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जानिए आईपीसी की धारा 14 के बारे में, पुलिस नहीं चला सकेगी बेमतलब की दादागिरी

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हमने पहले भी आपके साथ भारतीय दंड संहिता (IPC) की कई धाराओं पर चर्चा की है लेकिन आज की धारा थोड़ी अलग होने वाली है। दरअसल, आज हम भारतीय दंड संहिता की धारा 14 के बारे में बात करने जा रहे हैं। इस धारा में सरकार का सेवक की परिभाषा दी गयी है। इस धारा के तहत आप किसी भी ऐसे सरकारी कर्मचारी की शिकायत कर सकते हैं जो सरकारी पद पर रहते हुए अपनी शक्तियों का दुरुपयोग कर रहा हो।

और पढ़ें: जानिए आईपीसी की धारा 13 में ऐसा क्या था, जिसे भारत ने आजादी के बाद हटा दिया ? क्या कहती है धारा 14?

भारतीय दंड संहिता की धारा 14 में कहा गया है कि “सरकार का सेवक ” शब्द सरकार के प्राधिकार के द्वारा या अधीन, भारत के भीतर उस रूप में बनाए गए, नियुक्त या नियोजित किए गए किसी भी अधिकारी या सेवक के द्योतक हैं।

सरल शब्दों में कहें तो सरकार द्वारा या सरकार के अधिकार क्षेत्र में नियुक्त या तैनात सभी अधिकारी या कर्मचारी सरकार के सेवक हैं, इसमें पुलिस अधिकारी, सरकारी कर्मचारी, न्यायाधीश, सैनिक, शिक्षक, डॉक्टर आदि शामिल हैं।

धारा 14 का प्राथमिक लक्ष्य यह गारंटी देना है कि सरकारी कर्मचारी अपने कार्य करते समय कानून का पालन करें। इस प्रावधान के अनुसार, यदि कोई सरकारी कर्मचारी किसी अपराध का दोषी पाया जाता है, तो उसे अन्य व्यक्तियों की तुलना में अधिक कड़ी सजा दी जाती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि सरकारी सेवक को कानून का पालन करने के लिए उच्च मानक का पालन करना पड़ता है, उदाहरण के लिए यदि कोई पुलिस अधिकारी किसी व्यक्ति को अवैध रूप से गिरफ्तार करता है तो उसे धारा 14 के तहत अधिक कठोर दंड दिया जा सकता है। क्योंकि उसे अनुपालन करने के लिए उच्च मानक का पालन करना पड़ता है कानून के साथ।

इस धारा के तहत एक सरकारी कर्मचारी को केवल अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते समय ही कानून का पालन करना होता है, यदि वह अपने कर्तव्यों के बाहर कुछ भी करता है तो उसे इस धारा के तहत नहीं लाया जा सकता है।

क्या है भारतीय दंड संहिता

भारतीय दंड संहिता भारत के किसी भी नागरिक द्वारा किए गए विशिष्ट अपराधों को निर्दिष्ट और दंडित करती है। आपको बता दें कि यह बात भारतीय सेना पर लागू नहीं होती है। पहले जम्मू-कश्मीर में भारतीय दंड संहिता लागू नहीं होती थी। हालांकि, धारा 370 ख़त्म होने के बाद आईपीसी वहाँ भी लागू हो गया। पहले वहां रणबीर दंड संहिता (आरपीसी) लागू होती थी।

वहीं, भारतीय दंड संहिता ब्रिटिश काल में लागू की गई थी। आईपीसी की स्थापना 1860 में ब्रिटिश भारत के पहले विधि आयोग के प्रस्ताव पर की गई थी। इसके बाद 1 जनवरी, 1862 को इसे भारतीय दंड संहिता के रूप में अपनाया गया। वर्तमान दंड संहिता, जिसे भारतीय दंड संहिता 1860 के नाम से जाना जाता है, से हम सभी परिचित हैं। इसका खाका लॉर्ड मैकाले ने तैयार किया था। समय के साथ इसमें कई बदलाव हुए हैं।

और पढ़ें: जानें क्या कहती है IPC की धारा 8, क्या है प्रावधान?  

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