भारतीय दंड संहिता यानी IPC देश की कानून व्यवस्था में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह भारत में होने वाले अपराधों को नियंत्रित करने के लिए काम करता है। IPC की विभिन्न धाराएं हैं जो हत्या या हत्या करने के इरादे जैसी विभिन्न स्थितियों का वर्णन करती हैं और बताती हैं कि हत्या से संबंधित मामलों को कैसे हल किया जाता है। इस प्रकार IPC की धारा 38 बनाई गई है। जो हत्या जैसे आपराधिक कृत्य के बारे में बताता है।
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IPC कि धारा 38 का वर्णन
धारा 38- जहां कि कई व्यक्ति किसी आपराधिक कार्य को करने में लगे हुए या सम्पृक्त हैं, वहां वे उस कार्य के आधार पर विभिन्न अपराधों के दोषी हो सकेंगे । लगे हुए हैं, ख हत्या का दोषी है और क केवल आपराधिक मानव वध का दोषी है ।
उदाहरण के लिए, मान लीजिए कि A नाम के व्यक्ति का D नाम के व्यक्ति से झगड़ा हो जाता है और वह उसे पीटना शुरू कर देता है। लड़ाई के दौरान C नाम का व्यक्ति देखता है कि D कि पिटाई हो रही है, ऐसे में वह भी बहती गंगा में हाथ बहाकर D को पीटना शुरू कर देता है क्योंकि उसकी पहले से ही D से दुश्मनी है। इसी तरह A और C दोनों मिलकर D को पीटते हैं और C, D को जान से मारने के इरादे से इतनी बुरी तरह पीटना शुरू कर देता है कि इस घटना में D की मौत हो जाती है। ऐसे में जब ये मामला कोर्ट में जाएगा तो इस मामले में C को हत्या का आरोपी माना जाएगा क्योंकि उसने हत्या के इरादे से D को पिता था, जबकि A ने सिर्फ D को पीटा था और उसका D को मारने का कोई इरादा नहीं था। आईपीसी की धारा 38 में इस बात का जिक्र है। हालांकि इस घटना में A को भी दोषी माना जाएगा और गैर इरादतन हत्या की धाराओं के तहत सजा दी जाएगी। क्योंकि भले ही उसका इरादा D की जान लेने का नहीं था, उसके कार्यों के परिणामस्वरूप D की मौत हुई।
क्या है भारतीय दंड संहिता
भारतीय दंड संहिता भारत के किसी भी नागरिक द्वारा किए गए विशिष्ट अपराधों को निर्दिष्ट और दंडित करती है। आपको बता दें कि यह बात भारतीय सेना पर लागू नहीं होती है। पहले जम्मू-कश्मीर में भारतीय दंड संहिता लागू नहीं होती थी। हालांकि, धारा 370 ख़त्म होने के बाद आईपीसी वहाँ भी लागू हो गया। पहले वहां रणबीर दंड संहिता (आरपीसी) लागू होती थी।
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