7,000 करोड़ का कारोबारी साम्राज्य खड़ा करने वाली इस महिला को अपनी ही कंपनी से निकाला गया, लगे गंभीर आरोप

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The failure story of Ankiti Bose, founder of ₹7,000 crore valuation Zilingo
Source: Google

आज तक आपने अर्श से फर्श तक पहुंचने की कई कहानियां और किस्से सुने होंगे, लेकिन आज जो कहानी हम आपको बताने जा रहे हैं वो बेहद अलग है। इस कहानी में एक महिला 7000 करोड़ रुपये का बिजनेस खड़ा करती है और बाद में हालात ऐसे बन जाते हैं कि उसे अपनी मेहनत से बनाए बिजनेस से बाहर कर दिया जाता है। इतना ही नहीं उस पर कई आरोप भी लगाए जाते हैं और इन आरोपों के चलते अब वह कोर्ट कचहरी के चक्कर लगा रही है। यह कहानी है जिलिंगो (Zillingo) की संस्थापक और सीईओ अंकिति बोस की, जो कामयाबी तक का सफर तय करने के बाद वापस फर्श पर आ गईं। अंकिति ने अपने स्टार्टअप को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया था। रिपोर्ट्स के मुताबिक जिलिंगो ने 2019 में करीब 7,000 करोड़ रुपये का वैल्यूएशन हासिल किया था। इसकी सफलता में अंकिति बोस की अहम भूमिका रही। अंकिति बोस ने न केवल 2018 में फोर्ब्स एशिया की 30 अंडर 30 सूची में जगह बनाई, बल्कि 2019 में फॉर्च्यून की 40 अंडर 40 और ब्लूमबर्ग 50 में भी जगह बनाई। लेकिन जब ये कामयाबी उनके सिर चढ़ने लगी जिसके बाद उन्होंने एक के बाद एक कई गलतियां कीं, जिसकी कीमत उन्हें अब चुकानी पड़ रही है।

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अंकिति का प्रारंभिक जीवन

देहरादून में जन्मी अंकिती ने मुंबई के कैम्ब्रिज स्कूल से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की। उन्होंने सेंट जेवियर्स कॉलेज, मुंबई से स्नातक की पढ़ाई भी पूरी की। स्नातक की डिग्री हासिल करने के बाद अंकिती बोस को बेंगलुरु में मैकिन्से एंड कंपनी और सिकोइया कैपिटल में नौकरी मिल गई। बेंगलुरु के स्थानीय बाजार में घूमते हुए उन्हें लगा कि कई छोटे दुकानदार हैं जिन्हें ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर आने की जरूरत है। इसके बाद अंकिती ने सिकोइया कैपिटल में निवेश विश्लेषक की नौकरी छोड़ दी और जिलिंगो की स्थापना करने के लिए प्रेरित हुईं। अंकिती बोस ने ध्रुव कपूर के साथ मिलकर अपना स्टार्टअप शुरू किया।

अपने ही स्‍टार्टअप से न‍िकाला गया

सबकुछ ठीक चल रहा था, लेकिन फिर साल 2022 में बोस को उनकी कंपनी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। उन्हें जिलिंगो के सीईओ पद से हटा दिया गया। कंपनी के एक निवेशक महेश मूर्ति ने अंकिति बोस के खिलाफ 738 करोड़ रुपये की वसूली के लिए केस भी दर्ज कराया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, उन्होंने बोर्ड की मंजूरी के बिना अपनी सैलरी में 10 गुना बढ़ोतरी की। इसके अलावा उन पर विभिन्न वेंडरों को 10 मिलियन डॉलर का अस्पष्ट भुगतान करने का आरोप है।

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