Top 8 Journalist India in Hindi – पत्रकारिता को लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ कहा जाता है. इसको भी चौथे स्तम्भ कहे जाने के पीछे की वजह है कि यही मात्र वो एक क्षेत्र है कि जिसमे आप देश में सरकार के अंतर्गत हो रहे कामों और सरकार की नाकामियों पर सवाल उठा सके. और ये बात जनता तक पहुंचा सके ताकि जनता जब अगली बार चुनाव में सरकार चुने तो इन सबका का सही ढंग से आकलन करके तभी चुने की कौन सी सरकार सही है. लेकिन आज के दौर में एक बात और भी है कि पत्रकारिता का स्तर कहीं न कहीं काफी गिर गया है जिसमे लोग सरकार के खिलाफ आवाज़ नहीं उठाते सिर्फ पैसे के दम पर सरकार की वाह-वाही करते हैं.
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लेकिन ऐसे भी कुछ पत्रकार रहे हैं जिन्होंने पैसे डर और बाकी चीजों से इतर अपने आत्मसम्मान को सर्वोपरि रखा और सरकार की वाह-वाही करने के बजाय उनकी हर कदम पर आलोचना करते हैं और ये बात जनता तक पहुंचाते हैं कि आखिर देश में चल क्या रहा है? आज हम बात करने जा रहे उन्ही कुछ पत्रकारों के बारे में..
रविश कुमार (Ravish Kumar)
इनका नाम तो कौन नहीं जानता. पत्रकारिता का वो जाना माना चेहरा जो कहीं भी कभी भी और किसी से भी कुछ भी पूछ लेते थे. हमेशा विपक्ष से ज्यादा सरकार की आलोचना करते हुए वर्तमान सरकार के कामों और कर्मकांडों को सामने पेश करते थे. लेकिन ये तब तक ही एक स्वतंत्र पत्रकार रहे थे.
फिर अचानक जिस ndtv में ये काम कर रहे थे उसे अडानी ग्रुप ने खरीद लिया जिसके बाद इनको महसूस होने लगा कि अब शायद वो स्वतंत्र और उस स्तर की पत्रकारिता नहीं कर पाएंगे जो वो पहले करते थे क्योंकि अडानी अपने चैनल के जरिए कभी सरकार विरोधी बातें सामने नहीं लाएंगे और उन्होंने इस्तीफ़ा देकर यूट्यूब के जरिए अब स्वतंत्र पत्रकारिता करने लगे हैं. उनका कहना था कि मैं एंटी मोदी नहीं हूं मैं तो बस उनसे सवाल पूंछता हूं और वो जवाब देने से इतराते हैं. इस्तीफे के बाद भी अब वो कथित तौर पर तो स्वतंत्र हो गए हैं लेकिन उनके जुबान पर कभी कांग्रेस और आप का नाम नहीं आता.
अजीत अंजुम (AJIT Anjum)
अजीत अंजुम उन पत्रकारों में से आते हैं जो स्वतंत्र पत्रकारिता पसंद करते हैं किसी के दबाव में आकर पैसे के लालच में आकर कभी सरकार की तरफदारी करने कि नहीं सोंची. और शायद यही वजह है कि न्यूज़ 24 और इंडिया टीवी में बतौर मैनेजिंग एडिटर काम करने के बावजूद उन्होंने आखिर में जब वो टीवी9 में काम कर रहे थे तो इसलिए पद से इस्तीफ़ा दे दिया क्योंकि वो मोदी सरकार में पत्रकारिता करते हुए खुद को स्वतंत्र नहीं महसूस करते थे.
