क्या कहती है IPC कि धारा 43, जानें ‘अवैध’ और ‘वैध रूप से आबद्ध’ का मतलब

Know what is meant by 'illegal' and 'legally binding' in Section 43 of IPC
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भारतीय दंड संहिता (IPC) की सीरीज में आज हम आपको धारा 43 के बारे में विस्तार से बताएंगे। इस धारा में अवैध और कानूनी रूप से बाध्यकारी शब्द शामिल किये गये हैं। इस धारा में बताया गया है कि कौन सा कार्य कानून की नजर में अवैध है और किन परिस्थितियों में कानून कानूनी रूप से बाध्यकारी है।

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IPC की धारा 43 क्या है

भारतीय दंड संहिता की धारा 43 दो शब्दों को परिभाषित करती है, पहला शब्द अवैध है और दूसरा शब्द कानूनी रूप से बाध्य है, आप जहां भी इस आईपीसी या किसी भी कानून को पढ़ेंगे, आपको यह शब्द बार-बार दिखाई देगा। जब भी आप कोई कानून की किताब पढ़ रहे होंगे तो आपको अवैध शब्द जरूर पढ़ने और सुनने को मिलेगा। इसी शब्द को IPC की धारा 43 में परिभाषित किया गया है।

धारा 43  का विवरण

IPC की धारा 43 में कहा गया है कि “अवैध” शब्द हर उस बात को लागू है, जो अपराध हो, या जो विधि द्वारा प्रतिषिद्ध हो, या जो सिविल कार्यवाही के लिए आधार उत्पन्न करती हो और करने के लिए “वैध रूप से आबद्ध “कोई व्यक्ति उस बात को करने के लिए वैध रूप से आबद्ध कहा जाता है जिसका लोप करना उसके लिए अवैध है ।

धारा 43 सरल शब्दों में

धारा 43 के संबंध में यह बताती है कि जो कार्य वैध नहीं है वह अवैध कहलाता है। मान लीजिए, यदि कोई व्यक्ति सार्वजनिक स्थान पर धूम्रपान करता है तो कानून कहता है कि किसी को भी सार्वजनिक स्थान पर धूम्रपान करने की अनुमति नहीं है, इसलिए यदि वह व्यक्ति धूम्रपान करता है तो वह गैरकानूनी काम कर रहा है।

इस धारा का दूसरा भाग कानूनी रूप से बाध्य करने की बात कहता है, अर्थात यदि कोई व्यक्ति अपनी FIR लिखाने के लिए पुलिस स्टेशन जाता है, तो SHO उस व्यक्ति की FIR लिखने के लिए कानूनी रूप से बाध्य है। लेकिन अगर पुलिस ने FIR नहीं लिखी जो उसे लिखनी चाहिए थी। जो काम उसे करना चाहिए था वह पुलिस ने नहीं किया, तो यहां यह भी गैरकानूनी होगा और धारा 43 के तहत कानूनी तौर पर ऐसा नहीं किया जा सकता।

अगर पुलिस अधिकारी FIR लिखने करें मना

अगर पुलिस अधिकारी FIR लिखने से इनकार करता है तो यह सीधे तौर पर गैरकानूनी होगा। अगर FIR दर्ज नहीं हुई तो आप एसपी से शिकायत कर सकते हैं। अगर आपकी शिकायत को नजरअंदाज किया जाता है तो आप कोर्ट में किसी भी मजिस्ट्रेट से शिकायत कर सकते हैं। क्योंकि यदि कोई लोक सेवक कानूनी गलती करता है तो वह न्यायालय द्वारा क्षमा योग्य नहीं है।

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