अंबानी और रैमंड्स ग्रुप के बाद अब देश की सबसे बड़ी फोर्जिंग कंपनियों में से एक भारत फोर्ज को भी पारिवारिक संपत्ति के कारण दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। दरअसल, भारत फोर्ज के चेयरमैन बाबा कल्याणी का अपनी बहन और जीजा से काफी लंबे समय से संपत्ति विवाद चल रहा है, जिसमें अब उनके भांजे और भांजी भी कूद पड़े हैं। फोर्जिंग इंडस्ट्री के संथापक नीलकंठ कल्याणी के नाती समीर हिरेमठ और नातिन पल्लवी स्वादी ने अपने मामा बाबा कल्याणी के खिलाफ 20 मार्च को पुणे सिविल कोर्ट में मामला दायर किया है।
पारिवारिक संपत्ति में मांगी हिस्सेदारी
सुगंधा हिरेमठ और जयदेव हिरेमठ की दोनों संतानों ने ‘कल्याणी ग्रुप’ की पारिवारिक संपत्ति में करीब 11 फीसदी हिस्सेदारी की मांग की है। भारत फोर्ज कल्याणी समूह की प्रमुख कंपनी है। भांजे और भांजी का कहना है कि कल्याणी हिंदू अविभाजित परिवार (एचयूएफ) की पारिवारिक संपत्तियों पर उनका अधिकार है, इसलिए उन्हें कल्याणी समूह की संपत्तियों में भी अधिकार मिलना चाहिए।
अपनी अपील में, बाबा कल्याणी के भांजे और भांजी ने कहा कि वह वर्तमान में जिन कंपनियों का प्रबंधन करते हैं, वे कल्याणी समूह के स्वामित्व में हैं। उन्हें संपत्ति से निवेश प्राप्त हुआ जबकि इसका स्वामित्व अन्नप्पा कल्याणी के संयुक्त परिवार के पास था। अन्नप्पा कल्याणी नीलकंठ के पिता और बाबा के दादा थे। इस तरह से वह समीर हिरेमथ और पल्लवी हिरेमथ के परदादा हैं और वह अपने परदादा की संपत्ति पर अपना अधिकार जता रहे हैं।
कितनी है संपत्ति?
परिवार की पैतृक संपत्ति की पूरी कीमत के बारे में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है। इसमें पुणे, महाबलेश्वर और महाराष्ट्र के अन्य क्षेत्रों की भूमि शामिल है। हालांकि, स्टॉक एक्सचेंज पर पंजीकृत कल्याणी समूह की कंपनियों का कुल बाजार पूंजीकरण लगभग 62,834 करोड़ रुपये है। सुगंधा पहले से ही समूह की कंपनी हिकल के स्वामित्व को लेकर बाबा के साथ कानूनी लड़ाई लड़ रही हैं। हिकाल देश के सबसे प्रसिद्ध विशेष रसायन निर्माताओं में से एक है।
आखिर क्यों हो रहा है विवाद?
हिरेमठ दंपत्ति ने 2023 में बॉम्बे हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की, जिसमें आरोप लगाया गया कि बाबा कल्याणी परिवार के 1994 के समझौते का उल्लंघन कर रहे हैं और हिकाल में अपनी रुचि बढ़ाकर कंपनी का पूरा नियंत्रण जब्त करने का प्रयास कर रहे हैं। हिरेमठ परिवार के पास वर्तमान में हिकाल का 35% ओनरशिप है, जबकि कल्याणी के पास 34% ओनरशिप है।
हिरेमठ परिवार का दावा है कि 1994 के पारिवारिक समझौते में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि कल्याणी समूह हिकाल की संपत्ति उन्हें ट्रान्सफर कर देगा, लेकिन कल्याणी परिवार चुनिंदा रूप से इसके कुछ प्रावधानों की अनदेखी करता है।
हालांकि, बाबा कल्याण को लेकर संपत्ति विवाद का यह इकलौता मामला नहीं है। 2014 में उनकी एक और भतीजी शीतल ने पैतृक संपत्ति में हिस्सेदारी की मांग करते हुए पुणे की ही अदालत में बाबा कल्याणी के खिलाफ मामला दायर किया था। यह मामला अभी भी लंबित है।