युद्ध को किसी भी समस्या का हल नहीं माना जाता। जब दो देशों के बीच जंग छिड़ती है, तो पूरी दुनिया पर इसका असर होता है। ऐसा ही कुछ रूस और यूक्रेन के मामले में भी देखने को मिल रहा है। रूस-यूक्रेन के बीच जारी युद्ध से पूरी दुनिया प्रभावित हो रही है। रूस ने जब से यूक्रेन के खिलाफ जंग का ऐलान किया, तब से दुनिया के तमाम देश टेंशन में हैं। इसका असर बड़ी संख्या में लोगों पर पड़ता हुआ दिख रहा है।
यूक्रेन में फंसे छात्र हुए बेबस
रूसी हमले के बीच बड़ी संख्या में लोग पलायन को मजबूर हो गए। लाखों की संख्या में अब तक लोग यूक्रेन छोड़कर जा रहे हैं। इसके अलावा दूसरे देशों के लोग भी यूक्रेन में फंस गए, जो युद्धग्रस्त देश से जल्द से जल्द निकलना चाह रहे हैं। इसमें भारतीयों की भी एक काफी बड़ी तादाद मौजूद हैं।
जंग के बीच बड़ी संख्या में भारतीय लोग और छात्र यूक्रेन में फंसे हैं। ये सभी लोग वतन वापसी की राह देख रहे हैं। इस दौरान यूक्रेन से भारतीयों की बेबसी की तस्वीरें, वीडियोज लगातार सामने आ रहे हैं, जिन्हें देखकर हर कोई काफी भावुक हो रहा है। बीते दिन ही नवीन नाम के एक भारतीय छात्र की रूसी बमबारी में मौत हो गई, जिसने देश को हिला दिया। देशवासियों को इस वक्त यूक्रेन में फंसे सभी भारतीयों की चिंता रही है।
हालांकि इस बीच सरकार की तरफ से यूक्रेन में फंसे लोगों को निकालने के लिए एक अभियान तेजी से चलाया जा रहा है। इस अभियान को ऑपरेशन गंगा का नाम दिया गया, जिसके तहत कई लोगों को अब तक एयरलिफ्ट कर देश वापस लाया जा चुका है। हालांकि अभी भी बड़ी संख्या में छात्र यूक्रेन में ही फंसे हैं।
बड़ी संख्या में छात्र जाते हैं यूक्रेन
यूक्रेन में जो भारतीय छात्र फंसे हुए हैं, उनमें से अधिकतर मेडिकल के स्टूडेंट्स हैं। ये सभी छात्र डॉक्टर बनने का सपना लेकर यूक्रेन गए थे। स्टडी इंटरनेशनल के मुताबिक 2011 से लेकर 2020 के दौरान यूक्रेन में पढ़ने वाले विदेशों छात्रों की संख्या में 42 फीसदी का इजाफा हुआ। यूक्रेन में करीब 76 हजार विदेशी छात्र हैं, जिसमें से 24 फीसदी भारतीय शामिल हैं। बताया जाता है कि हर साल 6 हजार के करीब भारतीय छात्र MBBS और BDS की पढ़ाई के लिए यूक्रेन का रूख करते हैं।
ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यही उठता है आखिर क्यों इतनी बड़ी संख्या में छात्र मेडिकल की पढ़ाई के लिए यूक्रेन जाते हैं? इसके पीछे कई वजहें हैं। आइए इस पर गौर कर लेते हैं…
– इसकी एक सबसे बड़ी वजह है यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई करना किफायती है। यूक्रेन में मेडिकल पढ़ाई का खर्च भारत के प्राइवेट कॉलेजों के मुकाबले आधे से भी कम होता है। इंडिया की बात करें तो यहां सरकारी कॉलेजों में सालाना मेडिकल पढ़ाई पर ढाई से तीन लाख तक खर्च होते हैं। वहीं प्राइवेट कॉलेजों में ये फीस 10 से 15 लाख तक है। यानी 5 साल की पढ़ाई के लिए 75 से 80 लाख रुपये तक का खर्चा आता है। किसी किसी कॉलेज में तो ये खर्च एक करोड़ रुपये तक पहुंच जाता है।
वहीं यूक्रेन की बात करें तो यहां MBBS की पढ़ाई में सालाना खर्च 2 से 4 लाख तक का आता है। यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई का सालाना खर्च 25 से 30 लाख तक आता है।
– इसके अलावा इसकी दूसरी वजह सीटों की कमी को भी बताया जाता है। भारत में उम्मीदवारों के मुताबिक सीटों की संख्या काफी ज्यादा कम है। हर साल लाखों की संख्या में छात्र मेडिकल की पढ़ाई के लिए एग्जाम देते हैं। इनके मुकाबले सरकारी कॉलेजों में 10 फीसदी उम्मीदवारों को भी दाखिला मिल नहीं पाता। भारत में MBBS की मात्र 88 हजार सीट ही हैं।
– वहीं, यूक्रेन से MBBS या बीडीएस की पढ़ाई करने के लिए अलग से नीट जैसी कोई प्रवेश परीक्षा भी नहीं देनी पड़ती। यहां उन लोगों को भी एडमिशन मिल जाता है, जिन्होंने भारत में नीट परीक्षा को क्वालिफाई किया हो। नीट की रैंक मायने नहीं रखती है। इसलिए जिन छात्रों का भारत में एडमिशन का सपना अधूरा रह जाता है, वो यूक्रेन का रूख करते हैं।
– वहीं यूक्रेन से मेडिकल डिग्री को वैश्विक स्तर पर स्वीकार्यता भी मिली हुई है। वर्ल्ड हेल्थ काउंसिल से साथ इंडियन मेडिकल काउंसिल और यूरोपीय मेडिकल काउंसिल भी इसे मान्यता देते हैं। जिसके चलते यहां से जिन छात्रों ने मेडिकल की पढ़ाई की होगी, वो अमेरिका, ब्रिटेन, यूरोप समेत बड़े देशों में जाकर प्रैक्टिस कर सकते हैं।