कोरोना वायरस की महामारी जब से फैली है तब से एक संस्था का नाम काफी बार दोहराया जा रहा है और वो संस्था है विश्व स्वास्थ्य संगठन या WHO, जो कि संयुक्त राष्ट्र का हिस्सा है। इस संगठन के 194 सदस्य देशों में 150 कार्यालय है। पूरे संगठन में लगभग 7 हजार कर्मचारी कार्यरत है। हम आगे जानेंगे कि WHO का क्या उद्देश्य है और क्या अहम काम हैं इसके। इस संगठन के बारे में आज हम जानेंगे सबकुछ विस्तार से जानते है…
कब बना ये संगठन?
विश्व स्वास्थ्य संगठन एक वैश्विक स्वास्थ्य एजेंसी है, जिसका मुख्य काम दुनियाभर में स्वास्थ्य समस्याओं पर अपनी नजरें गड़ाए रखना है। उन समस्याओं का समाधान निकालने में मदद करना है। WHO को 7 अप्रैल 1948 में स्टैब्लिश किया गया। ऐसे में मौजूदा वक्त में हर साल 7 अप्रैल को विश्व स्वास्थ्य दिवस के तौर पर मनाया जाता है। इसका हेडक्वार्टर स्विट्जरलैंड के जिनीवा शहर में है। WHO की स्थापना के दौरान 61 देशों ने इसके संविधान पर हस्ताक्षर किए जिसकी पहली मीटिंग साल 1948 में 24 जुलाई को हुई।
किन-किन बीमारियों पर किया काम?
WHO ने अपनी स्थापना के बाद से कई बड़ी बीमारियों के अंत में बड़े अहम रोल निभाए। स्मॉल पॉक्स बीमारी को खत्म करने में संगठन की बड़ी भूमिका रही और फिलहाल WHO एड्स, इबोला, टीबी जैसी बीमारियों की रोकथाम पर अपने काम को जारी किए हुए हैं। संचारी रोग नियंत्रण, नवजात, मातृ, बाल और किशोर स्वानस्यी, असंचारी रोग जैसी बीमारियों की रोकथाम की दिशा में यह संगठन काम करता है।
कौन हैं WHO का मौजूदा डायरेक्टर?
वर्ल्ड हेल्थ रिपोर्ट के लिए WHO जिम्मेदार होता है, पूरी दुनिया से जुड़ी स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों का जिसमें एक सर्वे किया जाता है। जनरल ट्रेड्रॉस एडोनम जो WHO के मौजूदा डायरेक्टर है और जिन्होंने अपना पांच साल का कार्यकाल 1 जुलाई 2017 से शुरू किया। 3 मार्च, 1965 को पैदा हुए टेड्रोस इथोपिया के हैं और वो एक माइक्रोबायोलॉजिस्ट हैं। टेड्रोस इंटरनेशनल लेवल के Recognized मलेरिया रिसर्चर भी हैं।
भारत कब बना इसका सदस्य?
अब विश्व स्वास्थ्य संगठन को भारत के संदर्भ में थोड़ा जान लेते हैं। इस संगठन का भारत भी सदस्य देश है। 12 जनवरी, 1948 को भारत WHO का सदस्य बना था। जिसका मुख्यालय देश की राष्ट्रीय राजधानी नई दिल्ली में है। इसके अलावा जानना ये भी होगा कि WHO का दक्षिण-पूर्व एशिया का Regional office भी नई दिल्ली में ही स्थित है। भारत में WHO के किए गए स्वास्थ्य संबंधी कोशिशों पर गौर कर लेते हैं।
भारत में इन बीमारियों पर काम
साल 1967 में भारत में दर्ज चेचक के कुल मामले विश्व के कुल मामलों के करीब 65% थे। जिसमें 26,225 मामलों में मरीज की मौत हुई जिससे भविष्य के संघर्ष की तस्वीर दिखने लगी। साल 1967 में गहन चेचक उन्मूलन कार्यक्रम यानि Intensified Smallpox Eradication Programme WHO ने शुरू किया। WHO और Indian government के Coordinated effort से चेचक का उन्मूलन साल 1977 में किया गया।
World Bank के financial और technical से साल 1988 में WHO की शुरू की गई Global Polio Eradication Initiative के संदर्भ में पोलियो रोग के खिलाफ भारत ने मुहिम शुरू की। पोलियो अभियान-2012 की अगर बात करें तो Indian government ने यूनिसेफ, WHO, रोटरी इंटरनेशनल, बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन और Centers for Disease Control and Prevention की साझेदारी से 5 साल से कम एज के हर एक बच्चे को पोलियो से बचाव के लिए टीका लगवाने की जरूरत के बारे में Universal awareness में योगदान दिया। जिसका ये असर हुआ कि भारत को एंडेमिक देशों की लिस्ट से साल 2014 में बाहर किया गया।
कहां से होती हैं संगठन की फंडिंग?
WHO की Organisational Challenges की तरह की हो सकती है। अगर इस बारे में जानने की कोशिश करें तो देशों से Secured financing के बजाय WHO मुख्य तौर पर Rich countries और बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन जैसी संस्थाओं के पेड फंड्स पर डिपेंडेंट है। ऐसे में मौजूदा वक्त में WHO का 80% वित्त उन कार्यक्रमों से जुड़े हैं जिन्हें फंड देने वालों द्वारा चुना जाता है। WHO के अहम कार्यक्रम Under financed हैं क्योंकि इन कार्यक्रमों को तय करने में फंड देने वाली संस्थाओं के साथ ही रिच और डेवलप्ड कंट्रीज के बीच हितों का टकराव होता है।
ऐसे में Global health sector में एक Representative के तौर WHO का रोल वर्ल्ड बैंक जैसे अन्य Inter-governmental bodies और Large establishments के द्वारा Replaced किया गया है।
पश्चिम अफ्रीका में साल 2014 में फैली इबोला महामारी को खत्म करने में के अपर्याप्त प्रदर्शन के बाद इसकी प्रभावकारिता पर सवाल खड़े होने लगे। WHO में Financing, Planning, Employees और Officials की कमी भी इस संगठन की एक बड़ी चुनौती है।