' वो ग़लत ढंग से हाथ लगाते थे '
' वो छाती और पेट पर हाथ लगाते थे '
' Breathing Pattern चेक करने के नाम पर बृजभूषण शरण सिंह लड़कियों के Breast पर हाथ लगाते थे '
' अपने दफ़्तर से लेकर वार्म अप सेशन तक में लड़कियों के साथ ग़लत बर्ताव करते थे '#BrijBhushanSharanSingh के खिलाफ दर्ज… pic.twitter.com/b8GvB8NIHG— Ajit Anjum (@ajitanjum) May 6, 2023
और आज खुद यूट्यूब अपना चैनल बनाकर कहीं न कहीं सरकार की आलोचनाओं में लगे रहते हैं. और खुद को उन स्वंतंत्र पत्रकारों की लिस्ट में रखते हैं. हालांकि इनके इस्तीफे को लेकर एक और बात सामने आती है कि इनका लड़कियों के साथ व्यवहार कुछ ठीक नहीं था जिसकी वजह से इन्हें चैनल से निकाल दिया गया. लेकिन नेड्रिक न्यूज़ इन बातों की पुष्टि नहीं करता.
साक्षी जोशी (Sakshi Joshi)
Top 8 Journalist India – साक्षी जोशी न्यूज़24 में बतौर एक एंकर काम करती थी. साक्षी जोशी ने अपने करियर की शुरुआत इंडिया टीवी में एक संवाददाता-co-एंकर के रूप में की थी. उन्होंने कुछ समय के लिए वहां काम किया और बाद में आईबीएन7 में न्यूज एंकर के रूप में शामिल हुईं. इसके बाद, वह शो प्रोड्यूसर के रूप में बीबीसी वर्ल्ड सर्विस से जुड़ गईं.
आधी रात में पहलवानों पर हमला
मुझे हिरासत में लिया, धक्के मारे , कपड़े फाड़े , कैमरा छीनाये है @narendramodi की @DelhiPolice pic.twitter.com/aL5jzKBOWN
— Sakshi Joshi (@sakshijoshii) May 3, 2023
इसके बाद साक्षी एंकर और एसोसिएट एडिटर के रूप में News24 से जुड़ीं. लेकिन मीडिया में काम करते हुए वो साल 2020 में ही मीडिया चैनल को इसलिए अलविदा कह दिया कि वो हालफिलहाल में में पत्रकारिता के स्तर से खुस नहीं है हालांकि, अगले कदम के बारे में साक्षी का कहना था कि वह अब अपने यूट्यूब चैनल पर ध्यान केंद्रित करेंगी और इसकी ग्रोथ की दिशा में काम करेंगी. बता दें कि करीब साढ़े चार साल पूर्व न्यूज24 जॉइन करने से पहले भी वह करीब चार साल तक पत्रकारिता से दूरी बना चुकी हैं.
आरफ़ा खानम शेरवानी (Arfa Khanum Sherwani)
आरफ़ा खानम शेरवानी ने 2000 में पत्रकारिता में अपना करियर शुरू किया. वह दिल्ली आईं और द पायनियर में एक इंटर्न के रूप में शामिल हुईं, फिर उन्होंने एक प्रशिक्षु उप संपादक के रूप में द एशियन एज के साथ काम किया और फिर सहारा टीवी में प्रोडक्शन एक्जीक्यूटिव के रूप में काम किया. 2003 में, वह विदेशी और अल्पसंख्यक मामलों को कवर करने वाली प्रमुख संवाददाता और समाचार एंकर के रूप में NDTV से जुड़ीं.
Kashmir Files and Kerala Story are not films but state sponsored propaganda.
Indoctrination of society, one film at a time.
Love-Jihad is nothing but an Islamophobic conspiracy theory.Repeat after me –
Love-Jihad is a lie
Love-Jihad is propaganda— Arfa Khanum Sherwani (@khanumarfa) May 8, 2023
उसने तेहरान से ईरानी राष्ट्रपति चुनाव 2009 और काबुल से अफगान राष्ट्रपति चुनाव 2014 को कवर किया. उन्होंने 2017 तक राज्यसभा टीवी के साथ काम किया. वह आमिर खान के सत्यमेव जयते की प्रमुख सदस्य भी थीं. वह वर्तमान में द वायर में वरिष्ठ संपादक हैं. अरफा भी अपनी तथाकथित स्वतंत्र पत्रकारिता के लिए जानी जाती है जो अपने सरकार विरोधी फैक्टलेस बातों को लेकर हमेशा विवादों में बनी रहती हैं.
