भारतीय दंड संहिता से जुड़े ऐसे कई कानून और नियम हैं जिनके बारे में भारतीयों को जानना बहुत जरूरी है। क्योंकि यही कानून आगे चलकर आपको समाज में आपके अधिकारों के प्रति जागरूक रखते हैं। ऐसे में आज हम आपके लिए भारतीय दंड संहिता की एक और धारा का विवरण लेकर आए हैं। आइए आईपीसी की धारा 46 के बारे में विस्तार से जानते हैं
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भारतीय दंड संहिता की धारा 46 का विवरण
भारतीय दंड संहिता की धारा 46 (IPC section 46) मौत का मतलब बताती है। आईपीसी की धारा 46 के अनुसार, जब तक कि संदर्भ से विपरीत न प्रतीत हो, मृत्यु शब्द मनुष्य की मृत्यु को दर्शाता है।
सरल भाषा में IPC की धारा 46 कहती है कि कानून में जहां भी मृत्यु शब्द का उल्लेख है, वह मृत्यु मनुष्य की मृत्यु मानी जाएगी। अर्थात मृत्यु शब्द का सीधा अर्थ ये होगा कि यहां हम किसी इंसान के बारे में बात कर रहे हैं जिसकी मृत्यु हो चुकी है। वहीं अगर मामला किसी जानवर की मौत से जुड़ा है तो उस स्थिति में यह विशेष तौर पर लिखना होगा कि यहां किस जानवर की मौत की बात हो रही है। अन्यथा यदि केवल मृत्यु की ही बात की जाय तो यही समझा जायेगा कि किसी मनुष्य की मृत्यु की बात हो रही है।
क्या है भारतीय दंड संहिता
भारतीय दंड संहिता भारत के किसी भी नागरिक द्वारा किए गए विशिष्ट अपराधों को निर्दिष्ट और दंडित करती है। आपको बता दें कि यह बात भारतीय सेना पर लागू नहीं होती है। पहले जम्मू-कश्मीर में भारतीय दंड संहिता लागू नहीं होती थी। हालांकि, धारा 370 ख़त्म होने के बाद आईपीसी वहाँ भी लागू हो गया। पहले वहां रणबीर दंड संहिता (आरपीसी) लागू होती थी।
अंग्रेजों द्वारा लागू की गई थी भारतीय दंड संहिता
भारतीय दंड संहिता ब्रिटिश काल में लागू की गई थी। आईपीसी की स्थापना 1860 में ब्रिटिश भारत के पहले विधि आयोग के प्रस्ताव पर की गई थी। इसके बाद 1 जनवरी, 1862 को इसे भारतीय दंड संहिता के रूप में अपनाया गया। वर्तमान दंड संहिता, जिसे भारतीय दंड संहिता 1860 के नाम से जाना जाता है, से हम सभी परिचित हैं। इसका खाका लॉर्ड मैकाले ने तैयार किया था। समय के साथ इसमें कई बदलाव हुए हैं।
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