अडाणी समूह की सूचीबद्ध कंपनियों का बाजार पूंजीकरण (मार्केट कैप) बुधवार को 11,300 करोड़ रुपये बढ़कर फिर 200 अरब डॉलर (16.9 लाख करोड़ रुपये) पर पहुंच गया। दरअसल, ये सब तब हुआ जब अडानी ग्रुप ने फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट में लगाए गए उन आरोपों को ‘झूठा और बेबुनियाद’ बताया, जिसमें कहा गया था कि अडानी ग्रुप ने लो ग्रेड का कोयला खरीदा और उसे हाई ग्रेड का बताकर ऊंचे दामों पर बेच दिया। कंपनी द्वारा तमिलनाडु पावर कंपनी को कोयले की आपूर्ति में किसी भी तरह की गड़बड़ी से इनकार करने के बाद निवेशकों ने समूह पर भरोसा जताया है। कुल मिलाकर, पिछले दो दिनों में समूह का बाजार पूंजीकरण 56,250 करोड़ रुपये बढ़ गया है। लंदन स्थित समाचार पत्र ‘फाइनेंशियल टाइम्स’ की एक रिपोर्ट में समूह में गलत काम करने का संदेह जताए जाने के अगले दिन बाजार पूंजीकरण में वृद्धि हुई।
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ग्रुप की प्रमुख कंपनी अदानी एंटरप्राइजेज के शेयर 0.63% की बढ़त के साथ 3,137 रुपये पर बंद हुए। दिन के कारोबार में यह 3,073 रुपये पर आ गया था। अदानी पोर्ट 0.53% गिरकर 1,378 रुपये पर बंद हुआ। कारोबार के दौरान यह 1,364 रुपये तक आ गया था।
ये है पूरा मामला
जॉर्ज सोरोस समर्थित ‘आर्गनाइज्ड क्राइम एंड करप्शन रिपोर्टिंग प्रोजेक्ट (OCCRP) के दस्तावेजों का हवाला देते हुए, अखबार की रिपोर्ट में अडानी समूह पर 2013 में निम्न-श्रेणी के कोयले को उच्च कीमत वाले ईंधन के रूप में बेचकर धोखाधड़ी करने का संदेह है। हालांकि, अडानी समूह ने सभी आरोपों से इनकार किया है।
लेकिन कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी समेत विपक्षी नेताओं ने अखबार में छपी रिपोर्ट का हवाला दिया और कथित गलत काम की संयुक्त संसदीय समिति से जांच कराने की मांग की। समूह के एक प्रवक्ता ने कहा कि लोडिंग और अनलोडिंग स्थलों पर कोयले की गुणवत्ता का स्वतंत्र रूप से परीक्षण किया गया। इसके अलावा, सीमा शुल्क अधिकारियों और तमिलनाडु जेनरेशन एंड डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी (TANGEDCO) के अधिकारियों ने भी इसकी जांच की।
भाजपा सरकार में भीषण कोयला घोटाला सामने आया है।
वर्षों से चल रहे इस घोटाले के ज़रिए मोदी जी के प्रिय मित्र अडानी ने लो-ग्रेड कोयले को तीन गुने दाम पर बेच कर हज़ारों करोड़ रुपए लूटे हैं, जिसकी कीमत आम जनता ने बिजली का महंगा बिल भर कर अपनी जेब से चुकाई है।
क्या प्रधानमंत्री… pic.twitter.com/05bqI4azvh
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) May 22, 2024
अदाणी समूह प्रवक्ता ने दिया बयान
ग्रुप के प्रवक्ता ने कहा, “इसके अलावा, पेमेंट सप्लाई किए गए कोयले की क्वालिटी पर निर्भर करता है। यह टेस्टिंग प्रोसेस के जरिए तय किया जाता है।” बयान के मुताबिक, रिपोर्ट में दिसंबर 2013 में जिस जहाज के जरिये कोयला ले जाने का हवाला दिया गया, वास्तव में वह जहाज फरवरी 2014 से पहले इंडोनेशिया से कोयला लाने के लिए इस्तेमाल ही नहीं किया गया था।
अदाणी ग्रुप ने कहा, “ये आरोप सिर्फ कोयले के FOB (फ्री ऑन बोर्ड) और CIF(लागत, बीमा, माल ढुलाई) मूल्य में अंतर पर आधारित हैं। इसमें कम सकल कैलोरी मूल्य (GCV) वाले कोयले की सप्लाई के लिए आंकड़ों का इस्तेमाल कर एक अनुमान लगाया गया है, जो पूरी तरह निराधार है।”