कहते हैं एक महिला ही दूसरी महिला का अच्छे से दुख समझ सकती है, चाहे वो कैसी भी परेशानी में क्यों न हो. एक महिला को दूसरी महिला से कुछ भी कहने में कोई दिक्कत भी नहीं होती है. वहीं आज हम आपको जिस एक ऐसी महिला के बारे में बताने जा रहे हैं जो कई महिलाओं का दुख तो बहुत अच्छे से सुनती और समझती थी लेकिन उसके इरादे उनकी समस्याओं को कम करने का नहीं बल्कि उनकी भावनाओं और उनके जीवन के दुखों को अपना हथियार बनाना था.
जी हां, हम आपको देश की पहली महिला सीरियल किलर के बारे में बताने जा रहे हैं, जो किसी भी महिला की जान लेने के लिए एक पल भी नहीं सोचती थी और तो और उसका हथियार कोई चाकू या बंदूक नहीं था बल्कि किसी को भी मौत के घाट उतारने के लिए महिला उनके दुखों और परेशानियों से ही खिलवाड़ किया करती थी, तो आइए आपको बताते हैं…
“सायनाइड मल्लिका”, ये एक ऐसी महिला है जिसका जीवन कुछ खास तो नहीं था और न ही वो अमीर थी, लेकिन शायद उसका ये सपना था कि वो मल्लिका बने, उसके पास खूब सारे पैसे हों, ऐशो आराम हो, इसलिए जब उसे ये चीजें नहीं मिलीं तो उसने सीरियल कीलिंग जैसा खूंखार रास्ता अपना लिया और वो सीरियल कीलर बन बैठी.
सायनाइड मल्लिका का असली नाम केडी केमपम्मा है. ये कर्नाटक के कग्गलीपुरा की रहने वाली है. इनकी शादी देवराज नाम के एक दर्ज़ी से हुई, जिसकी कमाई केवल इतनी ही थी की पेट भरने लयाक गुजारा किया जा सके. लेकिन मल्लिका को तो आलीशान ज़िंदगी चाहिए थी. जिसके चलते पहले उसने घर-घर जाकर काम करना शुरू किया और बाद में उसने चिट फंड का धंधा शुरू किया. वैसे तो ये धंधा चल पड़ा था लेकिन जब लालच आ जाए तो पहले पैसों की आबादी होती है बाद में बर्बादी. जिसके चलते उसने निवेशकों के पैसे हड़पने शुरू कर दिए. इस वजह से उसका और उसके पति का भी झगड़ा भी होता रहता था लेकिन वो कहती थी कि जो होगा वो देख लेगी. उसके बाद धोखाधड़ी के लिए केमपम्मा को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था.
कैद केमपम्मा साल 1998 में जेल से निकली, लेकिन तब तक पति और बच्चों के मन में उसके लिए कोई सम्मान नहीं बचा था. उसके पति ने उसे घर और अपनी जिंदगी दोनों से निकाल दिया. जिसके बाद वो घरों में काम करने लगी लेकिन जिसने नौकरानी नहीं रानी के ख्वाब देखे हों वो भला कैसे इस तरह से जीवन काट सकती थी. वहीं जब उसे एक ज्वेलरी स्टोर पर काम मिला तो उसने वहां सोने-चांदी के कारीगरों के साथ खूब बातचीत बढ़ाई और फिर तरह-तरह की जानकारियां हासिल की. जैसे सोने के काम में कौन से कैमिकल्स का इस्तेमाल किया जाता है और ये किस तरह से प्रभावी होते हैं.
कमाई करने के लिए केमपम्मा ने एक रास्ता निकाला, जिसके चलते वो पहले अमीर महिलाओं की परेशानी जान लेती और फिर खास पूजा करने का सुझाव देती और पूजा के लिए महिला से अपने सभी गहने पहन कर आने को कहती थी. इस दौरान वो प्रसाद में पोटैशियम सायनाइड मल्लिका को खिलाती जिसे खाते ही महिला की मौत हो जाती और वो मृत महिला के गहने उड़ा ले जाती थी. महिलाओं को मौत के घाट उतारने के लिए केमपम्मा गहनों की सफाई के लिए प्रयोग किए जाने वाले साइनाइड का इस्तेमाल करती थी.
