साल 2022 के शुरुआत में ही देश के कई राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। जिसे लेकर राजनीतिक पार्टियां अपनी तैयारियों में लग गई है। प्रदेश की सत्तारुढ़ भारतीय जनता पार्टी की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही है। पिछले 6 महीनें में बीजेपी के दो मुख्यमंत्रियों ने इस्तीफा दे दिया है, जिसे लेकर बीजेपी में बवाल मचा हुआ है।
मार्च 2020 में उत्तराखंड में 4 सालों से सरकार को नेतृत्व करने वाले त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इस्तीफा दे दिया था। जिसके बाद बीजेपी ने तीरथ सिंह रावत को प्रदेश का सीएम बनाया था लेकिन अब उन्होंने भी अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। इनके इस्तीफे को लेकर भी कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। बीजेपी के लोग इसे संबैधानिक मजबूरी बता रहे हैं, तो वहीं विपक्षी पार्टियां इसका अलग मतलब निकाल रही है। जानिए आखिर क्यों तीरथ सिंह रावत को देना पड़ा इस्तीफा
बेबी रानी मौर्य को सौंपा इस्तीफा
बीते दिन शुक्रवार रात करीब 11 बजे तीरथ सिंह रावत ने प्रदेश की राज्यपाल बेबी रानी मौर्य से मिलकर अपना इस्तीफा सौंप दिया। इस्तीफे के बाद तीरथ सिंह रावत ने मीडिया से बात करते हुए कहा, ‘मैंने संवैधानिक संकट की वजह से राज्यपाल को इस्तीफा सौंप दिया है। राज्य के मुख्यमंत्री के तौर पर सेवाएं देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, अमित शाह और जेपी नड्डा का आभार व्यक्त करता हूं।’
वहीं, उत्तराखंड बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने कहा कि ‘कोविड के चलते परिस्थितियां ऐसी बन गई थीं कि मुख्यमंत्री को इस्तीफा देना पड़ा। चुनाव आयोग ने साफ कर दिया था कि ऐसी महामारी में वह उपचुनाव नहीं कराएगा। इससे राज्य में संवैधानिक संकट हो सकता था। इसलिए मुख्यमंत्री ने इस्तीफा दिया है।‘
रावत के पास था 10 सितंबर तक का समय
दरअसल, तीरथ सिंह रावत लोकसभा चुनाव 2019 में गढ़वाल लोकसभा क्षेत्र से बीजेपी सांसद चुने गए थे। त्रिवेंद्र सिंह रावत के इस्तीफे के बाद बीजेपी ने इन्हें राज्य का सीएम बनाया। भारतीय संविधान के अनुसार अगर कोई ऐसा व्यक्ति जो राज्य विधानसभा का सदस्य नहीं है और वह राज्य का सीएम बनता है तो 6 महीनें के भीतर उसे विधानसभा की सदस्यता लेनी पड़ती है। अन्यथा उन्हें पद से हटाया जा सकता है।
10 मार्च को सीएम पद की शपथ लेने वाले तीरथ सिंह रावत के पास विधानसभा सदस्य बनने के लिए 10 सितंबर तक का समय था। लेकिन कोरोना की वजह से राज्य में उपचुनाव नहीं हो सकते…इसका हवाला देते हुए उन्होंने इस्तीफा दे दिया।
गौर करने वाली बात है कि कोरोना काल में उत्तराखंड के साल्ट विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव हुआ। सीएम वहां से भी चुनाव लड़ सकते थे। दूसरी ओर अब कोरोना वायरस महामारी की स्थिति पहले से कुछ सामान्य हो गई है, आने वाले कुछ दिनों में स्थिति और बेहतर हो जाती…ऐसे में संवैधानिक बाध्यता के कारण उनके इस्तीफे देने को लेकर कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं।
5 साल में राज्य को 3 सीएम दे रही बीजेपी
इस मामले को लेकर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने भी बीजेपी को निशाने पर लिया है। कांग्रेस के दिग्गज नेता और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरिश सिंह रावत ने कहा, ‘इससे बड़ा झूठ और क्या हो सकता है कि उत्तराखंड में COVID-19 के कारण उपचुनाव नहीं हो सकते हैं और मुख्यमंत्री संवैधानिक मजबूरी के कारण इस्तीफा दे रहे हैं। हकीकत यह है कि इसी कोरोना काल में पहले भी उपचुनाव हो चुके हैं। उत्तराखंड के साल्ट विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव हुआ है, मुख्यमंत्री वहां से भी चुनाव लड़ सकते थे।‘
पूर्व मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि ‘तीरथ सिंह दूसरों का इस्तीफा दिलवाकर कहीं और से चुनाव लड़ सकते थे। लेकिन कानून की पूरी जानकारी न होने के कारण राज्य पर एक और मुख्यमंत्री थोप दिया गया है। पांच साल में बीजेपी उत्तराखंड को तीन मुख्यमंत्री दे रही है।‘
आज होगी बीजेपी के विधायक दल की बैठक
बता दें, तीरथ सिंह रावत के इस्तीफा देने के बाद आज बीजेपी के विधायक दल की बैठक होने वाली है। खबरों के मुताबिक यह बैठक दोपहर 3 बजे संपन्न होगी। जिसमें विधायक दल का नेता चुना जाएगा। बीजेपी विधायकों में से ही किसी एक को राज्य का सीएम बनाया जाएगा। उत्तराखंड में फरवरी-मार्च 2022 में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में बीजेपी जिसे भी राज्य का सीएम बनाएगी, उसका कार्यकाल भी महज 7-8 महीनें का ही होगा।