असम और मिजोरम पूर्वोत्तर के ये दो राज्य बीते दिन से एकाएक चर्चा में आ गए। वजह है इन दोनों राज्यों में सीमा को लेकर जारी विवाद ने हिंसक रूप ले लिया। बात इतनी बढ़ गई कि इस भयंकर हिंसा की वजह से असम पुलिस के 6 जवान भी शहीद हो गए, जबकि बड़ी संख्या में लोगों के घायल होने की खबर भी है।
असम और मिजोरम इन हिंसा के लिए एक दूसरे को जिम्मेदार ठहराते हुए नजर आ रहे हैं। दोनों राज्यों के मुख्यमंत्री ट्विटर पर आपस में भिड़ गए। अब देश के दो राज्य यूं आपस में लड़ेंगे, तो उस पर सवाल तो उठेंगे ही। आपके मन में भी सवाल उठ रहे होंगे कि आखिर असम और मिजोरम के बीच विवाद किस चीज का है? क्यों ये दोनों राज्य भिड़ गए हैं? आइए आपको इसके पीछे की वजह के बारे में विस्तार से बताते हैं…
अग्रेंजों के जमाने से चला आ रहा है विवाद
बात ब्रिटिश काल के दौरान की है। मिजोरम और असम का एक जिला हुआ करता था। इसको तह लुशाई हिल्स के नाम से जाना जाता था। साल 1987 में मिजोरम को पूर्ण राज्य का दर्जा मिला। 1950 में असम भारत का संवैधानिक राज्य बना था।
असम और मिजोरम के बीच सीमा का जो विवाद है वो ब्रिटिश काल के तहत पारित दो अधिसूचनाओं से ही उपजा। पहली अधिसूचना 1875 की अधिसूचना, जिसने लुशाई हिल्स को कछार के मैदानी इलाकों से अलग किया। वहीं दूसरी अधिसूचना 1933 की है, जिसने लुशाई हिल्स और मणिपुर के बीच सीमा तय की।
मिजोरम का ये मानना है कि सीमा का जो निर्धारण है वो 1875 की अधिसूचना के आधार पर होना चाहिए। मिजोरम के नेता 1933 वाली अधिसूचना को स्वीकार नहीं करहैं। उनके अनुसार इस अधिसूनचा में मिजोरम के समाज से सलाह नहीं ली गई थीं। वहीं असम 1933 की अधिसूचना को स्वीकार करता है। यही वजह है दोनों राज्यों के बीच तनाव की।
मिजोरम के 3 जिले आइजल, ममित और कोलासिब असम के तीन जिलों करीमगंज, कछार और हैलाकांडी से लगते हैं। मिजोरम ये दावा करता है कि उसके तकरीबन 509 वर्गमील इलाके पर असम ने कब्जा किया हुआ है।
फिलहाल विवाद किस वजह से हो रहा है?
ताजा विवाद कुछ दिन पहले से शुरू हुआ। जब असम पुलिस ने अपने इलाके को खाली कराने के लिए कुछ लोगों को खदेड़ दिया। असम पुलिस के मुताबिक ये लोग अतिक्रमणकारी थे। वहीं जानकारी के मुताबिक जिन लोगों को पुलिस ने खदेड़ा वो मिजोरम के थे। जिसकी वजह से असम और मिजोरम में तनाव बढ़ गया।
इसके बाद जब असम सरकार की एक टीम वहां पहुंची, तो IED बम फेंका गया। 11 जुलाई सुबह सीमा के पास एक के बाद एक दो धमाकों की आवाज आई। फिर मिजोरम-असम की सीमा पर कुछ अज्ञात बदमाशों ने 8 झोपड़ियां को आग लगा दी। हालांकि जब झोपड़ियों में आग लगाई गई, तब वहां कोई नहीं था। IG के मुताबिक ये झोपड़ी असम के नजदीकी सीमावर्ती गांव वायरेंगटे के किसानों की है।
बीते दिन सोशल मीडिया पर इस विवाद को लेकर मिजोरम के सीएम जोरमथंगा और असम के सीएम हिमंत बिस्व सरमा आपस में भिड़ते नजर आए। दोनों ने हिंसा के लिए एक दूसरे को जिम्मेदार ठहराया। साथ ही पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से मामले में दखल देकर इसे सुलझाने की अपील की।
हाल ही में अमित शाह ने किया था दौरा
आपको बता दें कि असम में बीजेपी की सरकार सत्ता में हैं, जबकि मिजोरम में बीजेपी सरकार में सहयोगी है। इस विवाद को सुलझाने के लिए केंद्र ने दखल भी दिया। दोनों सूबों के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशकों को दिल्ली बुलाकर बैठक कराई गई थी। इसके अलावा 24 जुलाई को ही गृह मंत्री अमित शाह पूर्वोत्तर दौरे पर भी गए थे। जिसके बाद दोनों राज्य के बीच जारी विवाद ने हिंसक रूप ले लिया।
25 जुलाई को गृह मंत्री अमित शाह ने पूर्वोत्तर राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक भी की थी। इस बैठक में भी सीमा विवाद का मुद्दा उठा। मिजोरम के सीएम ने कहा कि नागालैंड, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश और मिजोरम जैसे राज्यों को बनाते समय जो अग्रेजों के जमाने से भूमि विवाद चले आ रहे हैं, उन्हें अब तक सुलझाया नहीं गया। असम का जिक्र करते हुए सीएम जोरमथंगा ने कहा था कि जिस इलाके को वो अपनी सीमा में बताता, उससे 100 सालों से मिजो के लोग जुड़े हुए हैं।