वहीं एक बार जब पूजा करने के बहाने केमपम्मा ने एक परिवार के गहने लूटने की कोशिश की तो उन्होंने पुलिस को इसकी शिकायत कर दी और फिर उसे गिरफ्तार कर लिया गया. उसके बाद 6 महीने के बाद वो जेल से बाहर आ गई और गुमनाम जिंदगी जीने लगी जिससे किसी को कोई शक न हो.
साल 2006 में जब वो बेंगलुरु में गई तो उसने वारदात को अंजाम देने से पहले अपना नाम ही बदल लिया और फिर रेणुका नाम की एक महिला की हत्या की. जिसका शव गेस्ट हाउस से मिला और फिर पुलिस तेजी से जांच में जुट गई, सुराग से किलर जयम्मा के बारे में पता चला जो सायनाइड मल्लिका यानि केमपम्मा ही थी. इसके बाद पुलिस जयम्मा की तलाश में लगी रही.
साल 2007 आते आते केमपम्मा की जमा पूंजी खत्म होने लगी, फिर से उसने मंदिर में किसी न किसी महिला से मेलजोल बढ़ाने की कोशिश करती रहती और उनके बारे में जानने की भी कोशिश करते हुए केमपम्मा पीड़ित महिला को झांसा देती. वो एक विशेष पूजा के जरिए उसकी परेशानी को खत्म करने की बात कहती. इस बार उसने कई महिलाओं को झांसा दिया. अक्टूबर 2007 से दिसंबर 2007 के बीच केमपम्मा ने 6 औरतों को विशेष पूजा का झांसा देते हुए मार डाला और मौके से ज़ेवरात और रुपये लेकर फरार हो गई.
वहीं जब केवल 2 महीने में ही कई औरतों के शव बरामद किए जाने लगे तो पुलिस ने छानबीन करना तेजी से शुरू कर दिया, जिसमें पाया गया कि ये शव किसी न किसी मंदिर के पास से ही बरामद किए गए है. लंबे समय तक हुई छानबीन में एक दिन बैंगलोर के एक बस अड्डे से केमपम्मा को गिरफ्तार कर लिया गया. जिसके पास से बहुत सारे गहने भी बरामद किए गए.
केमपम्मा ने पुलिस को पूछताछ के दौरान अपना जुर्म कबूल लिया, जिसके बाद से ये पूरे देश की पहली महिला सीरियल किलर के तौर पर जानी जाने लगी और फिर उसे सायनाइड मल्लिका से भी पहचाना जाने लगा. इस पर कई औरतों के कत्ल का आरोप लगा है. उसके 2 बेटे और 1 बेटी भी हैं.
आपको जानकारी के लिए बता दें कि मल्लिका का आखिरी शिकार बैंगलोर की नागवेणी थी जिसे उसने 2007 में मारा डाला था. जिसके बाद वो जेवर लेकर भाग ही रही थी कि उसे पुलिस ने पकड़ लिया था, उस दौरान वो 44 साल की थी. बता दें कि अप्रैल, 2012 में केमपम्मा को मौत की सजा सुनाई गई थी लेकिन फिर इसकी सजा को बदलकर उम्रकैद में बदल दिया गया. कोर्ट को केमपम्मा के खिलाफ सीधा सबूत न मिलने के चलते इस मामले को ‘रेयरेस्ट ऑफ़ दी रेयर’ केस में डाल दिया गया.
Serial Killer सायनाइड मल्लिका के बारे में दी गयी किसी भी जानकारी की पुष्टि नेड्रिक न्यूज नहीं करता है. ये जानकारियां अलग-अलग स्त्रोतों से जुटाई गई है. नेड्रिक न्यूज इन जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक जरिया है.