भारत के संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अम्बेडकर को भारत का अनमोल रत्न भी कहा जाता है, जिन्होंने अपने संविधान की मदद से भारत को लोकतांत्रिक राष्ट्र बनाया. डॉ. भीमराव अम्बेडकर का जन्म हिन्दू परिवार में महाराष्ट्र के सैन्य छावनी (जो अब मध्य प्रदेश में है) में 14 अप्रैल 1891 को हुआ था, जिससे अब अम्बेडकर नगर के रूप में भी जाना जाता है. जहाँ अब बहुत सारे लोग घुमने जाते है, ख़ासकर वह लोग जो खुद को अम्बेडकरवादी बताते है.
हम आपको बता दे कि 14 साल की उम्र में उनकी शादी रमाबाई के साथ हुई, लेकिन रमाबाई जी की मृत्यु लम्बी बीमारी के कारण 1935 में हो गयी थी. डॉ. भीमराव ने दूसरी शादी सविता अम्बेडकर से की, जो एक ब्राहमण परिवार की लडकी थी. कुछ समय बाद ही डॉ. भीमराव अम्बेडकर के साथ उनकी पत्नी ने भी बौद्ध धर्म अपना लिया था. उनकी पत्नी सविता की मृत्यु 2003 में हुई थी.
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डॉ. भीमराव को 32 डिग्रियां के साथ 9 भाषाओं का ज्ञान
क्या आप जानते है कि डॉ. भीमराव अम्बेडकर के पास 32 डिग्रियां है और उन्हें 9 भाषाओं का भी ज्ञान है, उन्होंने अपने जीवन में, 21 साल तक अलग-अलग धर्मों का तुलनात्मक अध्ययन किया. डॉ. भीमराव ने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में सिर्फ 2 साल में 8 साल की पढ़ाई की थी, डॉ. साहेब ‘लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स’ से “डॉक्टर ऑल साइंस” नामक डॉक्टरेट की डिग्री प्राप्त करने वाले दुनिया के पहले और एकमात्र व्यक्ति है. डॉ. भीमराव जी की एक पुस्तक वेटिंग फॉर ए वीजा” कोलंबिया विश्वविद्यालय में पढाई जाती है. डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने अपने जीवन में बहुत कुछ ऐसा किया है जो सिखने के लायक है हमे हमारे जीवन में अपनाना चाहिए.
कैसे आप भी अंबेडकर की भांति ज्यादा भाषाओं का ज्ञान ले सकते है
अगर आप भी बाबा साहेब की तरह 9 भाषाओँ या उसे अधिक का ज्ञान लेना चाहते है तो उसके लिए आपको भी उनकी तरह मेहनत करनी पड़ेगी, डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने अपने जीवन में बहुत सारे संघर्ष किए है, उन्होंने अपने जीवन का लक्ष्य ही पढाई को बना लिया था, उनका मानना था कि पढाई के बिना किसी भी मानव का विकास नहीं हो सकता. उनके हिसाब से प्राथमिक शिक्षा सबका मौलिक अधिकार होना चाहिए. डॉ. भीमराव अम्बेडकर का कहना था कि अगर किसी समाज को विकास की ओर जाना है तो उस समाज के व्यक्तियों को पढना एक अनिवार्य तत्व है. अगर आपको भी डॉ. भीमराव की तरह बहुत सारी भाषाओँ का ज्ञान चाहिए तो उसके लिए इन बातों का पालन करो.
- अनुशासित जीवन : डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने पूरी जिन्दगी एक अनुशासित जीवन दिया है, जिसकी वजह से उन्होंने अपने जीवन में वो सब पाया जो उन्होंने चाहा था. उनके हिसाब से अनुशासित जीवन हमारे विकास के लिए अनिवार्य है. अगर आप भी उनके जैसे बनना चाहते है तो अपने जीवन को अनुशासित बनाए.
- पढाई के प्रति लगाव : डॉ. भीम राव का पालन पोषण एक गरीब परिवार हुआ फिर भी बचपन से ही पढाई के प्रति उनका लगाव था, उन्होंने अपने जीवन में 32 डिग्रियां प्राप्त की है, जो बिना पढाई के प्रति लगाव से नहीं मिल सकती है, तो उनके हिसाब से अगर आपको कुछ सीखना है तो उसके प्रति आपके अन्दर लगाव होना चाहिए.
- सिखने की लगन : डॉ. भीमराव अम्बेडकर का मानना है कि सिखने की लगन इंसान को बहुत कुछ बना सकती है, जैसे सिखने के चाह ने बाबा अम्बेडकर को अपनी पूरी जिन्दगी पढाई को अपने से दूर नहीं होने दिया.
- संघर्ष : बाबा साहेब अम्बेडकर ने अपनी जीवन में हर चीज़ के लिए संघर्ष किया है, और उसे पाया भी है तो अगर आपको भी उनके जैसे बनाना है तो संघर्ष किए बिना यह रास्ता पार नहीं होगा.
- इरादे के पक्के : डॉ. भीमराव जी अपने इरादे के पक्के थे, उन्होंने जो सोचा वो कर क भी दिखाया, जैसे 32 डिग्रियों को प्राप्त करना , 9 भाषाओ को सीखना , सविधान का निर्माण करना. सब उन्होंने अपने इरादों को पक्का रख कर ही किया है
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