भारत में किसी के नाम या सम्मान के साथ दुर्व्यवहार करने के लिए एक सख्त कानून बनाया गया और इस कानून को मानहानि कहा जाता है. वहीं इस मानहानि केस में भी धारा लगायी जाती है और इस केस धारा 499 लगती है वहीँ इस पोस्ट के जरिए हम आपको धारा 499 कब लगती है और क्या है इससे बचने का प्रावधान क्या है इस बता की जानकारी देने जा रहे हैं.
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जानिए कब लगती है धारा 499
मानहानि कानून सभी देशों में चलता है और मानहानि के तहत केस तब दर्ज होता है जब किसी की अच्छी छवि को नुकसान पहुंचाया जाए या अफवाह फैलाई जाए साथ ही उसकी संस्था के बारे में कुछ गलत या ऐसी अफवाहें फैलाते हैं जो कि सच नहीं है तब इस मामले में धारा 499 के तहत मानहानि केस दर्ज होता है. इसी के साथ मानहानि कार्टून के जरिए या इशारों में भी हो सकता है.
वहीं भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 499 और 500 में व्यक्ति की प्रतिष्ठा की सुरक्षा के प्रावधान है. आईपीसी की धारा 499 के अनुसार किसी के बारे में झूठी अफवाहें फैलाना, टिप्पणी करना, उसके मान-सम्मान के खिलाफ कुछ छपवाना मानहानि है
मानहानि मामले में सीआरपीसी की धारा 499 के तहत मुकदमा दायर किया जाता है. मानहानि का मुकदमा केवल एक व्यक्ति पर नहीं बल्कि उसके साथ जुड़े अन्य व्यक्तियों के खिलाफ भी दायर की जा सकती है. मानहानि मुकदमें में यदि व्यक्ति का नाम खराब होने के साथ उसके व्यवसाय में भी क्षति होती है, तो वह हर्जाने के लिए भी अलग से मामला दर्ज कर सकता है.
सजा और बचने का प्रावधान
मानहानि मामले में जो आरोप लगा है वो सच है तो मानहानि नहीं माना जाता. वहीं अगर अच्छे मकसद के लिए किसी सरकारी सेवक को लेकर कुछ अभिव्यक्त करते हैं तो उसे मानहानि नहीं माना जाएगा. इसी के साथ आम जनता से जुड़े किसी सवाल को लेकर अगर किसी सरकारी सेवक को लेकर कुछ अभिव्यक्त किया जाता है वो मानहानि नहीं होगी. इसी के साथ अगर अदालत की कार्यवाहियों की सही की जाती है तो वो मानहानि नहीं होगी.
वहीँ इस मामले में धारा 500 के अंतर्गत मानहानि के लिए दंड के प्रावधान है. वहीँ इस मामले में व्यक्ति को दो साल के कारावास व जुर्माने या दोनो की सजा मिलेगी. वहीं इस ममाले में जमानत मिल जाती है साथ ही कोर्ट सही तरीके से इस ममाले कि कारवाई करता है तो व्यक्ति को कोर्ट से इस मामले में राहत मिल सकती है.
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