Dalit IAS Officers in India Complete Details in Hindi – IAS ऑफिसर जिसे देश के एक क्षेत्र / जिले / विभाग के प्रशासन को संभालने की जिम्मेदारी मिलती है. आईएएस अधिकारी को लॉ एंड आर्डर ठीक रखने और देश के हित में फैसले लेने की शक्ति मिलती है. भारत के कई सारे IAS ऑफिसर ऐसे हैं जो बहुजन समाज से आते हैं और इस वजह से ये ऑफिसर अपनी जाति की वजह से चर्चा में रहे. दरअसल, बहुजन समाज को भारत में आम लोगों की तरह वो अधिकार नहीं मिलता जिसकी वजह से इस जाति के लोग पीछे रह गए लेकिन भारत के कई IAS ऑफिसर हैं जो देश की सबसे बड़ी नौकरी के दावेदार बने और आज के समय इनकी गिनती ताकतवर IAS ऑफिसर में होती है. वहीं इस पोस्ट के जरिए हम आपको भारत के 5 सबसे ताकतवर IAS ऑफिसर के बारे में बताने जा रहे हैं.
टीना डाबी – Dalit IAS Officers in India
बहुजन समाज की IAS ऑफिसर में पहला नाम आईएएस टीना डाबी का है. 9 नवंबर 1993 को भोपाल में जन्मी IAS टीना डाबी फर्स्ट रैंक के साथ साल 2015 बैच की UPSC परीक्षा पास की और दो साल की ट्रेनिंग के बाद IAS ऑफिसर बनी और इस समय वो राजस्थान के जैसलमेर जिले की कलेक्टर के रूप में अपनी सेवाएं दे रही है लेकिन IAS ऑफिसर बनने से पहले सोशल मीडिया पर उनकी जाति को लेकर चर्चा होने लगी थी और कहा कि टीना डाबी ने जाति का फायदा उठाकर एग्जाम में टॉप किया है.
वहीं मुंबई के बाबासाहेब अंबेडकर रिसर्च एंड ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट ने टीना को उनकी उपलब्धि के लिए सम्मानित किया था तब इस मौके पर टीना ने कहा कि आज मैं जो कुछ भी हूं वो सब अंबेडकर की देन है. बाबासाहेब के संघर्षों से मुझे लगातार प्रेरणा मिलती रही है. टीना डाबी ने कहा था- भारत की असलीयत बदलने में अभी काफी समय लगेगा. हमें सिस्टम और संविधान पर भरोसा रखना चाहिए, जो पिछड़ों को अधिकार देती है.
जगमोहन सिंह राजू – Dalit IAS Officers in India
भारत के बहुजन समाज के IAS ऑफिसर का नाम जगमोहन सिंह राजू हैं. जगमोहन सिंह राजू 1985 बैच के तमिलनाडु कैडर के आईएएस अफसर रहे हैं. और 22 साल की अवस्था से तमिलनाडु में अपनी सेवाएं दी हैं और कई बार केंद्र की प्रतिनियुक्ति पर भी रहे हैं इसी के साथ उन्हें तमिलनाडु के एडिश्नल चीफ सेक्रेटरी का पद मिला लेकिन वहीं पंजाब चुनाव के दौरन अपने राज्य के कुछ करने के लिए तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन को अपने इस्तीफे दे दिया. वहीं अपनी सर्विस के दौरान के उन्हें लगा कि उन्होंने इस पद को हासिल करते हुए शायद मुसीबत ले ली है उनकी दुश्मनी बढ़ गयी और कई बार ऐसा लगता था कि उन्हें लोगों को ये लगता था कि इस समुदाय के लोगों को शीर्ष पर नहीं जाना चाहिए.
कनिष्क कटारिया
दलित आईएएस ऑफिसर की लिट्स में तीसरा नाम कनिष्क कटारिया का है. कनिष्क कटारिया ने 2018 की यूपीएससी परीक्षा पास की है. कनिष्क अमेतिचा में जॉब करते थे लेकिन वो अपने लाखों रुपये की नौकरी छोड़ भारत आए और आईएएस ऑफिसर बने और समाज में बहुजन समाज को लेकर बनी कुप्रथा भू टूटी कि दलित पढ़ लिख नहीं सकते हैं. वहीं कनिष्क का युवाओं के प्रति यही संदेश रहा कि मेहनत और दृढ़ निश्चय यदि कर लिया जाए तो अयोग्यता योग्यता में बदल जाती है.
अच्युतानंद दास
इसी के साथ इस लिस्ट में अच्युतानंद दास का भी नाम शामिल है. अच्युतानंद दास देश के पहले आईएएस ऑफिसर थे और उन्होंने परीक्षा में 46वां रेंक हासिल किया था. वहीं जब उन्होंने ये परीक्षा पास की तब देश में जाति को लेकर बड़ा भेद भाव था. वहीं अचूतानंद भी इस जाति वाले भेदभाव का शिकार हुए थे और उन्हें अछूत कहकर कई बार शर्मिंदा भी किया गया लकिन इस शर्मिंदा को दरकिनार कर वो IAS ऑफिसर बने और आज के समय उनके समाज के लोगों को उनके IAS ऑफिसर बनने इ कहानी का उदाहरण दिया जाता है.
श्रीधन्या सुरेश – Dalit IAS Officers in India
इसी के साथ आईएएस अधिकारी श्रीधन्या सुरेश भी इस लिस्ट में शामिल है. श्रीधन्या सुरेश 2019 की बैच की केरल की पहली महिला दलित आईएएस अधिकारी हैं. कम जाति का होना की वजह से श्रीधन्या सुरेश भी भेदभाव का शिकार हुई थी जिसके बाद उन्होंने UPSC की तैयारी की और IAS ऑफिसर बनी और IAS बनकर उनका पहला मकसद अनुसूचित जाति के बच्चों की शिक्षा में सुधार करना था. वहीं उनके आईएएस अधिकारी बन ने के बाद आज उनके परिवार और समुदाय के साथ पूरे राज्य को उन पर गर्व है.
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