हमारे देश के हर राज्य में कुछ न कुछ स्पेशल बात जरूर है, जिससे उसकी पहचान होती है। जैसे कि असम की चाय और यूपी में ताजमहल का होना या फिर राजस्थानी ठाठबांट सब स्पेशल है। उसी तरह से देश का एक राज्य है मणिपुर, जहां की राजधानी इंफाल का इमा मार्केट बेहद स्पेशल है, जिसे मदर्स मार्केट भी कहते हैं।
महिलाओं के द्वारा चलाया जाने वाला इमा मार्केट एशिया की सबसे बड़ी मार्केट है, जो 15वीं शताब्दी में बनी और जिसके बारे में हम एक एक कर खास बातों को जानेंगे। तो आइए इस अनोखी मार्केट की कुछ दिलचस्प बातों के बारे में आपको बताते हैं…
1. इंफाल के खवैरंबंद बाजार में स्थित ये मदर्स मार्केट शहर के दिल की धड़कन है, जिसे खैरबंद बाजार या नुपी कैथल भी कहा जाता है। मणिपुरी में इसे इमाकैथिल मार्केट बुलाते है जहां पर कई महिलाएं पीढ़ियों से दुकान लगाती हैं।
2. यहां हर तरह की चीजें मिल जाती है जैसे कि हैंडीक्राफ्ट सामान, खिलौने या फिर कपड़े, सजने सवरने की चीजें, खाने का सामान, मसाले, सब्जियां, यहां तक कि मीट और वो सभी सामान यहां बेचे और खरीदे जाते हैं जिनको घरों में यूज में लाया जाता है।
3. इमा मार्केट में 5000-6000 से ज्यादा महिला है जो दुकान लगाती हैं और दुकान चलाने को लेकर जो भी काम होता है, उसका जिम्मा महिलाओं के पास ही है। महिलाओं का चुना गया यूनियन है जो तय समय तक इसके एडमिनिस्ट्रेशन से जुड़े काम देखता है। यहां पुरुषों के व्यापार करने पर सख्त पाबंदी है।
4. पहले ये मार्केट शेड्स में लगता था, लेकिन फिर यहां एक बड़ा सा चार मंजिला बिल्डिंग इंफाल म्युनिसपल काउंसिल ने बनवाया जिसमें पूरा बाजार लगाया जाता है। इस मार्केट को लेकर सबसे पहली बार जिक्र मणिपुर के गजेटियर में महिला बाजार के तौर पर साल 1786 में हुआ। इस मार्केट के लिए तब कहा गया कि सुबह खुले में सुबह खुले में ये पूरा बाजार महिलाओं द्वारा लगाया जाता है।
5. 1948-52 के बीच कुछ लोकल रिच लोग कई दूसरे व्यापारियों से मिलकर इस मार्केट के शेड्स को गिराने की कोशिश में थे, लेकिन उनके मंसूबो को महिलाओं ने पूरा नहीं होने दिया। आज महिलाएं बाजार में लंच के वक्त सामाजिक आर्थिक मुद्दों पर चर्चा किया करती हैं।
6. 1074-1112 में राजा लोयुंबा के दौर में लल्लुप-काबा यानी कि जबरन मजदूरी करवाने का ट्रेंड चलाया और जबरन पुरुषों को राज्य से बाहर काम करने को भेजा जबरन काम करने के लिए राज्य के बाहर भेजा। कहते हैं कि ऐसे में महिलाएं घर की जिम्मेदारी उठाएं, घर चलाएं, इसके लिए इस मार्केट को स्थापित किया गया था।
7. इकोनॉमिकल और पॉलिटिकल सुधार को ब्रिटिश कॉउंसिल एडमिनिस्ट्रेशन ने साल 1891 में जब मणिपुर पर लगाए, तो बाजार के काम पर असर हुआ। तब अंग्रेज मनमाने ढंग से लोकल नीड को जाने बिना ही यहां पैदा हुए अनाज बाहर बेचने लगे, जिससे यहां भूखमरी आ गई। तब इस मार्केट की महिलाएं लड़ने को आगे आईं और अंग्रेजों के द्वारा जब इस मार्केट तो विदेशी या बाहरी लोगों को बेचने का प्रयास किया गया तो इन महिलाओं ने भारी विरोध किया। वहीं जब जापान ने भारत पर अटैक किया तो अंग्रेजों ने मणिपुर में अपनी गलत एक्टिविटिज को रोका।
8. यहां ऐसी महिला को भी दुकान के लिए जगह अलाट है जो कि विधवा हैं, सिंगल हैं। इस फेमस मार्केट को देखने काफी बड़ी संख्या में टूरिस्ट आते हैं। परिवार चलाने के लिए यहां की महिलाएं खुद खेती करती हैं, हस्तशिल्प उत्पादनों के साथ ही दूसरे ट्रेड्स के काम भी करती हैं। महिलाएं इस मार्केट से अच्छा पैसा कमा लेती हैं।
9. पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों के मुताबिक ये मार्केट साढ़े तीन किलोमीटर तक लगता है और करीब पांच हजार महिलाओं के पास लाइसेंस है सामान बेचने का। ये लाइसेंस महिलाओं को पीढ़ी दर पीढ़ी उनकी फैमिली के सदस्यों को ट्रांसफर किया जाता है।
10. इस मार्केट की खास बात ये है कि इसका अपना क्रेडिट सिस्टम भी है। आर्थिक तौर पर कमजोर महिला सदस्यों को यहां पर अपना व्यवसाय आगे बढ़ाने के लिए लोन भी दिया जाता है।