गुजरात के बाद पंजाब…बीते एक से डेढ़ हफ्तों में दो राज्यों के बड़ी राजनीतिक हलचल देखने को मिलीं। पहले बीजेपी में सियासत की पूरी तस्वीर ही बदलकर रख दी, तो वहीं पंजाब से कांग्रेस में भी कैप्टन अमरिंदर सिंह ने इस्तीफा देकर एक बड़ा कदम उठाया। कैप्टन के इस्तीफे के बाद पंजाब की कमान किसके हाथों में जाएगी, इसको लेकर खूब चर्चाएं चल रही थीं। इसके लिए कई नाम सामने आए, लेकिन एंड वक्त पर बाजी मार गए चरणजीत सिंह चन्नी।
सिद्धू ने खास अंदाज में दी बधाई
चरणजीत को कांग्रेस ने पंजाब के नए मुख्मयंत्री के रूप में चुना। सीएम चुने के बाद पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू ने चन्नी को बेहद ही खास तरीके से बधाई दी। उन्होंने इसे ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि ये इतिहास के स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा।
सिद्धू ने ट्वीट कर लिखा- ‘ऐतिहासिक!! पंजाब के पहले दलित सीएम … यह इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा. संविधान और कांग्रेस की भावना को नमन! बधाई चरणजीत सिंह चन्नी’. इसके साथ ही नवजोत सिंस सिद्धू ने चन्नी के संग कांग्रेस के विधायकों की एक तस्वीर भी पोस्ट की।’
…तो ये हैं सिद्धू की खुशी की वजह?
सिद्धू की इस ट्वीट से ये तो साफ है कि वो चरणजीत सिंह चन्नी के सीएम चुने जाने से काफी खुश हैं। इसके पीछे की कई वजहें मानी जा रही है। चन्नी को सिद्धू का करीबी माना जाता है। दरअसल, जब पंजाब अध्यक्ष बनने के बाद सिद्धू ने जालंधर के सचखंड बलां डेरा जाकर मत्था टेका था, तो इस दौरे पर उनके साथ चरणजीत सिंह चन्नी भी मौजूद थे। सचखंड बलां पंजाब के दलित सिख समुदाय का काफी प्रसिद्ध और जाना माना डेरा है।
सिद्धू और चन्नी के बीच गहरी दोस्ती है। वहीं पंजाब की मुख्यमंत्री की कुर्सी तक पहुंचने में चन्नी सिद्धू की मदद भी कर सकते हैं। दरअसल, पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष ये चाहते थे कि सीएम की कुर्सी पर कोई ऐसा शख्स बैठे, जो उनके लिए मुख्यमंत्री की कुर्सी का रास्ता रोड़ा ना बनें । ऐसे रोल में चन्नी परफेक्ट बैठते हैं।
सिद्धू की तरह कैप्टन के विरोधी रहे चन्नी
सिद्धू इसलिए भी चन्नी के मुख्यमंत्री बनने से खुश नजर आ रहे हैं क्योंकि चरणजीत सिंह भी उनकी तरह कैप्टन अमरिंदर सरकार के आलोचक रहे। वो भी बेअदबी मामले पर एक्शन नहीं लेने को लेकर अमरिंदर सरकार पर हमलावर थे। साथ में उन्होंने अमरिंदर सरकार की बिजली नीति पर भी सवाल खड़े किए थे।
वैसे तो पंजाब की राजनीति पर अगर गौर करें तो ये जाट सिख पर ही केंद्रित नजर आती हैं, लेकिन राज्य की आबादी में 33 फीसदी दलित भी शामिल हैं। ऐसे में एक दलित सिख को मुख्मयंत्री बनाकर पंजाब में कांग्रेस की राजनीति को अलग ही मोड़ दे दिया। देखने वाली बात ये होगी कि आगे आने वाले समय में पंजाब की राजनीति किस ओर जाती हैं? साथ ही कांग्रेस ने ये जो हैरान कर देने वाला मास्टरस्ट्रोक चला है, उससे चुनाव पर क्या असर देखने को मिलता है?