आज की तारीख़ बेहद ख़ास होने वाली है और ऐसा इसलिए है क्योंकि आज यानी 19 अगस्त की रात को साल का पहला सुपरमून नज़र आएगा। इसके साथ ही यह चांद ब्लू मून भी होगा। इस दिन को काफी ऐतिहासिक माना जा रहा है, ऐसे में यह जानना और भी ज़रूरी हो गया है कि आखिर यह सुपर ब्लू मून क्या है और क्यों इतना ख़ास है। आइए विज्ञान की नज़र से सुपर ब्लू मून के बारे में समझाते हैं।
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अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा की रिपोर्ट के मुताबिक, 19 अगस्त से अगले तीन दिन यानी रविवार सुबह से बुधवार सुबह तक पूरा चांद दिखाई देगा। साल में चार सुपरमून दिखते हैं। इनमें से पहला सुपरमून आज (19 अगस्त) दिखाई देगा। जब सुपरमून और ब्लू मून एक साथ होते हैं, तो उसे ‘स्टर्जन मून’ कहते हैं।
ब्लू मून क्या होता है?
ये बात जानना जरूरी है की ब्लू मून पर चंद्रमा नीला नहीं होता है। यह सफेद रंग का ही होता है। 1528 से, “ब्लू मून” वाक्यांश का उपयोग किया जा रहा है। ब्लू मून दो प्रकार के होते हैं: मौसमी और मासिक। जब एक मौसम में चार पूर्णिमाएँ होती हैं – वसंत, ग्रीष्म, पतझड़ और सर्दी – तो मौसमी ब्लू मून दिखाई देता है। ब्लू मून का मतलब तीसरी पूर्णिमा है। 19 अगस्त इस मौसम का ब्लू मून है। दूसरी तरह का ब्लू मून हर महीने होता है। जब एक ही महीने में दो पूर्णिमाएँ होती हैं, तो ऐसा होता है। ब्लू मून इस तरह के महीने की दूसरी पूर्णिमा को संदर्भित करता है। 19 अगस्त के बाद अगली पूर्णिमा सितंबर या अक्टूबर में पड़ती है।
सुपर मून कितना बड़ा होता है?
जब चंद्रमा पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाता है, तो इन दोनों पिंडों के बीच की दूरी बदलती रहती है। कभी-कभी चंद्रमा पृथ्वी से अपने सबसे दूर बिंदु (405,500 किमी) पर होता है, और कभी-कभी यह पृथ्वी के सबसे निकट (363,300 किमी) होता है। जब चंद्रमा पृथ्वी के सबसे निकट होता है और उस दिन पूर्णिमा भी होती है, तो उसे सुपर मून कहा जाता है। सुपर मून शब्द सबसे पहले 1979 में वैज्ञानिक रिचर्ड नोल द्वारा गढ़ा गया था। सामान्य चंद्रमा की तुलना में यह लगभग 30 प्रतिशत अधिक चमकीला होता है और 14 प्रतिशत बड़ा दिखाई देता है।
कब, कैसे और कहां देख सकेंगे आप?
सुपरमून ब्लू मून या ‘स्टर्जन मून’ 19 अगस्त 2024 को दिखाई देगा। यह 19 अगस्त को दोपहर 2:26 बजे EDT पर उदय होगा। भारत में यह 19 अगस्त की रात से 20 अगस्त की सुबह तक दिखाई देगा। अगर आपके पास दूरबीन या टेलिस्कोप है, तो उसका इस्तेमाल करें क्योंकि इससे सुपरमून देखने का अनुभव बेहतर हो सकता है।
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