Gautam Adani SEC report: अडानी ग्रुप के संस्थापक और चेयरमैन माने जाने वाले भारतीय उद्योगपति गौतम अडानी (Adani Group founder Gautam Adani) इस समय गंभीर विवाद में हैं। अमेरिकी कोर्ट में उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों के मुताबिक अडानी ने भारत में सौर ऊर्जा परियोजनाओं के ठेके पाने के लिए भारतीय अधिकारियों को करीब 2,250 करोड़ रुपये की रिश्वत दी। यह मामला तब सामने आया जब अडानी ग्रुप ने इन परियोजनाओं के लिए अमेरिकी निवेशकों से फंड जुटाया और अमेरिकी Securities and Exchange Commission (SEC) ने इसकी जांच शुरू की।
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अडानी ग्रुप का भ्रष्टाचार में कथित दखल- Gautam Adani SEC report
SEC के आरोपों के अनुसार, अडानी समूह और अमेरिकी कंपनी Azure Power ने मिलकर भारत सरकार के स्वामित्व वाली सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (SECI) से 12 गीगावाट सौर ऊर्जा के लिए अनुबंध हासिल किए। लेकिन समस्या यह थी कि इन परियोजनाओं के लिए बिजली खरीदने के लिए एसईसीआई को भारत की राज्य सरकारों और बिजली वितरण कंपनियों (DISCOMs) से समर्थन नहीं मिल रहा था। जब ये अनुबंध भारी घाटे की स्थिति में थे, तो अडानी समूह और Azure ने रिश्वत का सहारा लिया (Gautam Adani charged in US)।
SEC ने लगाए गंभीर आरोप
एसईसी ने आरोप लगाया कि अडानी और उनके परिवार के सदस्य, जैसे सागर अडानी ने रिश्वत देने और उनके माध्यम से ये परियोजनाएँ हासिल करने के लिए भारतीय अधिकारियों से संपर्क किया। यह भी आरोप है कि अडानी समूह ने पूरी प्रक्रिया के दौरान निवेशकों से यह बात छिपाई कि इन परियोजनाओं को हासिल करने के लिए रिश्वत दी गई थी, जबकि कंपनी ने अपनी ईमानदारी का दावा किया।
SEC के आरोप और कार्रवाई
SEC (Gautam Adani SEC report) का दावा है कि 2021 में अडानी ग्रुप ने 750 मिलियन डॉलर की बॉंड बिक्री की, जिसमें निवेशकों से यह कहा गया था कि कंपनी भ्रष्टाचार से बचने की नीति अपनाती है। लेकिन वास्तविकता यह थी कि अडानी और सागर अडानी ने सरकारी अधिकारियों को रिश्वत दी थी, जिससे उन्हें बड़े सोलर प्रोजेक्ट्स हासिल हुए। SEC ने इस मामले में अडानी ग्रुप और Azure Power दोनों के खिलाफ चार मुख्य आरोप लगाए हैं, जिसमें Securities Act और Exchange Act के उल्लंघन के आरोप शामिल हैं।
रिश्वत के पैटर्न और साजिश
साल 2014 में भारत सरकार ने 2022 तक 175 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता हासिल करने की योजना बनाई थी, जिसमें से 100 गीगावाट सौर ऊर्जा से आने की बात थी। SECI ने 12 गीगावाट सौर ऊर्जा खरीदने के लिए एक स्पेशल टेंडर जारी किया था। अडानी ग्रुप और Azure ने इस टेंडर में भाग लिया और ठेका जीतने के बाद, दोनों कंपनियों ने भारत के राज्य सरकारों को रिश्वत देने की योजना बनाई। SEC के अनुसार, ओडिशा और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में DISCOMs को रिश्वत दी गई ताकि वे अडानी और Azure से ऊर्जा खरीदने के लिए सहमति दें।
अडानी ग्रुप की प्रतिक्रिया
इस पूरे विवाद में अडानी ग्रुप ने अपनी सफाई पेश की है (Gautam Adani accused of bribery)। ग्रुप का कहना है कि सभी आरोप बेबुनियाद हैं और जब तक आरोप साबित नहीं हो जाते, तब तक उन्हें निर्दोष माना जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने हमेशा पारदर्शिता और नियामक नियमों का पालन किया है। कंपनी का दावा है कि अमेरिकी न्याय विभाग और एसईसी ने उनके बोर्ड के सदस्यों के खिलाफ आरोप दायर किए हैं, लेकिन ये केवल आरोप हैं और अडानी ग्रुप कानूनी उपायों का सहारा लेगा।
अडानी ग्रीन एनर्जी का इतिहास
गौतम अडानी ने 1988 में अडानी ग्रुप की स्थापना की थी और 2015 में अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड की शुरुआत की। अडानी ग्रीन का उद्देश्य था सौर और पवन ऊर्जा के क्षेत्र में दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी बनना। 2025 तक अडानी ग्रीन ने यह लक्ष्य रखा था कि वह दुनिया की सबसे बड़ी अक्षय ऊर्जा कंपनी बनेगी। 2019 में अडानी ग्रीन ने 10 गीगावाट ऊर्जा उत्पादन क्षमता विकसित करने का लक्ष्य रखा और इसे हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत की।
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