अमेरिकी के एक शख्स कैनेथ स्मिथ को कई साल पहले हत्या के एक मामले में दोषी पाया गया और इस अपराध के लिए उसे मृत्युदंड मिला. कोर्ट के आदेश में लिखा गया था कि स्मिथ को अलबामा में नाइट्रोजन हाइपोक्सिया के जरिए मौत दी जाएगी और ये सजा उन्हें दूसरी बार मिली है. जिसका अब विरोध हो रहा है.
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मौत देने की कोशिश हुई असफल
जानकारी के अनुसार, हत्या के मामले में मृत्युदंड पाने वाले कैनेथ स्मिथ को साल साल 2022 में जहरीला इंजेक्शन देकर मौत देने की कोशिश हुई थी लेकिन ये कोशिश असफल हो गयी. इसके बाद कुछ समय के लिए सजा टाल दी गई थी. ये सब कुछ डेथ चैंबर के भीतर हुआ, जिसमें मेडिकल और पुलिस अधिकारियों के अलावा कोई नहीं था. इसके बाद से ही मानवाधिकार आयोग इसपर बात करने लगा. अब यूनाइटेड नेशन्स के एक्सपर्ट स्मिथ की सजा का विरोध कर रहे हैं.
रिपोर्ट के अनुसार, पहली वजह ये है कि एक्सपर्ट नाइट्रोजन से मौत को बेहद क्रूर मान रहे हैं. उनका कहना है कि इससे अपने आखिरी समय में भी शख्स काफी तकलीफ में रहेगा, वहीं विरोध का दूसरा कारण ये है कि स्मिथ को पहले ही मौत की सजा देने की एक कोशिश हो चुकी है. इससे बचने के बाद दोबारा सजा देने का जिक्र संविधान में नहीं है.अमेरिका में मौत की सजा सोडियम थियोपेंटल का इंजेक्शन लगाकर दी जाती है. कुछ ही सेकंड्स के भीतर ब्रेन से लेकर मुख्य अंगों तक पहुंच जाती है और मौत हो जाती है.
जानिए भारत में क्या है कानून
भारत को मौत की सजा मिलने के दौरान जेल में फांसी पर लटकाया जाता है पहले मौत की सजा सुनाने के कोर्ट फैसला देते हुए लिखता था टू बी हैंग्ड बाय नेक. वहीँ इस दौरान अगर रस्सी टूट जाए या किसी भी तरह से फांसी की सजा फेल हो जाए तो उसे दोबारा दंडित नहीं किया जा सकता. वहीँ इसके बाद में इसमें चेंज किया गया कि और अब कोर्ट फैसला सुनाते हुए लिखता है टू बी हैंग्ड बाय नेक, टिल डेथ. यानी मौत तक फांसी पर लटकाए रखना है. वहीं अब फांसी देने के लिए एक्सपर्ट जल्लाद ही काम करते हैं जल्लाद ही रस्सी तैयार करते हैं. इसी के साथ कैदी का वजन लिया जाता है. वहीं जल्लाद जेल के अन्दर फंसी की सजा देने की प्रक्टिस भी करते हैं उतने ही वजन के पुतले को फांसी पर चढ़ाने की प्रैक्टिस की जाती है ताकि सजा दी जा सके.