मशहूर उद्योगपति रतन टाटा का निधन (Ratan Tata Passed Away) हो गया है। बुधवार को 86 साल की उम्र में मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली। कुछ दिन पहले उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। बढ़ती उम्र के कारण उन्हें कई तरह की परेशानियां थीं। काफी समय से उन्हें देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न देने की मांग की जा रही थी। रतन टाटा के लिए देशभर के लोगों में असीम सम्मान था। उनके निधन की पुष्टि टाटा समूह ने की है। राजनीति, उद्योग और फिल्म जगत की हस्तियों ने उनके निधन पर शोक जताया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने भी रतन टाटा के निधन पर दुख जताया है। अपने एक पोस्ट में उन्होंने रतन टाटा को दूरदर्शी बिजनेस लीडर, दयालु व्यक्ति और असाधारण इंसान बताया।
Shri Ratan Tata Ji was a visionary business leader, a compassionate soul and an extraordinary human being. He provided stable leadership to one of India’s oldest and most prestigious business houses. At the same time, his contribution went far beyond the boardroom. He endeared… pic.twitter.com/p5NPcpBbBD
— Narendra Modi (@narendramodi) October 9, 2024
रतन टाटा की मौत के बाद लोग उनके जीवन के संघर्ष के बारे में जानने के लिए काफी उत्सुक हैं। तो चलिए आपको उनकी निजी जिंदगी के बारे में बताते हैं।
— Tata Group (@TataCompanies) October 9, 2024
रतन टाटा का प्रारंभिक जीवन और शिक्षा- Early Life and Education of Ratan Tata
रतन नवल टाटा (Ratan Naval Tata) का जन्म 28 दिसंबर 1937 को मुंबई, महाराष्ट्र में हुआ था। वे नवल टाटा और सोनू टाटा के पुत्र थे। रतन टाटा का पालन-पोषण उनकी दादी नवाजबाई टाटा ने किया, क्योंकि उनके माता-पिता का तलाक तभी हो गया था, जब वे बहुत छोटे थे।
शिक्षा की बात करें तो रतन टाटा ने अपनी शुरुआती पढ़ाई कैथेड्रल और जॉन कॉनन स्कूल, मुंबई से की और फिर उन्होंने कॉर्नेल यूनिवर्सिटी, यूएसए से आर्किटेक्चर और स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग में स्नातक किया। इसके बाद उन्होंने हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से एडवांस मैनेजमेंट प्रोग्राम भी पूरा किया।
टाटा समूह में योगदान- Ratan Tata’s contribution to the Tata Group
रतन टाटा ने 1962 में टाटा समूह से जुड़कर अपने करियर की शुरुआत की। शुरुआत में उन्हें विभिन्न कंपनियों में काम करने का अनुभव मिला, जिससे उन्हें जमीनी स्तर पर काम करने की समझ विकसित करने में मदद मिली। 1991 में उन्हें टाटा समूह का चेयरमैन बनाया गया और अपने नेतृत्व में उन्होंने इसे एक अंतरराष्ट्रीय कंपनी में तब्दील कर दिया।
उनके नेतृत्व में टाटा समूह ने कई उल्लेखनीय कदम उठाए, जैसे:
– टाटा मोटर्स द्वारा जगुआर लैंड रोवर का अधिग्रहण (2008)
– टाटा स्टील द्वारा कोरस का अधिग्रहण (2007)
– टाटा टेटली का अधिग्रहण, जिससे यह दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी चाय कंपनी बन गई।
रतन टाटा ने टाटा नैनो जैसी क्रांतिकारी कार लॉन्च करके भारत में सस्ती और गुणवत्तापूर्ण कारों के सपने को साकार किया, जिसका उद्देश्य आम भारतीयों की पहुँच में कार लाना था।
रतन टाटा और परोपकार
रतन टाटा के नेतृत्व में टाटा समूह ने हमेशा सामाजिक और परोपकारी गतिविधियों को प्राथमिकता दी है। वे खुद भी व्यक्तिगत स्तर पर समाज सेवा में गहरी रुचि रखते हैं। उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य और ग्रामीण विकास के क्षेत्र में कई परोपकारी परियोजनाओं का समर्थन किया है। उनके कई उल्लेखनीय कार्यों में से एक टाटा ट्रस्ट के माध्यम से समाज सेवा है, जो देश भर में स्वास्थ्य, शिक्षा और स्वच्छता के क्षेत्र में काम कर रहा है।
रत्न टाटा को सम्मान और पुरस्कार- Ratan Tata Honours and Awards
रतन टाटा को उनके योगदान के लिए कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है, जिनमें शामिल हैं:
– पद्म भूषण (2000)
– पद्म विभूषण (2008), जो भारत का दूसरा सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार है।
– एनडीटीवी इंडियन ऑफ द ईयर (2007)
– रॉकफेलर फाउंडेशन लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड
व्यक्तिगत जीवन और व्यक्तित्व
रतन टाटा अपने सादगी भरे जीवन के लिए मशहूर हैं। उन्हें व्यक्तिगत रूप से बहुत ही सरल और विनम्र व्यक्ति माना जाता है। उन्होंने कभी शादी नहीं की और अपना जीवन पूरी तरह से उद्योग और समाज सेवा के लिए समर्पित कर दिया। रतन टाटा अपने जीवन और काम के प्रति इतने समर्पित हैं कि उन्होंने उद्योग जगत में एक नया मानदंड स्थापित किया है, उन्हें न केवल व्यावसायिक सफलता के लिए बल्कि नैतिकता, परोपकार और सामाजिक जिम्मेदारी के लिए भी जाना जाता है।
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