देश की बड़ी परीक्षाओं में से एक UPSC (संघ लोक सेवा आयोग) अर्थात सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा 2021 का परिणाम 30 मई, सोमवार को घोषित कर दिया गया। जिसमें उत्तरप्रदेश की श्रुति शर्मा टॉपर रहीं। वहीं दूसरे और तीसरे स्थान पर भी देश की बेटियां अंकिता अग्रवाल और मामिनी सिंगला का कब्जा रहा। हालांकि इन सब के बावजूद एक नाम जो सबसे ज्यादा UPSC परिणाम के आने के बाद सबसे ज्यादा सुर्खियों में है, वो है राजस्थान के श्रीगंगानर के 26 वर्षीय रवि कुमार सिहाग (Ravi Kumar Sihag), जिन्होनें हिंदी माध्यम (Hindi Medium) में टॉप किया है। रवि कुमार को UPSC 2021 में 18वां हासिल हुई है। बता दें , Ravi Kumar Sihag ने हिंदी माध्यम से 4 प्रयासों में 3 बार UPSC की परीक्षा पास कर एक नया कृतिमान स्थापित कर दिया है, जिसको तोड़ना फिलहाल किसी के लिए भी बहुत मुश्किल हो सकता है क्यूंकि रवि को अपने तीनों UPSC परिणामों में कम रैंक आई है।
रवि पहले प्रयास में ही सफल हुए थे
रवि कुमार सिहाग ने अपना UPSC का पहला प्रयास 2018 में दिया था और पहले ही प्रयास में सफल होने के साथ-साथ हिंदी माध्यम के वो टॉपर भी बन गए थे। आपको बता दें , 2018 में रवि को 337वीं रैंक मिली थी और भारतीय रक्षा लेखा सेवा (IDAS) कैडर मिला फिर इनको अपने दूसरे प्रयास 2019 में 317वीं रैंक हासिल हुई, साथ ही भारतीय रेल यातायात सेवा (IRTS) कैडर मिला। 2020 में इन्होनें फिर IAS बनने के लिए परीक्षा दी, हालांकि मुख्य परीक्षा नहीं पास कर पाएं, लेकिन IAS बनने के सपने को पूरा करने के लिए ये लगातार मेहनत करते रहे, जिसका परिणाम रवि को 2021 में जाकर मिला। इस बार रवि ना सिर्फ IAS बनें जबकि 18 वां रैंक लाकर हिंदी माध्यम के टॉपर भी बन गए, जो आपने आप में बहुत बड़ी बात है क्यूंकि UPSC में अंग्रेजी माध्यम के छात्रों का दबदबा माना जाता है और इस बार भी UPSC में 17वीं रैंक तक टॉपर्स अंग्रेजी माध्यम के छात्र हैं। हिंदी माधयम के छात्रों के लिए 100 रैंक के अंदर आ जाना ही सबसे बड़ी बात होती है।
साधारण परिवार से आते है रवि
रवि कुमार सिहाग का जन्म श्रीगंगानगर जिले के श्रीविजयनगर तहसील के गांव 3 DAM में एक साधारण किसान परिवार हुआ था। अपनी तीन बड़ी बहनों के रवि इकलौते भाई है। वो अपनी तीनों बहनों से छोटे हैं। रवि के द्वारा तीसरी बार UPSC एग्जाम क्रेक करने पर परिवार में जबरदस्त खुशी और उत्साह का माहौल है। रवि के पिता राम कुमार सिहाग मात्र मैट्रिक पास है और किसानी करते हैं, तो वही रवि की माता विमला देवी भी सिर्फ 8 वीं पास है और घर गृहस्थी चलाती हैं। रवि सिहाग की सबसे बड़ी बहन का नाम पूनम हैं, मंझली बहन रविना सिहाग हैं, जो श्रीगंगानगर जिले में ही अंग्रेजी विषय की शिक्षक हैं तो सबसे छोटी बहन कोमल सिहाग हैं जो आंगनबाड़ी सुपरवाइजर हैं।
पिता के साथ खेतों में काम भी किया
रवि अपनी BA की पढ़ाई पूरी करने तक पिताजी के साथ गांव में खेतों में काम भी करता था। वे पिताजी खेती, सिंचाई या फिर गांव की समस्या लेकर अक्सर गांव वालों के साथ कलेक्ट्री जाते थे। ताकि कलेक्टर उनकी समस्या का समाधान कर सके। उस वक्त पिताजी और गांव वालो से कलेक्टर की तारीफ सुनकर मैंने ठान लिया था कि मैं भी कलेक्टर बनके लोगों की समस्या का समाधान करूंगा। लेकिन UPSC में अपने शुरुआती प्रयास में कलेक्टर नहीं बन पाया। लेकिन उन्होनें हिम्मत नही हारी और लगातार मेहनत करते रहें और आखिरकार 2022 में जाकर रवि का बचपन का IAS बनने का सपना पूरा हो गया।
अंग्रेजी को दरकिनार नहीं कर सकते-रवि
रवि कुमार सिहाग ने अपने एक इंटरव्यू में UPSC परीक्षा में तैयारी को लेकर हिंदी और इंग्लिश भाषा में होने वाले टकराव को स्पष्ट करते हुए बताया कि हिंदी मीडियम चुनना और उससे परीक्षा देना ठीक है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आपको इंग्लिश नहीं सीखनी होगी। इस परीक्षा में सफलता हासिल करने और आगे काम-काज देखने के लिए इंग्लिश एक मुख्य जरूरत है। इसलिए इसे इग्नोर न करें और न ही यह सोचें कि आप हिंदी मीडियम के हैं तो अंग्रेजी सीखने की आपको कोई आवश्यकता नहीं। अंत में बस इतना ही कि इस परीक्षा को लेकर कैंडिडेट्स के मन में कई प्रकार की भ्रांतियां है उनमें से एक है कि यह परीक्षा बहुत कठिन है और इसे आसानी से पास नहीं किया जा सकता। रवि कहते हैं कि सभी का अपना सोचना होता है पर उन्हें ऐसा लगता है कि यह परीक्षा पास करना इतना भी कठिन नहीं। सही अपरोच के साथ सही दिशा में बढ़ने और कड़ी मेहनत के साथ कोई भी इस परीक्षा को पास कर सकता है। रवि कहते हैं कि अगर मैं कर सकता हूं तो कोई भी कर सकता है।
हिंदी से घबराएं नहीं
इसके बाद रवि ने कहते हैं कि कैंडिडेट्स अक्सर हिंदी माध्यम को लेकर कांफिडेंट फील नहीं करते जबकि ऐसा नहीं है। आपका माध्यम क्या है इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता। मेरा माध्यम तो हिंदी था ही साथ ही ऑप्शनल भी हिंदी लिटरेचर था, इसके बावजूद मैंने न केवल परीक्षा पास की बल्कि ऑप्शनल में बहुत बढ़िया अंक भी हासिल किए और UPSC का हिंदी माध्यम का टॉपर बना। हिंदी टॉपर रवि दूसरे कैंडिडेट्स को सलाह देते हैं कि इन फालतू चीजों में अपना समय न गंवाएं कि आपका माध्यम क्या है या आप पहले पढ़ाई में अच्छे नहीं थे। इस एनर्जी को परीक्षा की तैयारी में लगाएं तो ज्यादा लाभ मिलेगा। किसी अंग्रेजी माध्यम के कैंडिडेट्स को सफलता पाने के लिए जितने पापड़ बेलने पड़ते हैं, उतने ही आपको भी बेलने होंगे। UPSC परीक्षा में माध्यम कभी रुकावट नहीं बनता है।