बड़े परदे पर दीपिका पादुकोण की एक फिल्म छपाक आई थी जिसमें दिखाया गया था कि कैसे एक लड़की के ऊपर एक शख्स एसिड डाल देता है और उसकी पूरी ज़िन्दगी बर्बाद हो जाती है. फिल्म में दिखाया गया है कि एसिड अटैक से पीड़िता बच तो जाती है लेकिन पीड़िता के बाद की ज़िन्दगी बेहद ही भयानक हो जाती है. जहां लोग एसिड अटैक की वजह से उसका बिगाड़ा हुआ चेहरा देखना पसंद नहीं करते हैं तो वहीं वो खुद का चेहरा देखना भी पसंद नहीं करती है. ये एक फिल्म कहानी थी जो 3 घंटे में खत्म हो जाती है लेकिन भारत में एसिड अटैक कई सारे मामले सामने आ चुके हैं. वहीं सी पोस्ट के जरिये हम आपको इस बता कि जानकारी देने जा रहे हैं कि एसिड हमले पर भारत में किस धारा के तहत होती है कार्रवाई होती है.
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पहले इस धारा के तहत होती थी कारवाई
जानकारी के अनुसार, एसिड अटैक के मामले में आईपीसी की धारा 326 (गंभीर के तहत आरोपी पर केस होता था लेकिन बाद में जब एसिड अटैक के कई सारे मामले सामने आये तब सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों से कहा है कि वह ऐसिड की बिक्री को रेगुलेट करने के लिए कानून बनाएं. इसी के साथ आईपीसी की धारा 326 में कुछ बदलाव हुए और 326ए और 326बी कानून बने.
IPC धारा 326 ए
IPC धारा 326 ए के तहत किसी व्यक्ति ने अगर जानबूझकर अन्य व्यक्ति पर तेजाब फेंका और स्थाई या आंशिक रूप में नुकसान पहुंचाया तो इसे गंभीर जुर्म माना जाएगा. वहीँ ये अपराध गैरजमानती होगा और दोषी को कम से कम 10 साल और अधिकतम उम्रकैद हो सकती है. इसी के साथ यह भी प्रावधान है कि दोषी पर उचित जुर्माना होगा और यह रकम पीड़िता को दिया जाएगा.
IPC धारा 326 बी
वहीँ आईपीसी धारा 326 बी के तहत धारा का संबंध एसिड अटैक के प्रयास से है. इस कानून के मुताबिक किसी व्यक्ति ने अगर किसी दूसरे व्यक्ति पर तेजाब फेंकने का प्रयास किया है तो यह एक संगीन अपराध है. यह अपराध भी गैरजमानती है. इसके लिए दोषी को कम से कम पांच साल तक की सजा हो सकती है. दोषी को जुर्माना भी देना पड़ सकता है.
सख्त कानून के बाद भी मामलों में हुई बढ़ोतरी
आपको बता दें, देश में साल 2014 में 203, 2015 में 222, 2016 में 283, 2017 में 252 और 2018 में 228 एसिड अटैक के मामले दर्ज किए गए. इसी तरह साल 2019 में कुल 249 मामले सामने आए, जबकि 2020 में 182 ऐसे केस रजिस्टर किए गए थे और ये सभी मामले तब समाने आए जब एसिड अटैक को लेकर सख्त कानून बनाया गया.
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