अलग-अलग मुद्दों को लेकर दिल्ली और केंद्र सरकार के बीच अक्सर ही तनातनी देखने को मिलती हैं। कोरोना के दौरान ऑक्सीजन से लेकर वैक्सीन तक केजरीवाल सरकार तमाम मुद्दों को लेकर केंद्र को घेरती रहती हैं। वहीं मोदी सरकार की तरफ से भी पलटवार करते हुए जवाब दिया जाता है। अब ये दोनों सरकार केजरीवाल की ‘घर-घर राशन’ योजना को लेकर भिड़ गई हैं।
दरअसल, केजरीवाल सरकार ने इस योजना को शुरू करने के लिए पूरी तैयारी कर ली थीं, लेकिन केंद्र ने ठीक दो दिन बड़ा झटका देते हुए इस पर रोक लगा दी। दिल्ली के मुख्यमंत्री का ये एक ड्रीम प्रोजेक्ट था, जिस पर बीते तीन सालों से तैयारी चल रही थीं।
जब केंद्र की आपत्ति पर बदला था योजना का नाम
वैसे ऐसा पहली बार नहीं जब इस घोटना को लेकर दिल्ली और केंद्र सरकार के बीच टकराव की स्थिति बनी हो। पहले योजना का नाम ‘मुख्यमंत्री घर घर योजना’ था, जिस पर केंद्र ने आपत्ति जताई। फिर केजरीवाल सरकार ने नाम बदलकर ‘घर घर राशन योजना’ कर दिया। लेकिन इसके बाद अब फिर केंद्र ने केजरीवाल सरकार की इस योजना को रोक दिया।
LG ने वापस भेज दी फाइल
2018 में ही केजरीवाल सरकार ने केंद्र को पत्र लिखकर योजना के बारे में पूरी जानकारी दे दी थीं। फिर 24 मई 2021 को अंतिम स्वीकृति के लिए दिल्ली सरकार ने LG को फाइल भेजी। LG ने ये कहते हुए फाइल वापस कर दी कि इस योजना को दिल्ली में लागू नहीं किया जा सकता। ऐसा करने के पीछे की LG ने दो वजहें बताईं। उन्होंने कहा कि केंद्र ने योजना को अप्रूव नहीं किया और योजना के खिलाफ कोर्ट में केस भी चल रहा है।
आमने-सामने आ गई दोनों सरकारें
अब दो दिन पहले योजना रोकने पर केजरीवाल सरकार केंद्र पर भड़क उठीं। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने रविवार को इसको लेकर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस भी कीं। केजरीवाल बोले कि हमारी योजना को ये कहते हुए खारिज कर दिया कि हमने केंद्र से अप्रूवल नहीं लिया। हमने योजना के लिए केंद्र से 5 बार एप्रूवल लिया।
प्रधानमंत्री पर हमला बोलते हुए सीएम केजरीवाल ने आगे कहा कि देश में अगर स्मार्टफोन से लेकर पिज्जा की डिलीवरी हो सकती है, तो राशन की क्यों नहीं? प्रधानमंत्री सर आपको राशन माफिया से हमदर्दी क्या है? हमारी योजना के खिलाफ केंद्र ने कोर्ट में आपत्ति नहीं जताई, तो अब क्यों? कई गरीब लोगों की नौकरी चली गई। लोग घर से बाहर नहीं निकलता चाहते इसलिए हम घर-घर राशन भेजना चाहते हैं।
केजरीवाल ने आगे कहा कि केंद्र के अधिकारी कह रहे हैं कि राशन केंद्र का, तो दिल्ली क्रेडिट क्यों ले? मैं क्रेडिट नहीं ले रहा, प्लीज इसे लागू करें। मैं कहूंगा कि मोदी जी ने योजना लागू की।
वहीं केजरीवाल के इन आरोपों को लेकर बीजेपी की तरफ से भी पलटवार किया गया। बीजेपी प्रवक्ता हरीश खुराना ने उनके आरोपों पर जवाब देते हुए कहा कि आपको ये समझना होगा कि सरकार संविधान और कानून के हिसाब से ही चलेगी। NFSA एक्ट का सेक्शन 12(2) के मुताबिक किसी भी नई स्कीम को शुरू करने के लिए केंद्र के अप्रूवल की जरूरत होती है। दूसरा ये भी है कि इस स्कीम को लागू करने के लिए कोर्ट का स्टे है।
बीजेपी प्रवक्ता ने आगे कहा कि कानून के मुताबिक आप केंद्र से इजाजत क्यों नहीं ले रहे? आप कानून से ऊपर तो नहीं हो गए, केजरीवाल जी। उल्टा आपकी मदद के लिए केंद्र तो पूरी तरह से तैयार है ज्यादा राशन भी देने को तैयार है। वैसे आपने 7 साल का वक्त ले लिया, राशन माफिया को खत्म करने के लिए? राजनीति मत करो और कानून के हिसाब से काम करो।
केजरीवाल की इस योजना के तहत हर राशन लाभार्थी को चार किलो आटा, एक किलो चावल और चीनी डोरस्टेप डिलीवरी की जाएगी। जब कोई डिलीवरी एजेंट डिलीवरी के लिए लाभार्थी के घर जाएगा, तो बायोमेट्रिक सत्यापन के बाद ही राशन दिया जाएगा।