क्या आपको भी लगता है कि पुलिस FIR नहीं लिखती तो उस जगह की पुलिस प्रशासन भ्रष्ट है? लेकिन अगर ऐसा है तो देश के हर पुलिस स्टोशन में ही ऐसा क्यों होता? क्या पुलिस के द्वारा हर एक FIR न दर्ज करने के पीछे कोई बड़ा कारण है? आज हम इसके बारे में जानेंगे पूरे डीटेल में, साथ ही जानेंगे कि आखिर किस तरह के कदम उठाए जा सकते हैं अगर आपकी FIR पुलिस दर्ज करने में आनाकानी करती है?
क्यों FIR नहीं लिखती पुलिस?
दरअसल, पुलिस FIR लिखने को बाध्य है कानून के तहत लेकिन आकड़ों को देखा जाए गौर से तो पुलिस स्टेशन में 10 में से 9 FIR दर्ज ही नहीं की जाती है, ऐसा क्यों? होता ये है कि अगर पुलिस हर एक FIR दर्ज करने लगेगी तो उसे उस पर पूरी रह से एक्टिव भी रहना होगा। मान लीजिए कि किसी पुलिस स्टेशन का इंचार्ज सारे FIR को दर्ज कर लेता है तो उसकी तारीफ नहीं बल्कि डांट लगेगी। होता ये है कि किसी भी पुलिस स्टेशन की इफिसिएंसी इससे मापी जाती है कि उसके यहां कितने FIR दर्ज हुए यानि कि मामले ज्यादा आए तो इंचार्ज को अपने एरिया में ठीक से काम नहीं करने को लेकर उसे अपने सीनियर से डांट में सुननी पड़ सकती है। ऐसे में पुलिस FIR ही नहीं लिखती।
दूसरी तरफ FIR लिखने पर पुलिस प्रशासन को मोशन में लाना होगा। FIR लिखकर तुरंत एक्शन लेना होगा। आरोपी को गिरफ्तार करना होगा। साथ ही अपने काम का पूरा डीटेल डायरी बनानी होगी। सबूत जुटाने होगे। और तो और अपने सीनियर की डांट भी सुननी होंगी। ऐसे में पुलिस वाले FIR दर्ज न करने का रास्ता अपनाते हैं।
ऐसे में क्या करना चाहिए?
पुलिस द्वारा FIR न लिखा जाए या फिर FIR दर्ज करने से साफ मना किया जाए तो आम आदमी को क्या कदम उठाने चाहिए? इसे जानने के लिए पहले जानना होगा कि अपराध के प्रकार क्या है। दो तरह के अपराध होते हैं संज्ञेय और गैर-संज्ञेय। संज्ञेय अपराध का ही FIR दर्ज किया जा सकता है और गैर-संज्ञेय मामले में मैजिस्ट्रेट पुलिस ऑफिसर्स को निर्देशित करता है कि वो विशेष कार्रवाई करें।
संज्ञेय अपराध में बलात्कार, दंगे, डकैती या फिर लूट और हत्या जैसे केस आते हैं, जबकि जालसाजी, सार्वजनिक उपद्रव और धोखाधड़ी गैर-संज्ञेय अपराधों में शामिल है जिसके तहत किसी व्यक्ति या समूह को बिना वारंट के पुलिस अरेस्ट कर सकती है।
अब जानते हैं कि पुलिस द्वारा FIR न लिखा जाए तो आम लोग क्या कर सकते हैं? आइए उन कदमों को पॉइंट दर पॉइंट जानते हैं…
1. संज्ञेय अपराध हुआ और पुलिस FIR दर्ज नहीं कर रही तो सीनियर अधिकारी के पास जाए और अपनी लिखित शिकायत दर्ज करवाएं।
2. रिपोर्ट तब भी न दर्ज हो तो क्रिमिनल प्रोसीजर कोड यानि CRPC के सेक्शन 156(3) के अंतर्गत मेट्रोपॉलिटन मैजिस्ट्रेट की कोर्ट में अपनी अर्जी दी जाए। जिसके पास पुलिस को FIR लिखने का आदेश देने का पॉवर होता है।
3. सुप्रीम कोर्ट FIR दर्ज नहीं करने वाले पुलिस ऑफिसर्स के खिलाफ एक्शन लेने के आदेश भी जारी किए हैं। कोर्ट ने ये भी व्यवस्था की है कि FIR दर्ज होने के एक वीक के भीतर ही प्राथमिक जांच पूरी की जाए जिसका मकसद केस की जांच कर क्राइम की गंभीरता से जांच करना है। पुलिस इस वजह से केस दर्ज करने से मना नहीं कर सकती है कि शिकायत की सच्चाई पर उनको शक है।