भारतीय दंड संहिता (IPC) में कई धाराएं ऐसी हैं जिनके बारे में आम जनता को जानकारी नहीं है। ऐसे में हम आपके लिए हर रोज एक नई धारा का विवरण लेकर आते हैं ताकि आप अपने कानून के बारे में और अधिक जागरूक हो सकें। ऐसे में आज हम आपके लिए आईपीसी की धारा 5 लेकर आए हैं जिसमें आर्मी एक्ट में IPC के हस्तक्षेप न करने की बात की गई है। दरअसल भारतीय दंड संहिता भारत के किसी भी नागरिक द्वारा किए गए विशिष्ट अपराधों को निर्दिष्ट और दंडित करती है। लेकिन IPC की कोई भी धारा भारतीय सेना पर लागू नहीं होती है। पहले जम्मू-कश्मीर में भारतीय दंड संहिता लागू नहीं होती थी। हालांकि, धारा 370 ख़त्म होने के बाद आईपीसी वहाँ भी लागू हो गया। पहले वहां रणबीर दंड संहिता (आरपीसी) लागू होती थी।
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धारा 5 का विवरण
भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code) की धारा 5 के अनुसार भारत सरकार की सेवा के अधिकारियों, सैनिकों, नौसैनिकों या वायु सैनिकों द्वारा विद्रोह और परित्याग किए जाने, उन्हें दण्डित किए जाने वाले किसी भी एक्ट के उपबन्धों, या किसी विशेष या स्थानीय विधि के उपबन्धों को प्रभावित नहीं कर सकती।
धारा 5 का सरल मतलब
सरल भाषा में कहें तो IPC की धारा 5 एक ऐसा कानून है जिसके तहत IPC किसी भी तरह से आर्मी एक्ट में हस्तक्षेप नहीं कर सकती। यानी अगर कोई सैनिक या सेना से जुड़ा कोई कर्मचारी या अधिकारी सेवा के दौरान सेना छोड़ देता है या सेना के साथ गद्दारी करता है तो उसके खिलाफ IPC की कोई भी धारा नहीं लगाई जा सकती। ऐसे मामलों में आरोपी सैनिक या अधिकारी पर आर्मी एक्ट के तहत ही मुकदमा चलाया जाएगा। अगर वह दोषी पाया जाता है तो उसे उसी एक्ट के तहत सजा दी जाएगी। ऐसे मामलों में IPC हस्तक्षेप नहीं कर सकती।
भारत में किसने लागू की भारतीय दंड संहिता
भारतीय दंड संहिता ब्रिटिश काल में लागू की गई थी। आईपीसी की स्थापना 1860 में ब्रिटिश भारत के पहले विधि आयोग के प्रस्ताव पर की गई थी। इसके बाद 1 जनवरी, 1862 को इसे भारतीय दंड संहिता के रूप में अपनाया गया। वर्तमान दंड संहिता, जिसे भारतीय दंड संहिता 1860 के नाम से जाना जाता है, से हम सभी परिचित हैं। इसका खाका लॉर्ड मैकाले ने तैयार किया था। समय के साथ इसमें कई बदलाव हुए हैं।
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