Founder of Brahma Kumaris in Hindi – ब्रह्मकुमारीज़ का नाम तो आपने काफी बार सुना होगा. वहीँ जिसके नाम से बनी अध्यात्मिक यूनिवर्सिटी के संस्थापक ब्रह्म बाबा यानि लेखराज कृपलानी हैं. आज के वक़्त में इस संस्था कि जड़ें दुनियांभर में बहुत मजबूती से पकड़ बना चुकी हैं. दुनियाभर में उसे जाना जाता है लेकिन एक जमाना था कि जब इसके संस्थापक पर वही सारे आरोप लगे, जो आजकल के बाबाओं पर लगते रहते हैं यानि व्याभिचार, जादू टोना और परिवार तोड़ना.
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लेखराज का जन्म सिंध के हैदराबाद में 1876 में हुआ था. हालांकि ब्रह्मकुमारी विवि की आधिकारिक साइट उनका जन्म 1880 बताती है. इसके अनुसार उन्होंने शुरुआती सालों में कई नौकरियां कीं. फिर ज्वैलरी के बिजनेस में चले गए. फिर हीरे के व्यापार से काफी पैसा कमाया. अपने समुदाय पर उनका प्रभाव था. 1936 वो समय आया, जब जीवन ने अलग मोड़ लिया. गहरे आध्यात्मिक अनुभवों के बाद उन्होंने बिजनेस को छोड़ दिया. अपना पैसा, समय और ऊर्जा को उस संस्था में लगा दिया, जिसे आज ब्रह्म कुमारी के नाम से जानते हैं.
ब्रह्मकुमारी विश्वविद्यालय आज के वक़्त में एक बहुत बड़ी संस्था है. माउंट आबू में उसका मुख्यालय लंबे चौड़े भूभाग में फैला है. हालांकि लेखराज जब 1950 में कराची से यहां अपनी अनुयायियों के साथ आए तो उन्होंने किराए के मकान में इसे शुरू किया.
इस नाम से की शुरुआत – Founder of Brahma Kumaris
अगर विकिपीडिया को पढ़ेंगे विकीपीडिया कहती है ब्रह्म बाबा कहे जाने वाले लेखराज शुरुआत में वल्लभाचार्य के फॉलोअर थे. जल्दी ही उन्होंने खुद को भगवान का माध्यम कहलाना शुरू कर दिया. यानि आज के वक़्त में इस बात का मानना मतलब खुद को भगवान होने का दावा करने के बराबर है. 1936 में उन्होंने एक संस्था बनाई, जिसका नाम था ओम मंडली, प्रबंध समिति में ज्यादातर ऐसी युवा महिलाएं थीं, जिन्होंने अपनी संपत्ति इस संस्था को दान दे दी थी. बाद में यही ओम मंडली ब्रह्म कुमारी की स्थापक बनी.
Allegations on Dada Lekhraj
ओम मंडली ने बनने के साथ ही विवाद का रूप ले लिया. विरोध करने वाले ज्यादातर उन्हीं के भाईबंद समुदाय के लोग थे. ओम मंडली पर आरोप लगने लगा कि उसका दर्शन परिवार तोड़ना और महिलाओं को पतियों से दूरी बनाने के लिए प्रेरित करने का है.
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सिंधियों को भी एतराज था. आरोप लगने लगा कि इस संस्था के चलते परिवार टूट रहे हैं. जब ओम मंडली और लेखराज के खिलाफ कानूनी कार्रवाई होने लगी तो वो अपनी मंडली के साथ हैदराबाद से कराची आ गए.
व्याभिचार और सम्मोहन के आरोप
Founder of Brahma Kumaris – हालांकि, उनके विरोधियों ने यहां भी उनका पीछा नहीं छोड़ा. लेखराज पर कई तरह के वैसे ही आरोप लगे, जैसे मौजूदा बाबाओं पर लगते हैं. व्याभिचार से लेकर जादू टोने तक के आरोप. कहा गया कि वह सम्मोहन के जरिए अनुयायी बनाते हैं. कांग्रेस और आर्यसमाज उनके सबसे बड़े विरोधियों में थे.
Allegations on Brahma Kumaris
दरअसल पकिस्तान के कराची में लेखराज ने एक बड़ा आश्रम बनाया था. इसी दौरान एक महिला ने कराची में मजिस्ट्रेट की अदालत में आरोप लगाया कि ओम मंडली ने उसकी दो बेटियों गलत तरीके से बंधक बनाकर रखा है.
कोर्ट ने आदेश दिया कि बच्चियों को मां को सौंप जाए. बाद में इस मामले में समझौता हो गया. सिंध की विधानसभा में ओम मंडली के खिलाफ मामला उठा. सिंध सरकार ने इसे गैरकानूनी संस्था घोषित कर दिया गया. आश्रम बंद करने और परिसर खाली करने का आदेश दि दिया गया.
आजादी के बाद आ गए माउंट आबू
अखंड भारत की आजादी के बाद 1950 में लेखराज अपनी ब्रह्मकुमारियों के साथ माउंट आबू आ गए. वहां उन्होंने उस संस्था की स्थापना की, जो बाद के बरसों में खूब फलीफूली और फैली. 110 देशों में इसकी मौजूदगी है और लाखों अनुयायी. संयुक्त राष्ट्र एक एनजीओ के रूप में उन्हें मान्यता देता है.
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19 जनवरी 1969 में जब लेखराज जी का निधन हुआ, तब तक वह एक जीती जागती किंवदती बन चुके थे. जिन युवा महिलाओं ने लेखराज जी के साथ ओम मंडली की शुरुआत की थी, उनमें कई अब 80 और 90 साल की हो चुकी हैं और इस संस्था को संभाल रही हैं.