, 331, 347, 348, 388, 389 और 445 में अपराध शब्द इस संहिता के अधीन या एत्स्मिनपश्चात् यथापरिभाषित विशेष या स्थानीय विधि के अधीन दण्डनीय बात का द्योतक है।
और धारा 141, 176, 177, 201, 202, 212, 216 और 441 में अपराध शब्द का अर्थ उस दशा में वही है जिसमें कि विशेष या स्थानीय विधि के अधीन दण्डनीय बात ऐसी विधि के अधीन छह मास या उससे अधिक अवधि के कारावास से, जुर्माने सहित या रहित, दण्डनीय हो।
क्या है भारतीय दंड संहिता
भारतीय दंड संहिता भारत के किसी भी नागरिक द्वारा किए गए विशिष्ट अपराधों को निर्दिष्ट और दंडित करती है। आपको बता दें कि यह बात भारतीय सेना पर लागू नहीं होती है। पहले जम्मू-कश्मीर में भारतीय दंड संहिता लागू नहीं होती थी। हालांकि, धारा 370 ख़त्म होने के बाद आईपीसी वहाँ भी लागू हो गया। पहले वहां रणबीर दंड संहिता (आरपीसी) लागू होती थी।
अंग्रेजों द्वारा लागू की गई थी भारतीय दंड संहिता
भारतीय दंड संहिता ब्रिटिश काल में लागू की गई थी। आईपीसी की स्थापना 1860 में ब्रिटिश भारत के पहले विधि आयोग के प्रस्ताव पर की गई थी। इसके बाद 1 जनवरी, 1862 को इसे भारतीय दंड संहिता के रूप में अपनाया गया। वर्तमान दंड संहिता, जिसे भारतीय दंड संहिता 1860 के नाम से जाना जाता है, से हम सभी परिचित हैं। इसका खाका लॉर्ड मैकाले ने तैयार किया था। समय के साथ इसमें कई बदलाव हुए हैं।
और पढ़ें: क्या कहती है IPC की धारा 35, सजा के प्रावधान का भी जिक्र है