रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग को 20 दिन के करीब हो गए। दिन पर दिन ये जंग और खतरनाक रूप लेती चली जा रही है। एक ओर रूस ने यूक्रेन को पूरी तरह से तबाह करके रख दिया, तो दूसरी ओर दुनिया के तमाम देशों द्वारा रूस पर लगाए जा रहे प्रतिबंधों से उसकी हालत पस्त करने की कोशिश की जा रही है।
सस्ते में कच्चा तेल खरीदेगा भारत?
रूस-यूक्रेन में छिड़ी जंग का असर भारत पर भी होने की संभावना जताई जा रही है। दरअसल, कच्चे तेल के दाम बढ़ने से पेट्रोल-डीजल की कीमतों में इजाफा होने का अनुमान लगाया जा रहा है। हालांकि इस दौरान रूस की तरफ से भारत को एक ऐसा ऑफर दिया गया है, जो भारत के लिए काफी फायदेमंद साबित हो सकता है।
दरअसल, युद्ध के बीच अमेरिका और कई यूरोपीय देशों ने रूस से कच्चा तेल खरीदना बंद कर दिया। ऐसे में अब रूस ने भारत को कम दाम पर कच्चा तेल खरीदने का ऑफर दे दिया है। यानी इससे भारत को सस्ते में कच्चा तेल मिल सकता है। जाहिर सी बात है कि रूस ने ये ऑफर प्रतिबंधों से हो रहे नुकसान को कम करने के लिए दिया है।
लेकिन इस बीच बड़ा सवाल ये है क्या भारत इस ऑफर को स्वीकार करेगा? Reuters की एक रिपोर्ट की मानें तो कुछ अधिकारियों से ये जानकारी मिली है कि भारत अब रूस के ऑफर पर विचार कर रहा है। वैसे रूस ने सिर्फ कच्चा तेल ही नहीं बल्कि अन्य कमोडिटीज को भी सस्ते में देने का ऑफर दिया है। यही नहीं इसका भुगतान भी डॉलर की जगह रुपये को रूबल में कनवर्ट करके होगा।
भारत रूस से 2 फीसदी ही तेल आयात करता है
कुछ आंकड़ों पर गौर करें तो रूस दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा तेल उत्पादक है। वो मुख्य तौर पर यूरोपीय रिफाइनरियों को कच्चा तेल बेचता है। 20 प्रतिशत से भी ज्यादा तेल यूरोप के देश रूस से लेते हैं।
वहीं भारत की बात करें तो वो कच्चे तेल का बड़ा आयातक है। भारत अपनी जरूरत का 85 फीसदी से ज्यादा कच्चा तेल बाहर से खरीदता हैं। भारत सबसे ज्यादा तेल आयात सऊदी अरब और अमेरिका से करता है। इसके अलावा इराक, ईरान, ओमान, कुवैत, रूस से भी भारत तेल लेता। रूस से भारत महज दो फीसदी ही तेल आयात करता है। अब रूस की तरफ से दिए गए ऑफर को भारत स्वीकार करता है, तो उसे राहत मिल सकती है।
लेकिन इस पर भी गौर करना जरूरी होगा कि आखिर को इस ऑफर को स्वीकार करने में भारत को मुश्किलें क्या कुछ हो सकती है?
दरअसल, अमेरिका ने रूसी तेल आयात पर प्रतिबंध लगा दिया है। वहीं, अमेरिका का साथ देते हुए ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने भी रूस पर तेल प्रतिबंध लगाने का ऐलान किया। हालांकि भारतीय अधिकारियों का कहना है कि ये प्रतिबंध भारत को तेल का आयात करने से नहीं रोक पाएंगे।
नाराज हो जाएगा अमेरिका?
हालंकि, भारत के लिए रूस के करीब जाना अमेरिका समेत पश्चिमी देशों को नाराज कर सकता है। भारत ने रूस यूक्रेन की जंग को लेकर अब तक अपना स्टैंड क्लियर नहीं किया। भारत इस मुद्दे पर तटस्थ है और किसी देश का सपोर्ट नहीं कर रहा। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में रूस के खिलाफ लाए गए किसी भी प्रस्ताव पर भारत ने वोटिंग नहीं की। जिसके चलते पहले ही भारत पर दबाव बढ़ा हुआ है कि वो रूसी आक्रमण की निंदा करें। हालांकि, बावजूद इसके भारत अपने दोस्त के खिलाफ जाने से बचता रहा।