दो साल के बाद लौटी है पुष्कर मेले की रौनक, जानिए कैसा होता है ये मेला
हर साल दिवाली के बाद आने वाली कार्तिक पूर्णिमा को राजस्थान में पुष्कर मेला का आयोजन होता है. जहाँ पर पूरी दुनिया भर से करीब तीस हजार से ज्यादा विदेशी इस मेले का हिस्सा बनते हैं. वहीं इस बार ये मेला एक नवम्बर से यह शुरु हुआ और नौ नवम्बर तक जारी रहने वाला है और हर बार की तरह इस बार भी इस मेले में कई लाख लोग हिस्सा लेंगे.
जानिए क्या है पुष्कर मेला की खासियत
इस पुष्कर मेला कार्तिक पूर्णिमा को शुरू होता है और पुष्कर की झील में नहाना, तीर्थ करने के समान माना गया है। इस दिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु झील में डुबकी लगाकर, ब्रह्मा जी का आशीर्वाद लेते हैं और मेले में खरीद फरोख्त करते हैं। बता दें, भारत में सिर्फ यही पर इकलोता ब्रह्मा जी का मंदिर है और इस मंदिर को लेकर कई सारी आस्था जड़ी हुई है.
पुष्कर मेले का आकर्षण
ब्रह्मा जी की नगरी लगने वाले ये मेला एशिया में सबसे बड़ा पशु मेला है। यहां पर ऊंट, घोड़े, गाय, बकरियां और अन्य जानवर के कई करतब दिखाए जाते हैं और जानवरों के बीच कम्पीटिशन भी होते हैं।
ऊंट और मूछ होते हैं इस मेले की शान
इस मेले में ऊंटों के बीच तरह तरह के गेम्स और कंपीटिशन करवाए जाते हैं। जिसकी वजह से ऊंटों को इस मेले की शान कहा जाता है. यहाँ पर ऊंटों एक बीच वेटलिफ्टिंग और दौड़ अहम हैं। वहीं इस मेले में किसकी मूछ कितनी लंबी है और कितनी शानदार है इसकी भी प्रतियोगिता होती है। लोग कई मीटर लंबी मूछें लेकर आते हैं।
दो साल के बाद लौटी है पुष्कर मेले की रौनक
देश में फैले कोरोना वायरस के 2 साल के बाद इस मेला का आयोजन किया जा रहा है. सीएम अशोक गहलोत ने एक लाख पचास हजार दीपक जलाकर इसका उद्घाटन किया है। वहीं 2 साल के बाद शुरू हुए इस मेले को अच्छी शुरुआत मिली है. वहीं इस बार हर साल दिवाली के बाद आने वाली कार्तिक पूर्णिमा को यह मेला लगता है। इस बार एक नवम्बर से यह शुरु हुआ और नौ नवम्बर तक जारी रहने वाला है।
इन देशों से आते हैं लोग
अजमेर से बारह किलोमीटर दूरी पर स्थित पुष्कर सरोवर हिंदुओं के लिए तीर्थ की तरह है। वें यहाँ पर लगने वाले मेले भारतियों के साथ रूस, अमेरिका, इटली, फ्रांस, इजराइल, दुबई हर बड़े देश से विदेशी आते हैं और उनका देशी सत्कार होता है।