Maa Durga Mandir In Azerbaijan: भारत में दुर्गा मां को शक्ति और श्रद्धा का प्रतीक माना जाता है। हर साल दुर्गा पूजा के दौरान मां दुर्गा की आराधना की जाती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि 98% मुस्लिम आबादी वाले देश अजरबैजान में भी दुर्गा मां के चमत्कार का बोलबाला है? पूर्वी यूरोप और एशिया के बीच स्थित अजरबैजान में दुर्गा मां का 300 साल पुराना मंदिर है जिसे टैंपल ऑफ फायर या आतिशगाह कहा जाता है।
टैंपल ऑफ फायर और अखंड ज्योत का चमत्कार- Maa Durga Mandir In Azerbaijan
अजरबैजान की राजधानी बाकू के पास सुरखानी क्षेत्र में स्थित इस मंदिर का नाम “आतिशगाह” है। यहां एक अखंड ज्योत सदियों से जल रही है, जो पहले प्राकृतिक गैस के भंडार से प्रज्ज्वलित रहती थी। 1969 तक यह ज्वाला स्वाभाविक रूप से जलती थी, लेकिन सोवियत संघ के दौरान गैस के भंडार खत्म हो जाने के बाद अब इसे बाकू से गैस पाइपलाइन के जरिए जलाया जाता है।
यह मंदिर अब एक संग्रहालय में परिवर्तित हो गया है, लेकिन इसकी ज्योत अभी भी श्रद्धालुओं और पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बनी हुई है।
इतिहास और संरचना
टैंपल ऑफ फायर का निर्माण 17वीं सदी के अंत और 18वीं सदी के शुरुआती सालों में हुआ। यह पंचभुजा आकार का मंदिर है, जिसके चारों ओर 26 कमरे बने हैं। ये कमरे उपासकों और यात्रियों के ठहरने के लिए बनाए गए थे। मंदिर की इमारत एक किले की तरह है और इसकी छत भारतीय मंदिरों की तरह त्रिशूल और अन्य हिंदू धार्मिक प्रतीकों से सजी है।
मंदिर के अंदर कई शिलालेख भी मौजूद हैं, जिनमें भगवान गणेश और भगवान शिव का उल्लेख किया गया है। इनमें से 14 संस्कृत में, 2 पंजाबी में और 1 फारसी में हैं। यह दर्शाता है कि यह मंदिर भारत से जुड़े धार्मिक और सांस्कृतिक संबंधों का प्रतीक है।
भारत की विरासत और अजरबैजान का गर्व
साल 1975 में इस मंदिर को संग्रहालय में बदल दिया गया और 2007 में अजरबैजान सरकार ने इसे ऐतिहासिक और आर्किटेक्चरल रिजर्व का दर्जा दिया। इसके बाद से यह संरक्षित है। मंदिर में पूजा अब नहीं होती क्योंकि अजरबैजान में हिंदू आबादी बहुत कम है। फिर भी, हर साल करीब 1500 पर्यटक यहां पहुंचते हैं और अखंड ज्योत के चमत्कार को देखने आते हैं।
इस मंदिर का उल्लेख 2018 में हुआ, जब भारत की तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने अजरबैजान दौरे के दौरान यहां का दौरा किया। उनके इस दौरे ने भारतीय और अजरबैजान की संस्कृति को जोड़ने का काम किया।
प्राकृतिक गैस और धार्मिक महत्व
मंदिर के नीचे प्राकृतिक गैस का भंडार था, जो अपने आप जल उठता था। इसे ही धार्मिक चमत्कार मानकर इसे दुर्गा मां के मंदिर के रूप में विकसित किया गया। हालांकि, 1883 के बाद इस क्षेत्र में गैस और पेट्रोल निकालने के काम के चलते यहां के प्राकृतिक ज्वालामुखियों का उपयोग बंद कर दिया गया।
हिमाचल के ज्वाला देवी मंदिर से तुलना
अजरबैजान के इस चमत्कारी मंदिर की तुलना भारत के हिमाचल प्रदेश में स्थित ज्वाला देवी मंदिर से की जाती है। हिमाचल के कांगड़ा जिले से 30 किलोमीटर दूर स्थित इस मंदिर में भी तीन सौ साल से अधिक समय से अखंड ज्योत जल रही है। यह मंदिर भारतीय संस्कृति और धार्मिक चमत्कारों का अनूठा उदाहरण है।