Abhisar Sharma – Top 8 Journalist India
साल 2003 से 2007 तक अभिसार ने एनडीटीवी के साथ एक एंकर और एक पत्रकार के रूप में कार्य किया. जहां उन्होंने कई अंतराष्ट्रीय कार्यक्रमों को कवर किया, जिसमें सबसे प्रमुख अटल बिहारी वाजपेयी की चीन, रूस और बांग्लादेश की यात्रा थी. लेकिन अगर विवादों की बात करें तो इनकी पत्रकारिता में मोदी विरोधी या सरकार विरोधी बातें सामने आती रहती हैं. सरकार का विरोध तो इसमें तो सामने आती रहती हैं. जिसके चलते ये तथा-कथित सरकार विरोधी पत्रकारिता के लिए जाने जाते हैं.
विनोद कापरी (Vinod Kapri)
विनोद ने एक फिल्म निर्माता के रूप में कदम रखने से पहले एक पत्रकार के रूप में अपना करियर शुरू किया. उन्होंने 23 साल तक टीवी पत्रकार के रूप में पत्रकारिता करियर का पालन किया और ज़ी न्यूज़, स्टार न्यूज़ और इंडिया टीवी सहित रिपोर्टेड मीडिया चैनलों के साथ काम किया.
उन्होंने एक निर्माता के रूप में काम किया और 13 दिसंबर संसद हमले, 26/11 मुंबई हमले, दलाई लामा का जीवन, सुंदरलाल बहुगुणा का संघर्ष और अघोरी साधुओं के डार्क सीक्रेट्स सहित चैनलों के लिए कई लघु फिल्मों का निर्देशन किया. उन्होंने 20 साल की उम्र में एक पत्रकार के रूप में अपना करियर शुरू किया और एक पत्रकार के रूप में हिंदी दैनिक जनसंदेश के साथ काम किया. बतौर पत्रकार और बतौर फिल्ममेकर विनोद हमेशा से ही सरकार विरोधी ट्वीट और कमेंट्स को लेकर हमेशा सुर्कियों में बने रहे हैं. और आज भी अगर आप इनके ट्वीट पढेंगे तो आपको उसमे सरकार विरोधी कमेंट्स की बू आएगी.
शेखर गुप्ता (Shekhar Gupta)
शेखर गुप्ता एक भारतीय पत्रकार हैं, जो वर्तमान में द प्रिन्ट के अध्यक्ष और संपादक-इन-चीफ हैं. इससे पहले वो इंडिया टुडे समूह के उपाध्यक्ष थे. वह बिजनेस स्टैंडर्ड के लिए एक कोलमम्निस्ट भी है और हर शनिवार को दिखाई देने वाला साप्ताहिक कॉलम लिखते हैं.
बतौर पत्रकार ये हमेशा से सरकार विरोधी बातें लिखते हैं और वो भी फैक्ट बेस्ड जो की आपको हर्तीय इतिहास के पन्नों पर लिखा मिलेगा. हालांकि इनके ऊपर पहले ही धोखाधड़ी जैसे कई आरोप लगे हुए हैं. लेकिन अपनी स्वतंत्र पत्रकारिता और सरकार विरोधी बातों के लिए चर्चा में बने रहते हैं.
पुन्य प्रसून बाजपेयी (Punya prasun bajpai)
Top 8 Journalist India in Hindi – पत्रकारिता जगत में एक जाना-पहचाना नाम हैं. हाल ही में, उन्होंने समाचार चैनल एबीपी छोड़ दिया और सैकड़ों लोगों को हैरान कर दिया कि क्या हुआ. फिर उन्होंने खुद चैनल से बाहर निकलने की कहानी बताने के लिए द वायर के लिए एक लेख लिखा. लेख के अनुसार, पुण्य ने चैनल के प्रोपराइटर-कम-एडिटर-इन-चीफ के साथ अपने मतभेदों के कारण छोड़ दिया.
उन्होंने बताया कि कैसे उन्हें अपनी स्क्रिप्ट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का उल्लेख नहीं करने के लिए कहा गया था और उसके बाद उनके शो मास्टरस्ट्रोक पर कहानियों के लिए उनकी किसी भी तस्वीर का उपयोग नहीं करने का निर्देश दिया गया था.
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