Water Policy and Ambedkar – जब भी हम भारत की सामाजिक, आर्थिक या राजनैतिक तौर पर बात करते है और डॉ. बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की बात नहीं आती तो ऐसा लगता है कि कुछ छुट गया है. डॉ. अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1892 एक दलित परिवार में हुआ था. उनका जिस जाति में जन्म हुआ, उस जाति को अछूत माना जाता था. उस समय कोई सोच भी नहीं सकता था, आगे चलकर यह दलित बच्चा देश के सामाजिक, आर्थिक और राजनैतिक फैसलों में शामिल होगा. लेकिन शिक्षा और सघर्ष ऐसी चीज़ है जो इंसान के व्यक्तित्व को निखर देती है उसे कामयाब बना सकती है. डॉ. भीमराव ने शिक्षा और संघर्ष कभी नहीं छोड़ा. जिसके चलते जिस दलित जाति के लोगों की समाज, अर्थव्यवस्था और राजनीति में कोई हिस्सेदारी तक नहीं थी उनके बीच से निकलकर बाबासाहेब आधुनिक भारत के निर्माता बने और सामाजिक आर्थिक राजनीतिक मुद्दों का अहम विषय बने.
और पढ़े : जानिए बाबा साहेब ने गावं को क्यों बताया “दलितों का बूचड़खाना”?
दोस्तों, हम आपको बता दे कि डॉ. अंबेडकर एक समाज सुधारक के साथ कुशल राजनीतिज्ञ और अर्थशास्त्री भी थे. उनके पास बीए, एमए, एम एच सी, पीएचडी, बैरिस्टर आदि के साथ कुल 32डिग्रियां थी तथा वे 9 भाषाओं का ज्ञान भी था. क्या आप जानते है कि अंबेडकर अर्थशास्त्र में पीएचडी करने वाले प्रथम भारतीय थे. भारतीय अर्थव्यवस्था की समस्या वित्तीय प्रणाली और रुपए मुद्रा पर उनके कई महत्वपूर्ण काम हैं. आईये आज हम उनके आधुनिक भारत की जलनीति के निर्माता के बारे में आपको बतायेंगे.
आधुनिक भारत की जलनीति का किया निर्माण
क्या आप जानते है कि डॉ. भीमराव जुलाई 1942 से जून 1946 तक वायसराय की कार्यकारी परिषद के सदस्य रहे है. इस कायर्काल में इन्होने राष्ट्र निर्माण की दिशा में बहुत कुछ काम किया था. इस समय बाबा भीमराव ने दामोदर नदी की भयानक स्थिति को देखकर, दामोदर प्रकल्प के बारे में सोचा. जिसके चलते दामोदर प्रकल्प पर 3 जनवरी 1945 को कोलकाता के सचिवालय में पहली बैठक हुई थी. जिस बैठक में बंगाल सरकार, बिहार सरकार, और तत्कालीन केंद्रीय मध्यवर्ती सरकार के कई प्रतिनिधि शामिल हुए थे.
डॉ. भीमराव ने दामोदर नदी प्रकल्प पर आधारित तीन परिषदों का नेतृत्व किया था. इन बैठकों में बाढ़ नियंत्रण और उसके सुरक्षा के बारे में क्या योजना होनी चाहिए, प्रकल्प के कारण नदी का नियंत्रण कैसा होना चाहिए, सूखे से कैसे निपटेंगे, विद्युत निर्माण कैसे किया जाएगा, इन मुद्दों पर डॉ. अंबेडकर के पास विभिन्न योजनाएं थी. हम आपको बता दे कि इसी लिए डॉ. अंबेडकर के नेतृत्व में डैम के निर्माण की परियोजना ने अच्छी प्रगति की और 1945 में प्रारंभिक इंजीनियरिंग खाका तैयार हुई और इसे मान्यता भी दिलाई.
हीराकुंड बांध परियोजना
हीराकुंड बांध उड़ीसा के महानदी पर स्थित है, जो नहीं की चौड़ाई जितना (25.8 किलोमीटर) लंबा है, यह भारत के आजादी के बाद शुरू हुई, पहली प्रधान बहुउद्देशीय नदी घाटी परियोजनाओं में से एक थी. 1945 में डॉ आंबेडकर की अध्यक्षता में बहुउद्देशीय उपयोग के लिए महानदी को नियंत्रित करके, उसे होने वाले लाभ को देखते हुए, यह निर्णय लिया गया था. इस तरह डॉ. अंबेडकर की अध्यक्षता में यह बांध 1957 में बना.
भाखड़ा नांगल परियोजना
डॉ. भीमराव जी (Water Policy and Ambedkar) ने ऐसे ही जलनीति के तहत 1948 में भाखड़ा नांगल परियोजना की भी शुरुवात की थी. जो सिंधु नदी और सतलज नदी पर बनाया गया था. यह परियोजना 1968 में पूरी हुई थी. सोन नदी घाटी परियोजना जैसी परियोजनाओं का पूरा योगदान डॉ. भीमराव को जाता है.
इन योगदानों के साथ डॉ. भीमराव ने हमारे देश की अर्थव्यवस्था के लिए और भी योगदान दिया जैसे- ट्रेड यूनियंस को मान्यता रोजगार कार्यालय की स्थापना, कर्मचारी राज्य बीमा, महंगाई भत्ता, हेल्थ इंश्योरेंस, प्रोविडेंट फंड, राष्ट्रीय कल्याण कोष, वित्त आयोग का गठन, तकनीकी परीक्षण योजना, सेंट्रल सिंचाई आयोग, सेंट्रल तकनीकी पावर बोर्ड आदि आर्थिक योगदान डॉ. अंबेडकर द्वारा दिया गया है.
और पढ़े : बाबा साहेब के नाम पर रखे गए भारत के इन 5 विश्वविद्यालयों के नाम, यहां जानिए हर एक डिटेल