बुधवार को मोदी कैबिनेट में बड़ा फेरबदल किया गया। जहां एक ओर 43 मंत्रियों ने शपथ लीं, तो कई दिग्गज नेताओं की मोदी मंत्रिमंडल से छुट्टी भी हो गए। इसमें कुछ नाम तो बेहद चौंकाने वाले है। कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद से लेकर सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर, स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन जैसे दिग्गजों को कैबिनेट से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। जहां मोदी कैबिनेट में शामिल हुए नए चेहरों को लेकर खूब चर्चा हो रही हैं, तो वहीं सवाल ये भी उठ रहे हैं कि आखिर क्यों इन दिग्गजों को कैबिनेट से बाहर किया गया?
सेकेंड वेव में मिसमैनेजमेंट बनीं वजह?
सबसे पहले बात करते हैं स्वास्थ्य मंत्री रहे डॉ. हर्षवर्धन की। माना जा रहा है कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान मिसमैनेजमेंट की वजह से ही उनको कैबिनेट से हटाया गया। दरअसल, कोरोना की सेकेंड वेव के दौरान सरकार की काफी फजीहत हुई। देश में स्वास्थ्य सेवाओं का भयंकर अभाव हो गया था। बेड्स से लेकर ऑक्सीजन तक के लिए जब मारामारी हो रही थी, तब हर्षवर्धन का एक्टिव नहीं दिखना ही इसकी वजह बना। वहीं विपक्ष ने भी इस दौरान सरकार को जमकर घेरा। इस दौरान सरकार की इमेज पर काफी असर पड़ा। हेल्थ मिनिस्टर से डॉ. हर्षवर्धन को हटाने की यही वजह मानी जा रही है।
इस वजह से रविशंकर प्रसाद की हुई छुट्टी?
अब बात करते हैं आईटी व कानून मंत्री रहे रविशंकर प्रसाद की। बीते कई दिनों से सरकार बनाम ट्विटर की जंग छिड़ी हुई थीं, जिसमें रविशंकर प्रसाद काफी एक्टिव थे। माना जा रहा है कि इस मामले से सही से नहीं निपटने की वजह से ही उनकी मोदी कैबिनेट से छुट्टी हुई। इसको लेकर ये आरोप लगाए जा रहे थे कि सरकार सोशल मीडिया को कंट्रोल करने की कोशिश कर रही है। आईटी के साथ रविशंकर प्रसाद कानून मंत्री भी थे। ऐसा कहा जा रहा है कि कई मामलों को लेकर कानून मंत्रालय की तरफ से सरकार का पक्ष मजबूती से नहीं रखा गया।
जावड़ेकर को हटाने की वजह!
मोदी कैबिनेट से तीसरा बड़ा इस्तीफा था, सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर का, जो पर्यायवरण मंत्री भी थे। दरअसल, कोरोना काल के दौरान जावड़ेकर और उनके मंत्रालय का ये काम था कि वो सरकार की इमेज को बेहतर करने के लिए काम करें, जो नहीं किया गया। सिर्फ देश ही नहीं विदेशी मीडिया में भी सरकार की खूब आलोचना हुई। जिसका असर प्रधानमंत्री की इमेज पर भी काफी ज्यादा पड़ा। माना जा रहा है कि प्रवक्ता होने के तौर पर वो सरकार के पक्ष को ठीक से नहीं रख पाए। इस दौरान शिक्षा क्षेत्र के हालात काफी खराब हो रहे थे। वहीं नई शिक्षा नीति को लेकर भी वो सरकार का पक्ष ठीक से नहीं रख पाए।
श्रम मंत्री की भी छुट्टी
माना जा रहा है कि कोरोना काल में प्रवासी मजदूरों को लेकर सरकार की हुई फजीहत की वजह से श्रम मंत्री संतोष गंगवार को मोदी कैबिनेट से हटाया गया। प्रवासी मजदूरों की वजह से सरकार काफी आलोचनाओं में घिरीं। विदेशी मीडिया में भी इसको लेकर काफी सवाल उठे। यही वजह मानी जा रही संतोष गंगवार की कुर्सी जाने की।
बाबल सुप्रियो, देबाश्री चौधरी को हटाया
बंगाल विधानसभा चुनाव में बाबुल सुप्रियो मंत्री होते हुए भी हार गए। उनके बयानों को लेकर सरकार की किरकिरी भी हुई। जो उनको हटाने की वजह मानी जा रही है। वहीं देबाश्री चौधरी भी बंगाल चुनाव में असरदार साबित नहीं हुई, जिसके चलते मोदी कैबिनेट से उनको भी बाहर का रास्ता दिखाया गया।
थावरचंद की उम्र बनीं वजह
थावरचंद गहलोत को कैबिनेट से भले ही हटा दिया गया, लेकिन उनको साथ ही कर्नाटक का राज्यपाल बनाया गया है। मंत्री पद से हटाने की वजह उनकी उम्र रही। वहीं उनके जाने से 5 पद खाली हुए।
इन नेताओं को भी दिखाया बाहर का रास्ता
इसके अलावा केमिकल और फर्टिलाइजर मिनिस्टर सदानंद गौड़ा को हटाने की वजह उनकी खराब परफॉर्मेंस मानी जा रही है। वहीं कर्नाटक सरकार में मचे उथल पुथल को भी उनके हटाने का एक कारण बताया जा रहा।
साथ ही राज्यमंत्री संजय धोत्रे के इस्तीफे की वजह उनका स्वास्थ्य माना जा रहा है। वहीं रतनलाल कटारिया, प्रताप सारंगी को उनकी परफॉर्मेंस के चलते कैबिनेट से बाहर का रास्ता दिखाया गया।