हर साल विकास के मुद्दे पर चर्चा के लिए सूचना सोसायटी फोरम (ICT) विश्व की सबसे बड़ी वार्षिक सभा का आयोजन करता है. इस बार अगस्त के महीने में हुई इस सभा का हिस्सा बनने का गौरव TCIL (टेलीकम्युनिकेशन्स कंसलटेंट्स इंडिया लिमिटेड) के निदेशक (तकनीकी) श्री कामेंद्र कुमार को भी प्राप्त हुआ. जिसमें श्री कामेंद्र कुमार ने विश्व भर से वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से जुड़े पैनलिस्ट से 17 सतत विकास लक्ष्यों में से समान गुणवत्ता शिक्षा और लाइफ टाइम लर्निंग के प्रचार के विषयों के बारे में चर्चा की. बता दें कि भारत सरकार के संचार मंत्रालय के अंतर्गत आने वाली TCIL कंपनी पिछले दो दशकों से इस वार्षिक सम्मेलन को बढ़ावा दे रही है. इस सभा में श्री कामेंद्र कुमार के अलावा इंटरनेशनल टेलीकम्युनिकेशंस यूनियन (ITU) के डिप्टी सेक्रेटरी जनरल डॉ. मॉलकॉम जॉनसन, AICTE के चेयरमैन डॉ अनिल सहस्रबुध, CMAI एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया के प्रेजिडेंट प्रो. एनके गोयल समेत टेलिकॉम सेक्टर से जुड़ी कई बड़ी हस्तियां मौजूद थीं.
कब हुई थी शुरुआत ?
जैसा कि नाम से प्रतीत होता है कि WSIS ( सूचना सोसायटी पर वैश्विक सम्मलेन) एक UN द्वारा स्पोंसर किया हुआ सूचना पर सम्मेलन है. इसकी सबसे पहले शुरुआत दो चरणों में हुई थी जिसमें पहला सम्मेलन जिनेवा में 2003 में हुआ था, जबकि इसका दूसरा सम्मलेन साल 2005 में टुनिस में आयोजित किया गया था. इसका मुख्य उद्देश्य विकासशील देशों में इंटरनेट की पहुंच को बढ़ाना था ताकि अमीर देशों और गरीब देशों के बीच की डिजिटल दूरी को एक ही पैमाने पर लाया जा सके. 20 वीं शताब्दी के अंतिम दशकों में विशेष रूप से विकसित देशों में नई सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) को लागू किया गया था. ICT के उपयोग से आधुनिक समाज कई मायनों में बदल गया जिसे डिजिटल क्रांति के रूप में जाना जाता है, और इसलिए नए अवसरों और खतरों को उठाया गया था. दुनिया के नेताओं को आईसीटी का उपयोग करके कई समस्याओं को हल करने की उम्मीद थी.
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2006 से बदला स्वरुप
2006 से WSIS फोरम WSIS फॉलोअप को लागू करने के लिए विश्व सूचना सोसायटी दिवस (17 मई) के आसपास जिनेवा में आयोजित किया गया. इस कार्यक्रम का आयोजन डब्ल्यूएसआई सुविधाकर्ताओं द्वारा किया जाता है जिसमें आईटीयू, यूनेस्को, यूएनसीटीएडी और यूएनडीपी शामिल हैं और आईटीयू द्वारा इसकी मेजबानी की जाती है. 2010 तक फोरम आईटीयू भवन में आयोजित किया गया था, फिर इसके बाद ये अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन भवन में आयोजित किया जाने लगा. हर साल फोरम 140 से अधिक देशों से 1000 से अधिक WSIS हितधारकों को आकर्षित करता है. इस साल कोविड महामारी के चलते इसे वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये आयोजित किया गया जिसका TCIL भी हिस्सा थी.
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TCIL के नाम हैं कई उपलब्धियां
गौरतलब है कि TCIL ने अपने पैन-अफ्रीका टेली-एजुकेशन प्रोग्राम के माध्यम से शिक्षा को 2009 में बढ़ावा दिया था. उस दौरान इस परियोजना की कल्पना हमारे दूरदर्शी राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम ने की थी जिसे TCIL ने साकार किया. इसके रखरखाव और संचालन को सितंबर 2017 तक यानी 8 वर्षों तक जारी रखा गया. इस नेटवर्क ने 48 देशों को कवर करने वाले अफ्रीकी संघ के लिए एमपीएलएस / आईपीएलसी / उपग्रह कनेक्टिविटी से युक्त विषम संचार नेटवर्क का उपयोग करके टेली कम्युनिकेशन लिंक के माध्यम से भारत के सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालयों से हजारों छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और चिकित्सा सेवाएं प्रदान कीं.
इसके अलावा 2018 में ई-विद्या भारती और ई-आरोग्य भारती नेटवर्क प्रोजेक्ट नामक परियोजना की शुरुआत TCIL द्वारा की गई जिसने भारत और अफ्रीका के बीच की दूरी को कम करने के लिए हमारे देशों के बीच एक डिजिटल सेतु के रूप में कार्य किया. सितंबर 2018 में दोनों देशों के बीच तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और संचार मंत्री मनोज सिन्हा की मौजूदगी में TCIL के प्रबंध निदेशक ए शेषगिरी राव ने इस नेटवर्क के समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये थे.
इसके अलावा, भारत में भी टीसीआईएल यूपी (1500 स्कूल), दिल्ली (1100 स्कूल), उड़ीसा (600 स्कूल), केंद्रीय विद्यालय (केंद्रीय विद्यालय), जैसे राज्यों के हजारों स्कूलों में कंप्यूटर शिक्षा और डिजिटल आभासी सहयोग प्रदान करने में शामिल है.