बीती रात देश के सबसे बड़े उद्योगपति रतन टाटा इस दुनिया को अलविदा कह गए. लेकिन उनकी यादें और उनके महान काम हमेशा आने वाली पीढ़ियां याद रखेंगी. रतन टाटा के ईमानदारी, नैतिक नेतृत्व और परोपकार के कई किस्से है. चलिए आज हम आपको इस लेख में बिज़नेस टाइकून रतन टाटा के जीवन का एक बेहद दिलचस्प किस्सा बताते हैं
राजघराने के बुलावे पर नहीं पहुंचे
भारत के दिग्गज उद्योगपति रतन टाटा (Ratan Tata) का बुधवार रात को निधन हो गया. यह बात सुनते ही देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी संग कई बड़े बिजनेसमैन ने उन्हें श्रदांजलि दी और उनसे जुड़े बेहतरीन किस्सों को शेयर किया..मशहूर बिजनेसमैन सुहैल सेठ ने उनकी इंसानियत से जुड़ा एक दिल छू लेने वाला किस्सा शेयर किया. सुहैल सेठ ने एक इंटरव्यू में बताया था कि साल 2018 में ब्रिटिश राजघराना, रतन टाटा को लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित करना चाहता था. खुद प्रिंस चार्ल्स उन्हें इस खिताब से नवाजने वाले थे. लेकिन, रतन टाटा ने आने से इनकार कर दिया और उसके पीछे जो वजह दी, जो प्रिंस चार्ल्स के दिल को छू गई.
सुहैल सेठ ने यह दिलचस्प किस्सा सुनाते हुए कहा, 6 फरवरी 2018 को ब्रिटेन में प्रिंस चार्ल्स, रतन टाटा को लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित करने जा रहे थे. यह भव्य आयोजन बकिंघम पैलेस में होने वाला था. मैं 3 फरवरी को लंदन एयरपोर्ट पर उतरा. इस दौरान मैंने फोन चेक किया तो मेरे मोबाइल पर रतन टाटा के 11 मिस्ड कॉल थे.” जब मैंने उन्हें कॉल बैक किया तो रतन टाटा ने कहा, सुहैल मैं इस अवार्ड फंक्शन में नहीं आ पाऊंगा. टैंगों और टिटो बीमार हैं इसलिए मैं इस अवार्ड फंक्शन में नहीं आ सकता. क्योंकि मैं उन्हें इस हालत में अकेला नहीं छोड़ सकता हूं.” मै यह बात सुनकर हैरान हो गया कि इतने बड़े आयोजन में रतन टाटा इसलिए नहीं आ रहे हैं कि उनके डॉग्स बीमार हैं. सुहैल सेठ ने आगे बात करते हुए कहा जब मैंने यह बात प्रिंस चार्ल्स को बताई तो उन्होंने कहा कि ‘That’s a Man.
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रतन टाटा की बेइज्जती
वही, एक किस्सा यह भी है जब टाटा की कार के कारोबार को बेचने के लिए रतन टाटा साल 1999 में अमेरिका की बड़ी कार कंपनी फोर्ड के साथ डील के लिए अमेरिका पहुंचें. तब फोर्ड के साथ डील की बातें चल रही थी. फोर्ड के चेयरमैन बिल फोर्ड ने भरी मीटिंग में रतन टाटा की बेइज्जती ये कहते हुए किया कि कार बनाना आपके बस की बात नहीं. आपको इसका ज्ञान नहीं तो इसका बिजनेस शुरू ही नहीं करना चाहिए था. फोर्ड का कहना था कि वे यह डील कर के टाटा पर एहसान ही करेंगे. बिना कुछ बोले रतन टाटा अपमान का घूंट पीकर चुपचाप वहां से चले आए. साल बदले और दिन भी. उन्होंने इस अपमान तो सफलता की सीढ़ी बना ली और रतन टाटा ने फैसला लिया कि वे कार प्रोडक्शन यूनिट नहीं बेचेंगे. और आज के समय में टाटा ऑटो सेक्टर में कहाँ पहुंच चुका है, यह बताने की आवश्यकता नहीं है.
लेकिन आज बात सिर्फ रतन टाटा की ही नहीं बल्कि उस कंपनी की भी होनी चाहिए जिसके लिए उन्होंने दिग्गज कंपनी आईबीएम का ऑफर तक ठुकरा दिया था. यह कंपनी रतन टाटा के बेहद करीब थी. इसी के जरिए उन्होंने अपने करियर की शुरूआत की थी. टाटा ग्रुप की ये कंपनी कोई और नहीं बल्कि टाटा स्टील है. फ्लोर शॉप से शुरूआत करने वाले रतन टाटा को साल 1991 में पूरे टाटा ग्रुप की कमान सौंपी गई. उसके बाद से रतन टाटा के नेतृत्व में टाटा ग्रुप भारत के साथ-साथ दुनिया में भी अपना कद बढ़ाते गया. करीब-करबी हर क्षेत्र में टाटा ग्रुप के विस्तार के पीछे रतन टाटा के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता.
रतन टाटा ने क्यों नहीं की शादी
आपको बता दें कि प्यार होने के बाबजूद भी रतन टाटा ताउम्र अविवाहित रहे. वह चार बार शादी करने के करीब आए, लेकिन विभिन्न कारणों से शादी नहीं कर सके. उन्होंने एक बार स्वीकार किया था कि जब वह लॉस एंजिल्स में काम कर रहे थे, तब एक समय ऐसा आया जब उन्हें प्यार हो गया था. लेकिन 1962 के भारत-चीन युद्ध के कारण लड़की के माता-पिता उसे भारत भेजने के विरोध में थे. जिसके बाद उन्होंने कभी शादी नहीं की.
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