बाबा साहेब की हम हमारे देश के महान पुरुषों में गिनती करते है लेकिन उनकी महानता केवल उनकी मेहनत से नहीं मिली है. इस महानता के पीछे बाबा साहेब के पिता रामजी सकपाल को श्रेय जाता है. जिन्होंने बाबा साहेब की शिक्षा को प्रेत्साहित किया. साथ ही संघर्ष भी किया. जिनकी वजह से बाबा साहेब आपने समय के सबसे पढ़े –लिखे व्यक्ति थे. बाबा साहेब लंदन के ‘स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स’ से पीएचडी की डिग्री प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति थे. बाबा साहेब की शिक्षा का पहला श्रेय इनके पिता को जाता है.
आईए जानते है बाबा साहेब को शिक्षा दिलाने के लिए उनके पिता रामजी सकपाल ने क्या संघर्ष किया.
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बाबा साहेब की शिक्षा के लिए उनके पिता का संघर्ष
बाबा साहेब के पूर्वजों ने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना में काम किया था और उनके पिता भी रामजी सकपाल भारतीय सेना की ‘मऊ छावनी’ में काम करते थे. जहाँ काम करते हुये उनके पिता सूबेदार के पद तक पहुँचे थे. उन्होंने मराठी और अंग्रेजी में औपचारिक शिक्षा की डिग्री प्राप्त की थी. रामजी सकपाल को शिक्षा का महत्व पता था, जिसके चलते वह आपने बच्चों को ब्रिटिश सेना में भर्ती नहीं करना चाहते थे. वह चाहते थे कि उनके भारतीय ब्रिटिश सरकार के बड़े अधिकारे बने. जिसके चलते उनकी अपने सबसे छोटे बेटे बाबा साहेब को बहुत बढ़ाया.
बता दें रामजी सकपाल के 14 बच्चे थे. जिनमे से 7 की कम में ही मृत्यु हो गई थी. रामजी सकपाल ने अपने सभी बच्चों को पढना-लिखना सिखाया था. लेकिन लेकिन चारों लड़कियों की कम उम्र में शादी के कारण उनकी स्कूली शिक्षा भी पूरी नहीं हुई थी. और दो बेटों ने अपनी पढाई पूरी नहीं की. रामजी सकपाल का सबसे छोटा बेटा, जिसने आपनी उच्च शिक्षा भी प्राप्त हुई.
रामजी सकपाल ने अपने सबसे छोटे बेटे की शिक्षा के लिए बहुत संघर्ष किये है. जब भी बाबा साहेब की परीक्षा होती थी पढने के लिए रात में बाबा साहेब के साथ उनके पिता भी जगते थे. उनके पिता सेना से रिटायर होकर आ चुके थे, उनकी सैलरी ने घर का ही काम मुश्किल से चलता था. लेकिन फिर भी रामजी सकपाल अपने बेटे बाबा साहेब के लिए किताबे लाते थे.
एक बार रामजी सकपाल के पास बाबा साहेब की किताबी के लिए पैसे नहीं थे. जिसके लिए रामजी सकपाल ने अपनी बहन से पैस मांगे, उनकी बहन के पास भी पैसे न होने की स्थति में रामजी सकपाल में बाबा साहबे की किताबों के लिए अपनी बहन के गहने गिरवी रख दिए थे. जब उनकी पेंसन के पैसे आए जब आपनी बहन के गहने वापिस छुटवाएं थे.
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