धारा 48 क्या है – भारतीय दंड संहिता में कई धाराएं हैं जिनके बारे में जानना आपके लिए बेहद जरूरी है, ताकि भविष्य में अगर कोई कानून के नाम पर आपके खिलाफ गलत कार्रवाई करे तो आप उसके खिलाफ आवाज उठा सकें। आज हम जिस धारा के बारे में बात करने जा रहे हैं वह भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 48 के तहत लागू होती है। इस धारा में जलयान का उल्लेख किया गया है। आइये जानते हैं कि जलयान क्या है और इस धारा का उपयोग किन स्थितियों में किया जाता है।
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धारा 48 क्या है ?
IPC की धारा 48 में ‘जलयान’ शब्द का उल्लेख किया गया है। इस धारा के अनुसार, जलयान शब्द किसी भी ऐसी चीज़ को दर्शाता है जो पानी के माध्यम से मनुष्यों या संपत्ति के परिवहन के लिए बनाई गई है।
अगर हम इसका मतलब सरल शब्दों में समझें तो जलयान का मतलब होता है कोई भी ऐसी चीज जो पानी के माध्यम से एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाई जा रही हो। आमतौर पर हम पानी में जहाज या नाव की मदद से सामान को एक स्थान से दूसरे स्थान तक पहुंचाते हैं, लेकिन IPC की धारा 48 में जलयान का मतलब सिर्फ जहाज या नाव नहीं है बल्कि वह हर चीज है जिसका उपयोग पानी के माध्यम से समान को एक जगह से दूसरी जगह तक पहुंचाने के लिए किया जाता है।
धारा 48 क्या है – अगर आप जुगाड़ू लकड़ी के फट्टे की मदद से भी पानी के जरिए एक जगह से दूसरी जगह सामान ले जा रहे हैं तो भी धारा 48 के तहत इसे जलयान ही कहा जाएगा। दूसरे मामले में, यदि आप हवाई जहाज से पानी की बोतल में कुछ लेकर किसी एक जगह से दूर किसी स्थान पर जाने की कोशिश कर रहे हैं, तो ऐसे मामले में भी जलयान का उल्लेख किया गया है।
क्या है भारतीय दंड संहिता
भारतीय दंड संहिता भारत के किसी भी नागरिक द्वारा किए गए विशिष्ट अपराधों को निर्दिष्ट और दंडित करती है। आपको बता दें कि यह बात भारतीय सेना पर लागू नहीं होती है। पहले जम्मू-कश्मीर में भारतीय दंड संहिता लागू नहीं होती थी। हालांकि, धारा 370 ख़त्म होने के बाद आईपीसी वहाँ भी लागू हो गया। पहले वहां रणबीर दंड संहिता (आरपीसी) लागू होती थी।
वहीं, भारतीय दंड संहिता ब्रिटिश काल में लागू की गई थी। आईपीसी की स्थापना 1860 में ब्रिटिश भारत के पहले विधि आयोग के प्रस्ताव पर की गई थी। इसके बाद 1 जनवरी, 1862 को इसे भारतीय दंड संहिता के रूप में अपनाया गया। वर्तमान दंड संहिता, जिसे भारतीय दंड संहिता 1860 के नाम से जाना जाता है, से हम सभी परिचित हैं। इसका खाका लॉर्ड मैकाले ने तैयार किया था। समय के साथ इसमें कई बदलाव हुए हैं।
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