NITI Aayog Components Industry: भारत सरकार के शीर्ष थिंक टैंक नीति आयोग ने देश के ऑटोमोबाइल सेक्टर को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं। आयोग ने अपनी रिपोर्ट “ऑटोमोटिव इंडस्ट्री: पावरिंग इंडियाज पार्टिसिपेशन इन ग्लोबल वैल्यू चेन्स” में कहा है कि अगर भारत को वैश्विक ऑटोमोटिव कंपोनेंट्स बाजार का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बनाना है, तो सरकार को वित्तीय प्रोत्साहन देने और बड़े पैमाने पर ब्राउनफील्ड ऑटो क्लस्टर्स का विकास करना होगा।
2030 तक 60 बिलियन डॉलर निर्यात का लक्ष्य- NITI Aayog Components Industry
वर्तमान में भारत का ऑटो कंपोनेंट निर्यात लगभग 20 बिलियन डॉलर है। नीति आयोग का उद्देश्य इसे 2030 तक 60 बिलियन डॉलर तक बढ़ाना है। इसके साथ ही, ऑटोमोटिव कंपोनेंट्स का कुल उत्पादन अगले पांच वर्षों में 145 बिलियन डॉलर तक पहुंचने का लक्ष्य है, जिससे 20 से 25 लाख नई नौकरियां पैदा होंगी। इस क्षेत्र में कुल प्रत्यक्ष रोजगार 30 से 40 लाख तक पहुंचने का अनुमान है।
ऑटोमोटिव सेक्टर के लिए वित्तीय प्रोत्साहन और उत्पादन क्षमता का विस्तार
रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि सरकार को उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए ऑपरेशनल एक्सपेंडिचर (OPEX) सपोर्ट प्रदान करना चाहिए। साथ ही, टूलिंग, डाइज़ और इंफ्रास्ट्रक्चर पर खर्च के लिए कैपिटल एक्सपेंडिचर (CAPEX) को बढ़ावा देना चाहिए। इससे भारत को ग्लोबल प्रिसिशन मैन्युफैक्चरिंग में हिस्सा लेने में मदद मिलेगी और भारतीय कंपनियां वैश्विक ऑटोमोटिव उद्योग में अपनी स्थिति मजबूत कर सकेंगी।
भारत की वैश्विक हिस्सेदारी अभी भी सीमित
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि वैश्विक ऑटो पार्ट्स व्यापार में सबसे बड़ी हिस्सेदारी इंजन कंपोनेंट्स, ड्राइव ट्रांसमिशन और स्टीयरिंग सिस्टम्स की है। हालांकि, इन उच्च-प्रिसिशन क्षेत्रों में भारत की हिस्सेदारी वर्तमान में केवल 2-4% है, जो चिंता का विषय है। नीति आयोग का मानना है कि यदि इन क्षेत्रों में भारत की हिस्सेदारी बढ़ाई जाए, तो देश को वैश्विक ऑटोमोटिव क्षेत्र में मजबूती मिल सकती है।
MSME, स्किल डेवलपमेंट और ब्रांडिंग को बढ़ावा
नीति आयोग ने छोटे और मझोले उद्यमों (MSMEs) को सशक्त बनाने के लिए इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी (IP) ट्रांसफर, अंतरराष्ट्रीय ब्रांडिंग और अनुसंधान एवं विकास (R&D) को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता पर जोर दिया है। साथ ही, स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम्स के माध्यम से प्रतिभाओं की पाइपलाइन को विकसित करने पर ध्यान देने की बात भी की है।
R&D और टेस्टिंग केंद्रों वाले क्लस्टर की आवश्यकता
नीति आयोग ने सुझाव दिया है कि सरकार को ऐसे ऑटो क्लस्टर्स विकसित करने चाहिए, जिनमें कंपनियों को R&D, टेस्टिंग सेंटर और अन्य साझा सुविधाएं मिलें। इससे फर्मों के बीच सहयोग को बढ़ावा मिलेगा और सप्लाई चेन मजबूत होगी, जिससे भारत को वैश्विक प्रतिस्पर्धा में बेहतर स्थान मिलेगा।
डिजिटल और वैश्विक सहयोग को बढ़ावा
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत को डिजिटल तकनीकों को अपनाकर उत्पादन की दक्षता बढ़ानी चाहिए। इसके साथ ही, संविदात्मक नियमों में लचीलापन, सप्लायर खोज और नियमों की सरलता जैसे गैर-वित्तीय सुधारों की आवश्यकता है। इसके अलावा, फॉरेन कोलैबोरेशन, जॉइंट वेंचर्स और फ्री ट्रेड एग्रीमेंट के माध्यम से भारत को अंतरराष्ट्रीय बाजारों तक पहुंच बनानी होगी।
वैश्विक परिप्रेक्ष्य में भारत की स्थिति
2023 में वैश्विक ऑटोमोबाइल उत्पादन लगभग 94 मिलियन यूनिट्स रहा और ऑटो पार्ट्स मार्केट का मूल्यांकन 2 ट्रिलियन डॉलर से अधिक था, जिसमें से 700 बिलियन डॉलर एक्सपोर्ट मार्केट था। भारत दुनिया में चौथा सबसे बड़ा वाहन निर्माता है, लेकिन उसे अभी भी उच्च परिचालन लागत, इंफ्रास्ट्रक्चर गैप्स और R&D में निवेश की कमी जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
नीति आयोग का मानना है कि यदि भारत इन बाधाओं को दूर करता है और रिपोर्ट में सुझाए गए सुधारों को लागू करता है, तो देश आने वाले वर्षों में वैश्विक ऑटोमोटिव उद्योग का नेतृत्व कर सकता है। इसके लिए सरकार को रणनीतिक कदम उठाने होंगे, जैसे कि वित्तीय प्रोत्साहन, प्रौद्योगिकी में निवेश, और अंतरराष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना।