पश्चिम बंगाल में बीजेपी और TMC के बीच सत्ता हासिल करने की जंग छिड़ी हुई हैं। दोनों ही पार्टियां इन चुनावों को लेकर काफी ज्यादा एक्टिव हैं। बंगाल में आठ चरणों में विधानसभा के चुनाव होने जा रहे हैं, जिसमें से अब तक दो फेज की वोटिंग हुई है। पहले और दूसरे, इन दोनों ही फेज में वोटिंग प्रतिशत काफी ज्यादा रहा। दोनों ही चरणों में बंपर मतदान हुआ। इस वजह से ऐसी चर्चाएं चल रही हैं कि राज्य में जो महिला वोटर्स की संख्या में इजाफा हो रहा है, वो इसके नतीजों में एक अहम भूमिका निभा सकता है।
चुनाव में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी
यहां पर ना सिर्फ महिला मतदाताओं का प्रतिशत बढ़कर 49 के आंकड़े को पार कर गया, बल्कि चुनाव आयोग द्वावरा प्रकाशित अंतिम मतदाता सूची में लिंग अनुपात भी बीते साल की तुलना में बढ़ा, ये 956 से बढ़कर 961 पहुंच गया। दूसरे बड़े राज्यों में बंगाल ही ऐसा राज्य है, जहां पर चुनाव में महिलाओं की भागीदारी ज्यादा रही।
केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश के बाद बंगाल ऐसा चौथा प्रमुख राज्य हैं, जहां चुनावों में महिलाओं की भागीदारी ज्यादा है। केरल में महिला वोटर्स 51.4 प्रतिशत हैं, तो हीं तमिलनाडु में 50.5 और आंध्र प्रदेश में 50.4 फीसदी। बंगाल में ये 49.01 है। बात अगर छोटे राज्य की करें तो गोवा, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, पुडुचेरी और मेघालय में महिला वोटर्स की संख्या पुरुष मतदाताओं से अधिक है।
बीजेपी को दिख रहा “मौका”
यही वजह है कि बंगाल की सत्ता तक पहुंचने के लिए दोनों प्रमुख पार्टियां बीजेपी और तृणमूल कांग्रेस महिलाओं को लुभाने की पूरी कोशिश करती नजर आ रही हैं। बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव बी एल संतोष ने हाल ही में इसको लेकर एक ट्वीट भी किया था, जिसमें उन्होनें कहा था- ‘बिहार की तरह यहां भी महिला मतदाता बीजेपी को जीत का परचम लहराने में मदद करेगीं। पीएम मोदी के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार की तरफ से महिलाओं को दिए गए सम्मान की वजह से महिलाओं के मन में अच्छी छवि बनी है, जो साफ तौर पर नजर आती है। यहां तक कि नंदीग्राम सीट से भी, जहां खुद ममता बनर्जी प्रत्याशी हैं।‘
दोनों पार्टियों ने महिलाओं को लुभाने की खूब कोशिश की
वैसे तो बीजेपी और TMC ने अपने घोषणापत्र के जरिए महिलाओं के लिए कई बड़े वादे किए और उनको लुभाने की कोशिश की। लेकिन बीजेपी इस मामले में एक नंबर आगे नजर आती है। महिलाओं पर बीजेपी ने अपने घोषणापत्र में खास फोकस किया। बीजेपी ने अपने मेनिफेस्टो में महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण देने से लेकर, पब्लिक ट्रांसपोर्ट में फ्री यात्रा और केजी से पीजी तक मुफ्ट शिक्षा जैसे बड़े बड़े वादे किए।
हालांकि TMC भी इसमें पीछे नहीं। पार्टी का फोकस भी इन चुनावों में महिलाओं पर है। एक ओर पार्टी अपने शासनकाल के दौरान महिलाओं के लिए काम का प्रचार कर रही है, जिसमें कई योजनाएं भी शामिल हैं। दूसरी पार्टी चुनावों को लेकर TMC का नारा ही ये है कि “बंगाल को बेटी चाहिए”।
वहीं ममता बनर्जी की सरकार ने 2019 के चुनावों के दौरान पार्टी ने महिलाओं तक पहुंचने के लिए राजनीतिक मोर्चे पर बोंगो जननी नाम की अलगी विंग बनाई थी। इसका मकसद अपनी पार्टी की विकासात्मक योजनाओं और बीजेपी शासनकाल के दौरान महिलाओं बढ़ते अपराध को उजागर करने का था। बोंग जननी की महासचिव और महिला एवं बाल विकास मंत्री शशि पंजा ने कहा कि बीते 10 सालों में TMC ने अपने शासन में कन्याश्री जैसी कई योजनाओं की शुरूआत की। इसको विश्व स्तर पर सराहना भी मिलीं। हमें अपने काम के लिए बीजेपी से प्रमाण पत्र लेने की जरूरत नहीं।
गौरतलब है कि बंगाल चुनावों में महिलाओं वोटर्स की बढ़ती भागीदारी का क्या असर होगा? क्या बंगाल चुनावों में महिलाएं कोई बड़ा ‘खेला’ करती हैं? किस पार्टी को इसका फायदा मिलता है, ये देखने वाली बात होगी। वैसे जानकारी के लिए आपको बता दें कि बंगाल में अगले यानी तीसरे चरण के चुनाव 6 अप्रैल को होने जा रहे हैं, जिसके लिए प्रचार थम चुका है। राज्य में कुल 8 चरणों में चुनाव हो रहे है। बंगाल चुनाव के नतीजे की तारीख 2 मई है।