होली का त्यौहार आने में अब बस कुछ ही दिन है. जिस वजह से इसको लेकर पूरे देश में लोगों में उत्साह होना तो जायज है. हालांकि जहां देश के ज्यादातर घरों में इसको लेकर जोरों शोरो से तैयारियां चल रहीं है वहीं भारत में कुछ ऐसी भी जगहें जहां ये त्यौहार मनाया ही नहीं जाता. ये बात आपके मन में ये सवाल जरूर कौंधा होगा कि भारत के महापर्व होने के बावजूद भी आखिर इस त्यौहार के न मनाने की वजह क्या हो सकती है. हालांकि इसके पीछे के कारण काफी अजीबोगरीब हैं. लेकिन ये आपको जानने ज़रूर चाहिए.
मध्यप्रदेश के जिले में ये मान्यता
मध्यप्रदेश के बैतूल जिले की मुलताई तहसील के डहुआ गांव में 125 साल से होली नहीं मनाई गयी है. स्थानीय लोगों का कहना है कि करीब 125 साल पहले होली वाले दिन इस गांव के प्रधान बावड़ी में डूब गए थे जिसके चलते उनकी मौत हो गयी थी. इस मौत से गांव वाले बहुत दुखी हुए और उनके इस घटना के बाद जेहन में डर बस गया. अब होली न खेलना यहां की धार्मिक मान्यता बन चुकी है.
झारखंड के इस गांव में 100 साल से नहीं खेली गयी होली
झारखंड के बोकारो के कसमार ब्लॉक स्थित दुर्गापुर गांव में महामारी और आपदा के डर से होली नहीं खेली जाती. एक दशक पहले एक राजा के बेटे की यहां होली के दिन मृत्यु हो गयी थी. जिसके बाद से हर बार होली का आयोजन होने पर गांव महामारी के साए में आ जाता था. इसके बाद से राजा ने यहां होली न मनाने का आदेश दिया. अब उसके बाद से इस गांव में 100 साल से होली नहीं मनाई जाती.
यहां सिर्फ महिलाओं को होली खेलने की इजाजत
उत्तर प्रदेश के कुंडरा गांव में होली के त्यौहार पर सिर्फ महिलाएं होली के रंगों से सराबोर होती हैं. यहां इस दिन पुरुष खेतों पर चले जाते हैं ताकि महिलाएं बेझिझक होकर होली खेल सकें. इस दिन महिलाएं जानकी मंदिर में एकत्र होती हैं और होली खेलती हैं. इस दौरान लड़कियों, पुरुषों और बच्चों को भी होली खेलने की परमिशन नहीं होती है. दरअसल ऐसा इसलिए है क्योंकि होली के दिन यहां मेमार सिंह नाम के एक डकैत ने ग्रामीण की हत्या कर दी थी. जिसके बाद से लोग होली नहीं खेलते थे. फिर बाद में महिलाओं को होली खेलने की इजाजत मिल गयी थी.