भारतीय कानून के तहत कई सजाओं का प्रावधान है। कुछ अपराध ऐसे होते हैं जिनमें आपको सज़ा और जुर्माना भुगतना पड़ता है और कुछ अपराध ऐसे होते हैं जिनमें व्यक्ति पर केवल जुर्माना लगाया जाता है। ऐसे में अगर कोई व्यक्ति अपराध का भुगतान करने में असमर्थ है तो उसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 65 के तहत कार्रवाई की जाती है। आइए आईपीसी की धारा 65 के बारे में विस्तार से जानते हैं।
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IPC की धारा 65 का विवरण
भारतीय दंड संहिता की धारा 65 के अनुसार, यदि अपराध कारावास और जुर्माना दोनों से दंडनीय है, तो कारावास की अवधि के एक-चौथाई के भीतर जुर्माना नहीं चुकाने पर अदालत अपराधी को कारावास में डालने का आदेश दे सकती है। अपराध के लिए अनुमत अधिकतम सीमा से अधिक नहीं होनी चाहिए।
भारतीय दंड संहिता की धारा 65 में कहा गया है कि जब कारावास और जुर्माना दोनों का आदेश दिया जा सकता है, तो जुर्माना न देने की स्थिति में कारावास की अवधि क्या होनी चाहिए।
आसान शब्दों में कहें तो अगर किसी व्यक्ति पर किसी अपराध के तहत सजा और जुर्माना दोनों लगाया गया हो और वह व्यक्ति जुर्माना देने में असमर्थ रहे तो उस व्यक्ति पर IPC की धारा 65 के तहत कानूनी रूप से कारवाई की जाती है। इस धारा में ये भी कहा गया है की जुर्माना न चुकाने पर अपराधी को ऐसी अवधि के लिए कारावास भुगतने का निर्देश देता है जो अपराध की अधिकतम अवधि के एक-चौथाई से अधिक नहीं होगी।
मान लीजिए सज़ा 10 साल है तो इस मामले में एक चौथाई सज़ा ढाई साल होती है। इसके मुताबिक अपराध करने वाले को ढाई साल की सजा होगी। साथ ही यह सजा कोर्ट द्वारा तय नहीं की जाती, बल्कि यह सजा आईपीसी की धारा के तहत दी जाती है।
साथ ही आईपीसी की धारा 65 केवल उन्हीं मामलों में लागू होती है जिनमें सजा और जुर्माने का प्रावधान है। इस धारा के लिए केस में जुर्माना + सजा का उल्लेख होना चाहिए।
क्या है भारतीय दंड संहिता
भारतीय दंड संहिता भारत के किसी भी नागरिक द्वारा किए गए विशिष्ट अपराधों को निर्दिष्ट और दंडित करती है। आपको बता दें कि यह बात भारतीय सेना पर लागू नहीं होती है। पहले जम्मू-कश्मीर में भारतीय दंड संहिता लागू नहीं होती थी। हालांकि, धारा 370 ख़त्म होने के बाद आईपीसी वहाँ भी लागू हो गया। पहले वहां रणबीर दंड संहिता (आरपीसी) लागू होती थी।
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