Satpal Singh Arora LLB: चित्तौड़गढ़ (Chittaurgarh) जिले के प्रतापगढ़ के 81 वर्षीय निवासी सतपाल अरोड़ा ने यह साबित कर दिया है कि सीखना कभी बंद नहीं होता। चालीस साल बाद, वे कॉलेज वापस लौटे हैं और अब कानूनी शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। उनकी जिज्ञासा और बहादुरी ने कॉलेज के शिक्षकों के साथ-साथ उनके सहपाठियों को भी प्रेरित किया है।
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81 वर्षीय सरपाल (81 year old LLB student) का कहना है कि उनका जन्म 3 फरवरी, 1945 को हुआ था और वे 1972 के बीए टेस्ट में एक विषय में फेल हो गए थे। दस साल बाद, उन्होंने परीक्षा दी और स्नातक की डिग्री हासिल की। वे 40 साल बाद कानूनी शिक्षा प्राप्त करने के लिए कॉलेज वापस लौटे हैं।
नई पीढ़ी के साथ पढ़ाई का जुनून (Satpal Singh Arora LLB)
सतपाल अरोड़ा ने 40 साल पहले एमए की पढ़ाई पूरी की थी। अब उन्होंने अपने जीवन को नई दिशा देते हुए एलएलबी (Law education) प्रथम वर्ष में दाखिला ले लिया है। अरोड़ा नियमित रूप से कक्षाओं में जाते हैं और अपनी आधी उम्र के छात्रों के साथ बैठकर पढ़ाई करते हैं। उनकी मेहनत और अनुशासन ने सभी का दिल जीत लिया है।
सतपाल अरोड़ा का मानना है कि जीवन में कुछ नया सीखने की ललक कभी खत्म नहीं होनी चाहिए। वे कहते हैं, “उम्र किसी भी काम में बाधा नहीं बननी चाहिए। शिक्षा न केवल ज्ञान का स्रोत है, बल्कि यह जीवन को नई ऊर्जा और उद्देश्य भी प्रदान करती है।”
पिछले अनुभव और नई शुरुआत
1972 में बीए की पढ़ाई के दौरान एक विषय में फेल होने के बाद उन्होंने 10 साल बाद इसे पूरा किया। अब 40 साल बाद उन्होंने अपने जीवन का नया अध्याय शुरू किया है। उनका लक्ष्य एलएलबी करने के बाद पीएचडी करना है। इसके अलावा वह अपने परिवार के साथ खुशहाल जीवन जीते हुए खुद ही अपना केस लड़ना चाहते हैं।
लॉ कॉलेज में उत्साह
जब सतपाल अरोड़ा (81 year old Satpal Arora Story) चित्तौड़गढ़ के धनेत मार्ग स्थित लॉ कॉलेज में एडमिशन लेने पहुंचे तो उनकी उम्र को लेकर हलचल मच गई। लेकिन प्रिंसिपल एसडी व्यास और स्टाफ उनके जुनून से प्रभावित हुए। वह नियमित रूप से क्लास अटेंड कर रहे हैं और अपने सहपाठियों से ज्यादा अनुशासित हैं।
शिक्षा के प्रति जुनून से प्रेरित जीवन
सतपाल अरोड़ा का जीवन उन लोगों के लिए प्रेरणा है जो मानते हैं कि उनकी शिक्षा का समय खत्म हो गया है। उनकी कहानी यह संदेश देती है कि सीखने की ललक कभी खत्म नहीं होनी चाहिए।
अपना केस खुद लड़ूंगा
सतपाल अरोड़ा का कहना है कि उनका एक ज़मीन का केस चल रहा है, जिसे वह एलएलबी करने के बाद खुद लड़ेंगे। उनका यह कदम यह भी दर्शाता है कि शिक्षा न केवल व्यक्तिगत विकास का बल्कि आत्मनिर्भरता का भी साधन है।
समाज के लिए प्रेरणा
81 वर्षीय सतपाल अरोड़ा की यह कहानी हर आयु वर्ग के लोगों को अपने सपने पूरे करने और जीवन में सक्रिय रहने के लिए प्रेरित करती है। उनका यह कदम यह साबित करता है कि ज्ञान की कोई सीमा नहीं होती और सीखने का मार्ग कभी खत्म नहीं होता।
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