अक्सर आपने देखा होगा कि लोग शादियों में या बड़े बड़े फंक्शन में फायरिंग कर देते हैं हवा में. ये दिखने के लिए की हमारी शानों शौकत और हमारा रिवाज़ है. लेकिन कभी कभी ये घटे का सौदा भी साबित होता है कई लोगों की जाने भी गई है लेकिन इन मौतों से इन हरकतों पर कोई लगाम नहीं लगा है अब तक. खैर जो करते हैं शौंक से करें लेकिन ध्यान रहे कानून अंधा हो सकता है लेकिन सुना है हाथ और कान दोनों बहुत बड़े होते हैं. जो एक देश के किसी जिले के किसी तहसील के गाँव में एक सुई भी ढूढने में लग जाते हैं तो निकाल कर ही दम लेते हैं. खैर अब देश में इन सब हरकतों को लेकर कानून भी आ गया है था तो पहले से ही लेकिन उसमे कुछ तब्दीली हो गयी है.
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हर्ष फायरिंग की घटनाएं थम जाएं, होने न पाएं इसे लेकर शासन ने गंभीर रुख अख्तियार किया है. आयुध अधिनियम 2019 का पालन सख्ती से कराने का निर्देश दिया है. आयुध (संशोधन) अधिनियम 2019 के नए प्रावधानों को सख्ती से लागू किया जा रहा है. अब किसी पर हर्ष फायरिंग का केस दर्ज हुआ तो नए प्रावधानों के तहत सजा दी जाएगी. इसके तहत अब दो वर्ष की सजा और एक लाख रुपये जुर्माना का है प्रावधान.
पिछले 3 साल में बढ़ी घटनाएं
हाल के महीनों में राज्य के विभिन्न जिलों में हर्ष फायरिंग की घटनाएं बढ़ी हैं. शादी समारोह, तिलक समारोह, चुनाव में जीत, जन्मदिन उत्सव और पार्टियों में हर्ष फायरिंग की घटनाओं में कई लोगों की जान जा चुकी है.
एडीजी ने अपने पत्र में शस्त्र (संशोधन) अधिनियम 2019 की धारा 25 (9) की चर्चा की है और बताया है कि उस संशोधन अधिनियम के तहत जो कोई भी आग्नेयास्त्र का उपयोग उतावले या लापरवाही से या हर्ष फायरिंग करता है, जिससे मानव जीवन या दूसरों की व्यक्तिगत सुरक्षा को खतरा हो, एक अवधि के कारावास से जो दो साल तक बढ़ाया जा सकता है और जुर्माना जो एक लाख रुपये तक हो सकता है, या दोनों के साथ दण्डनीय है.
इस धारा के अंतर्गत दर्ज होगा मुकदमा
झगड़े में हवाई फायर करने पर 3 माह नहीं 3 से 7 साल तक की सजा हो सकती है. गोली चलाने पर अब मामला भारतीय कानून की धारा 336 की बजाय 308 के तहत दर्ज किया जाएगा. धारा 308 में 3 से 7 साल तक की सजा का प्रावधान है. जबकि धारा 336 में केवल 3 माह का सजा का प्रावधान था. थाने से आसानी से जमानत भी मिल जाती थी.
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प्रतिबंधित बोर पर 14 साल जेल
प्रतिबंधित बोर (सेना और पुलिस के हथियारों के बोर) के हथियार रखने पर कम से कम सात वर्ष और अधिकतम 14 वर्ष की सजा मिलेगी. मौजूदा शस्त्र कानून, 1959 में यह सजा पांच वर्ष थी जिसे 10 वर्ष तक बढ़ाया जा सकता था. कानून में पुलिस या सशस्त्र बलों से लूटे गए हथियार रखने पर उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान किया गया है. संगठित अपराध सिंडीकेट यदि शस्त्र लेकर जाएंगे तो उन्हें कम से कम 10 वर्ष व अधिकतम उम्रकैद की सजा दी जाएगी.
देशभर में 35.8 लाख लाइसेंसी हथियार
गृह मंत्रालय के अनुसार देश में नवंबर 2018 तक 35, 87, 016 लाइसेंसी हथियार हैं जिनमें पिस्तौल, .38 रिवाल्वर,12 बोर बंदूक, 315 बोर की राइफलें शामिल हैं. सबसे ज्यादा लाइसेंसी हथियार जम्मू- कश्मीर (3859 शस्त्र प्रति लाख जनसंख्या), पंजाब 1390, हिमाचल 1331, यूपी 644 और एमपी 365 शस्त्र प्रति लाख जनसंख्या में हैं.
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