वृन्दावन के श्रीहित प्रेमानन्द महाराज जी के बारे में कौन नहीं जानता? देश-दुनिया में मशहूर प्रेमानंद महाराज वृन्दावन में रहकर सिर्फ कृष्ण नाम का जाप करते हैं और भक्ति का उपदेश देते हैं। प्रेम मंदिर के बाद वृन्दावन में सबसे ज्यादा भीड़ प्रेमानंद महाराज के दर्शन के लिए आती है। उनके अच्छे विचारों से लोग काफी प्रेरित हो रहे हैं। परम पूज्य प्रेमानंद महाराज जी, श्री हित प्रेमानंद ने नौवीं कक्षा में ही तय कर लिया था कि वह आध्यात्मिक जीवन की ओर बढ़ेंगे। उन्होंने 13 साल की उम्र में अपनी मां को यह कहकर घर छोड़ दिया कि वह जा रहे हैं और ब्रह्मचर्य का पालन करने लगे।
वर्तमान में महाराज जी वृन्दावन में रहते हैं और अपने पास आने वाले भक्तों को जीवन में सही मार्ग पर चलने की शिक्षा देते हैं। वहीं, कई लोग ऐसे भी हैं जो अपने सांसारिक दुखों से मुक्ति पाने के लिए प्रेमानंद महाराज के पास आते हैं। कुछ दिन पहले एक भक्त महाराज के दरबार में आया और पूछा, महाराज जी, क्या सबके पाप का घड़ा अलग अलग साइज का होता है? भक्त के सवाल के जवाब में महाराज जी ने क्या कहा, आपको जरूर सुनना चाहिए।
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सबके पाप के घड़े का साइज
महाराज जी कहते हैं कि हर किसी के पापों के घड़े का साइज एक जैसा नहीं होता, बल्कि इस पाप के घड़े की एक लिमिट होती है। अगर आपके कुछ अच्छे कर्म बचे हुए हैं तो आप जो भी छोटे-मोटे पाप करेंगे, वो आपके अच्छे कर्मों के प्रभाव से खत्म हो जाएंगे। लेकिन जैसे ही आपके अच्छे कर्म खत्म हो जाएंगे तो आपके वर्तमान के पाप और आपके पिछले कर्मों के पाप आपको दुख पहुंचाएंगे। महाराज जी कहते हैं कि जब हम पाप करते हैं तो हमारे अच्छे कर्म हमे बचा लेते हैं और साथ ही हमारे द्वारा किए गए पाप एक जगह इकट्ठा होते रहते हैं।
जिसकी वजह से जब कोई बुरा व्यक्ति पाप करता है तो वो फिर भी खुश दिखता है क्योंकि ये उसके अच्छे कर्मों का फल है लेकिन जैसे ही उसके अच्छे कर्म खत्म होते हैं तो वो बुरा व्यक्ति भी दुख भोगेगा। महाराज जी ये भी कहते हैं कि जब भी आप देखते हैं कि कोई अच्छा व्यक्ति दुख भोग रहा है तो इसका मतलब है कि अभी वो अच्छा व्यक्ति अपने पिछले पापों की सजा भोग रहा है और साथ ही वो अपने अच्छे कर्मों से अपने आने वाले जीवन के लिए अच्छे कर्म भी इकट्ठा कर रहा है। ऐसा हर व्यक्ति के साथ होता है। किसी के भी पापों का घड़ा कम या ज्यादा नहीं होता, बस इसकी एक सीमा होती है कि आप एक बार में इतने ही पाप कर सकते हैं।
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